एनवायरनमेंटल साइंसेज खोल रहा अवसर के नए द्वार (Job opportunities in environmental science)

Submitted by RuralWater on Mon, 04/30/2018 - 15:38
Source
हिन्दुस्तान, 26 अप्रैल, 2018


औद्योगिक और विकास सम्बन्धी गतिविधियों के चलते प्राकृतिक संसाधन कम पड़ गए हैं और पर्यावरण का लगातार क्षरण हो रहा है। अब ऐसी तकनीक चाहिए, जिसमें प्रकृति का नुकसान कम-से-कम हो। एनवायरनमेंटल साइंसेज से जुड़े लोग ऐसे ही महत्त्वपूर्ण काम अंजाम देते हैं। बता रहे हैं सीनियर करियल कंसल्टेंट अशोक सिंह

एनवायरनमेंटल साइंसएनवायरनमेंटल साइंस (फोटो साभार - पीएनजीट्री)इसमें कोई दो राय नहीं कि पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में हमारी आधुनिक गतिविधियाँ जिम्मेदार रही हैं। आँकड़े बताते हैं कि दिल्ली और मुम्बई जैसे शहरों में प्रतिदिन लगभग 9000 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसके प्रबन्धन का कोई सही तरीका हमारे पास नहीं है। वहीं प्राकृतिक संसाधन भी कम हो रहे हैं। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इण्डिया 2017 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड जैसे वन बहुल राज्य में वनों की वृद्धि ना के बराबर ही दर्ज हुई है। ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएँगे, जहाँ मनुष्य और प्रकृति का आपसी तालमेल नहीं बैठ रहा है। इस तालमेल को तकनीक के इस्तेमाल से सही करने का काम करते हैं एनवायरनमेंटल साइंटिस्ट और इंजीनियर।

क्या है एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग (What is environmental engineering)

पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले तत्वों की रोकथाम, शहरी कचरे के प्रबन्धन व नियंत्रण/रोकथाम के लिये उपाय, जल का शुद्धिकरण, प्राकृतिक स्रोत में मिल चुके विषाक्त पदार्थों को अलग करने का दायित्व इन पेशेवरों का होता है। एनवायरनमेंटल इंजीनियर इनसे सम्बन्धित उपकरणों की डिजाइनिंग और उत्पादन के काम में भी शामिल होते हैं।

एनवायरनमेंटल साइंस/इंजीनियरिंग (Environmental Science/Engineering)

अगर आप पारिस्थितिकी और जैव विविधता के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं तो एनवायरनमेंटल साइंस पर आधारित कोर्स आपको चुनने चाहिए। दूसरी ओर अगर आपकी दिलचस्पी प्रदूषण नियंत्रण और इसके लिये टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में है तो एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग का चुनाव करना चाहिए। एनवायरनमेंटल साइंस मूलतः इंटर डिसिप्लिनरी कोर्स हैं, जिसमें कई विषयों पर आधारित सिलेबस होता है, जबकि दूसरी ओर एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग का कोर्स शुद्ध रूप से टेक्नोलॉजी से सम्बन्धित है। एनवायरनमेंटल साइंटिस्ट की संस्तुतियों के आधार पर एनवायरनमेंटल इंजीनियर साइंस और टेक्नोलॉजी के व्यावहारिक टूल्स का इस्तेमाल कर समाधान खोजने में जुट जाते हैं।

क्या हैं कोर्स (What is cours)

एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग में चार साल के बीई/बीटेक कोर्स देश भर के विभिन्न संस्थानों में उपलब्ध हैं। इनमें प्रवेश के लिये 10+2 के साइंस स्ट्रीम के अंक और प्रवेश परीक्षा के अंकों को आधार बनाया जाता है। इस कोर्स में ऑर्गेनिक केमिस्ट्री, हाइड्रोलॉजी, एटमॉस्फेरिक केमिस्ट्री, सर्फेस वॉटर क्वालिटी आदि पर गहन सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक अध्ययन का प्रावधान है। अन्य कोर्स में बीएससी (एनवायरनमेंटल साइंस), पीजी डिप्लोमा और एमएससी स्तर के कोर्स भी हैं।

व्यक्तिगत गुण (Skills for environmental scientist)

इस क्षेत्र में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के साथ मैथ्स और साइंस में अच्छी पकड़ होनी चाहिए। एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग के सिद्धान्तों को अमल में लाने की काबिलियत भी होनी चाहिए। अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स और पृथ्वी के लिये आने वाले वक्त को समझने का विस्तृत नजरिया भी विकसित करना होगा।

नियुक्तियों के क्षेत्र (Areas of appointments)

