नई दिल्ली स्थित इण्डियन वुमन प्रेस कार्प में उत्तराखण्ड वनाग्नि वर्ष 2016 एक नागरिक रिपोर्ट का विमोचन किया गया। हिमालय सेवा संघ तथा एक्शन एड इण्डिया संस्था द्वारा आयोजित इस वार्ता में उत्तराखण्ड के जंगलों में लगने वाली आग के कारण तथा निदान पर चर्चा की गई।
हिमालय सेवा संघ से जुड़े मनोज पांडे ने इस रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए उत्तराखण्ड के जंगलों में लगने वाली आग को एक सोची समझी साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में गहन पड़ताल करवानी चाहिए कि उत्तराखण्ड के जंगलों में पिछले कुछ वर्षों से एक खास मौसम में कैसे आग लगती है। यह आग सिर्फ हिमालय के लोगों की चिन्ता का विषय नहीं है बल्कि इस बारे में देश के हर नागरिक को सोचना चाहिए।
यह नागरिक रिपोर्ट उत्तराखण्ड के निवासियों के साथ बातचीत पर आधारित है। इसमें आग को रोकने के लिये उनके सुझावों को भी शामिल किया गया है। नागरिक रिपोर्ट में उन कारणों की भी पड़ताल की गई है, जिन नीतियों तथा कार्यक्रमों के कारण वनवासी को अपने जल, जंगल और जमीन के सन्दर्भों से अलग किया गया है। मालूम हो कि पिछले वर्ष उत्तराखण्ड के जंगलों की आग की वजह से कई स्थानीय निवासियों के आग में झुलस जाने की वजह से मौत हो गई थी। साथ ही कई महत्त्वपूर्ण जड़ी-बूटियाँ तथा जंगली जीव जल कर स्वाहा हो गई थीं।
वार्ता के दौरान अन्य विशेषज्ञों ने भी हिमालयी क्षेत्र के जंगलों की आग के बारे में चर्चा की। इसमें भविष्य में जंगलों की आग की वजह से व्यापक जनहानि तथा वन्य जीवों को होने वाले क्षति को रोकने के प्रति कई उपायों पर बात की गई। इसमें सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही तय करने तथा स्कूल कॉलेजों से जुड़े विद्यार्थियों को वनाग्नि के सन्दर्भ में प्रशिक्षण तथा जागरुकता फैलाने की भी बात की गई।
इस रिपोर्ट को बनाने में एक्शन एड इण्डिया, हिमालय सेवा संघ, उत्तराखण्ड जन जागृति संस्थान, हिमकान एवं कस्तूरबा महिला उत्थान मण्डल सहित कई सामाजिक संगठनों एवं कार्यकर्ताओं तथा समुदाय के लोगों की भागीदारी रही।