
सुश्री भारती ने जल क्रान्ति अभियान से सम्बन्धित एक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल संरक्षण के महत्त्व को लोगों को समझना होगा और यह कार्य मॉडल गाँव के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। लोग जब मॉडल गाँवों को देखेंगे तो उन्हें सीख मिल सकेगी। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में केन्द्र, राज्यों और गैर सरकारी संगठनों को मिलकर प्रयास करना होगा।
इस संगोष्ठी में देश के दूर-दराज के गाँवों से आये किसानों तथा जल संरक्षण पर कार्य कर रहे स्यंवसेवी संगठनों ने भी अपने विचार रखे। जल संरक्षण की दिशा में बेहतरीन कार्य के लिये अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले लापोड़िया गाँव के किसान लक्ष्मण सिंह ने दूसरे गाँवों के किसानों को लापोड़िया के अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि उनके गाँव के किसानों ने आपसी सहयोग के माध्यम से गाँव में 1000 से अधिक पीपल के पेड़ लगाए हैं। जिससे उनके यहाँ बारहों महीने छाया रहती है तथा गोचर हरे-भरे रहते हैं।इसी तरह दूसरे गाँवों के किसानों तथा विभिन्न कॉलेजों के छात्र-छात्राओं ने भी जल संरक्षण और पर्यावरण की देखरेख में अपने पूरे सहयोग का भरोसा जताया।