उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के खागा तहसील का हसनपुर अकोढिया गाँव इन दिनों चर्चा में है। यहाँ के एक किसान के खेत में देश और दुनिया की 140 प्रजातियों की धान की फसल लहलहा रही है। जिसे देखने के लिये कृषि वैज्ञानिकों की टीम के अलावा आस-पास के किसानों की भी भीड़ जुटती है। किसान ने स्थानीय जलवायु के अनुकूल धान की बेहतर प्रजाति का पता लगाने के लिये यह प्रयोग किया है। अब कृषि वैज्ञानिकों के लिये भी यह शोध का विषय बन गया है।
लहलहा रही धान
यह पूरी कवायद किसान ने यह जानने के लिये की है कि उसके खेत की मिट्टी और जलवायु के अनुरूप सबसे उत्पादक धान कौन सा हो सकता है, जिसका वह सफल उत्पादन कर सके। रमेश सिंह के इस प्रयोग ने कृषि वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल दिया। एक समान परिस्थिति और जलवायु में देश-विदेश की 140 धान प्रजातियोंं को किसान ने एक एकड़ में सफलतापूर्वक तैयार किया। रमेश ने पाकिस्तान, चीन, अमेरिका सहित 20 देशों की प्रजातियों का धान उगाया है। तकरीबन सौ प्रजातियाँ पककर तैयार हो गईं तो चालीस प्रजातियों की बाली हरी है। उन्होंने बताया कि सभी प्रजातियों की पौध एक ही दिन लगाई गई थी और पानी व उर्वरक की बराबर मात्रा में दी गई है।
यह मिलेगा लाभ
रमेश ने बताया कि एक एकड़ में धान की हर प्रजाति की रोपाई की गई है। वैज्ञानिक अब इस बात पर शोध कर रहे हैं कि यहाँ की जलवायु के लिये कौन-कौन सी प्रजातियाँ उपयुक्त होंगी। एक बाली में पड़े दानों की संख्या से उत्पादन का पता चलेगा। रोग प्रतिरोधक क्षमता, फसल पकने की अवधि एवं धान से चावल की रिकवरी के मानकों पर बेहतर प्रजाति का चयन होगा। अच्छी प्रजाति मिलने से उत्पादन का अच्छा मूल्य मिलेगा। इस समय हाइब्रिड की 80 फीसद प्रजाति में चावल की रिकवरी की समस्या आ रही है। इस शोध से 67 प्रतिशत से अधिक रिकवरी वाली प्रजातियों की चिन्हित किया जा सकेगा। किसान ने बताया कि जो फसल पकती जा रही है, उसका अलग रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है।
कृषि वैज्ञानिकों ने सराहा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र स्वरूप ने कहा, हसनपुर अकोढिया के किसान ने धान की 140 प्रजातियों का संग्रह कर बड़े शोध का कार्य किया है। हम लोग भी फार्म का निरीक्षण कर यह देख रहे हैं कि यहाँ क्लाइमेट के अनुकूल कौन सी प्रजाति बेहतर हो सकती है।