पर्यावरण के प्रति जागरुकता और सरकारी विभागों के सक्रिय होने से इस क्षेत्र में अवसर काफी बढ़े हैं।

उपकरणों के उत्पादन कार्य (Production work of equipment)

उद्योगों में पर्यावरण संरक्षण की तकनीक के जानकार लोगों की माँग में वृद्धि हुई है। पर्यावरण सुरक्षा उपकरण बनाने वाली कम्पनियों में निर्माण कार्य के लिये इस तकनीक के जानकार लोगों को नियुक्त किया जाने लगा है।

शोध कार्य (Research in environmental science)

इस क्षेत्र में शोध कार्य भी बड़े स्तर पर चल रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन भी इन एक्सपर्ट्स की सेवाएँ लेते हैं।

सरकारी विभागों में अवसर (Opportunities in Government Departments)

पर्यावरण सम्बन्धित सरकारी विभागों में भी इस प्रकार के प्रोफेशनल्स को केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किया जाता है।

अध्यापन (Teaching in environmental science)

रिसर्च एवं पीएचडी धारकों के लिये लेक्चरशिप के अवसर हो सकते हैं।

पर्यावरण पत्रकारिता (Environmental journalism)

पर्यावरण से सम्बन्धित पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकीय विभागों में इस तरह के जानकार लोगों की जरूरत पड़ती है।

पर्यावरण कानूनविद (Environmental Lawmakers)

पर्यावरण कानून का एक अलग ही क्षेत्र है, जिसमें एक्सपर्ट के तौर पर अपने करियर को स्थापित करने के अवसर भी खूब हैं। इसके साथ ही आपको ठोस कचरा प्रबन्धन, जल गुणवत्ता प्रबन्धन पानी के बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट, रेडिएशन प्रोटेक्शन के विशेषज्ञ के तौर पर पहचान मिलेगी। ये ओजोन के क्षरण की रोकथाम व ग्लोबल वार्मिंग पर भी काम करते हैं।

जीव विज्ञान के छात्रों के लिये है बेहतर (Biology is better for students)

यह गहन चिन्तन का विषय है कि युवा पीढ़ी की करियर निर्माण की प्राथमिकता सूची में पर्यावरण सम्बन्धी किसी भी कोर्स का नाम काफी निचली पायदान पर रहता है अथवा सिरे से नदारद होता है। विशेषज्ञों के अनुसार धरती पर जीवन को बचाए रखने के लिये बिगड़ते पर्यावरण की देखभाल करनी जरूरी है। वर्तमान में ऐसे ट्रेंड लोगों की संख्या माँग से काफी कम है और आने वाले समय में इस माँग में और तेजी आने की पूरी-पूरी सम्भावनाएँ हैं। जहाँ तक नौकरियों की बात है तो विदेशों में भी उच्च अध्ययन, शोध कार्य तथा नौकरियों की सम्भावनाएँ कम नहीं हैं। जीवविज्ञान की पृष्ठभूमि वाले युवाओं के लिये इस क्षेत्र में काफी अवसर हो सकते हैं। खासकर जल प्रदूषण से संकटग्रस्त जल-जीव संरक्षण अथवा मृदा प्रदूषण के कारण वानस्पतिक सम्पदा के बचाव के लिये ऐसे जानकार लोगों की जरूरत है।

पर्यावरण संरक्षण को मिल रहा है बढ़ावा (Boost Environmental protection)

इंजीनियरिंग की अधिकांश शाखाओं में आज अवसरों की कमी है। इसमें निकट भविष्य में बहुत सुधार होने की सम्भावनाएँ नहीं हैं। इस स्थिति में एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग एक बेहतर करियर विकल्प सिद्ध हो सकता है। पर्यावरण संरक्षण पर सरकार का न सिर्फ ध्यान है, बल्कि इस मद पर बजट राशि में भी खासी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। ऐसे में निस्सन्देह इस क्षेत्र में पदार्पण करने वाले युवाओं के लिये आने वाले समय में अवसरों की संख्या कम नहीं होगी।

प्रमुख संस्थान (Institute of environmental science)

1. दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (Delhi technological university)
2. पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (Central University of Punjab, Bathinda)
3. राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भोपाल (Rajiv Gandhi Proudyogiki Vishwavidyalaya, Bhopal)
4. लखनऊ विश्वविद्यालय (बैचलर ऑफ वोकेशन-रिन्यूवेबल एनर्जी) (Bachelor of Vocational-Renewable Energy (university of Lucknow)
5. आईआईटी, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर, मद्रास (IIT, Delhi, Kanpur, Kharagpur, Madras)
6. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली (Jamia Millia Islamia, New Delhi)
7. भरतियार विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर (Bhartiar University, Coimbatore)

 

 

 

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