गाँवों में मोबाइल वैन से पेयजल मुहैया कराएगी सरकार

Submitted by RuralWater on Mon, 01/11/2016 - 16:06


.दूषित भूजल वाले इलाके में लोगों को उनके दरवाजे पर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की मोबाइल योजना बिहार सरकार प्रस्तुत करने वाली है। इसके लिये वह बीस मोबाइल वैन खरीदने जा रही है जो गाँवों में जाकर नदी, कुआँ या तालाब का पानी को साफ करके पीने योग्य बनाएगी और मामूली मूल्य लेकर ग्रामीणों को उपलब्ध कराएगी।

परिशोधित जल कई दिनों तक पीने योग्य बना रहेगा। इसमें एक मालवाहक वैन पर वाटर प्यूरीफायर मशीन लगी होगी जिसके संचालन के लिये बिजली की जरूरत नहीं होगी। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग सचिव अंशुली आर्या ने मोबाइल प्यूरीफायरों को खरीदने के लिये टेंडर निकालने आदि प्रक्रियाएँ शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।

बीस जलदूत खरीदने में एक करोड़ 11 लाख 10 हजार रुपए खर्च होंगे। इससे प्रतिघंटे 15 सौ लीटर पानी साफ किया जा सकेगा।

भूजल में जहरीले रसायनों- आर्सेनिक, फलोराइड और आयरन की अधिकता से विभिन्न रोगों का फैलाव बढ़ा है, प्रस्तावित योजना बचकानी जरूर है, पर गहरे नलकूप, फिर प्योरिफायर मशीन, टंकी और पाइपलाइनों की व्यवस्था से बेहतर ज़रूर है।

गाँवों में जाकर वहाँ नदी, कुआँ और तालाब के पानी को परिशुद्ध कर पीने योग्य बनाने से गाँवों के स्तर पर जलस्रोतों को बचाने का काम भी होगा। अन्यथा भूजल के अत्यधिक दोहन से उत्पन्न आर्सेनिक आदि समस्याओं के समाधान के नाम पर एकबार फिर भूजल आधारित योजना सामने आ जाती है।

अब तक सरकारी हलके में यह स्वीकार करने में हिचक रही है कि खुले कुओं में रासायनिक दूषणों की मात्रा खतरनाक स्तर से बहुत कम रहती है। और भूजल में आर्सेनिक या दूसरे हानिकर रासायनिक तत्त्वों का खतरनाक स्तर भूजल का अत्यधिक दोहन के कारण है। और फिल्टर या दूसरे तरह के संयंत्र लगाकर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की परिकल्पनाओं की सबसे बड़ी सीमा यह है कि भूजल में घूले रासायनिक तत्त्वों का प्रभाव पशु-पक्षी और खेतोें की फ़सलों पर भी पड़ता है।

जिसका प्रभाव कालान्तर में मानव जीवन पर ही होता है। वैसे संसाधन और संचालनगत समस्याओं की वजह से ऐसी सुविधाएँ सभी लोगों को उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। गहरे नलकूप और पाइप लाइनों के बजाय काम नहीं चलने वाला। पर यह बहुत ही छोटी योजना है। पेयजल की बड़ी योजना तो नलकूप आधारित अबाध जलापूर्ति की है।

गंगा किनारे बसे गाँवों के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिये विश्व बैंक के सहयोग से राज्य सरकार ने विशेष कार्ययोजना तैयार की है। 534 करोड़ खर्च कर 356 गाँवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होगी। पीएचईडी की कार्ययोजना में गंगा किनारे के गाँवों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सर्वोच्च प्राथमिकता में है।

बिजली की गड़बड़ी से पेयजल की आपूर्ति बाधित नहीं हो, इसके लिये जलापूर्ति वाले नलकूपों का सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। ऐसी 567 पेयजल योजनाएँ लागू की जा रही है। गंगा के किनारे के आर्सेनिक व फ्लोराइड मिश्रित पानी वाले गाँवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की योजना के लिये 22 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।

‘हर घर में नलके की धार, खुले में शौच मुक्त बिहार’ इस नारे को साकार करने के लिये तैयार योजना में हर व्यक्ति को रोज़ाना 70 लीटर पानी रोज़ाना मुहैया कराया जाएगा। अभी चापाकलों के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी मुहैया कराने की व्यवस्था है। इसके लिये पंचायत स्तर पर छोटी-छोटी योजनाएँ लागू की जाएँगी।

छोटी योजनाओं का संचालन और रखरखाव अपेक्षाकृत आसान होगा। मुख्यमंत्री के आदेश पर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने पूरे पाँच साल का रोडमैप तैयार किया है। उपलब्ध संसाधनों के बेहतरीन इस्तेमाल करने के लिये विशेषज्ञों की समिति बनाई गई है। यह योजना भूजल आधारित होगी या नहीं, यह अभी साफ नहीं है। प्रधान सचिव अंशुली आर्या के अनुसार, सभी परियोजनाओं और कार्यक्रमों के सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है।

 

 

बिहार में प्रभावित जिले

आर्सेनिक

फ्लोराइड

आयरन

सारण

कैमूर

सुपौल

वैशाली

रोहतास

अररिया

समस्तीपुर

औरंगाबाद

किशनगंज

दरभंगा

गया

सहरसा

बक्सर

नालंदा

पूर्णिया

भोजपुर

शेखपुरा

कटिहार

पटना

जमुई

मधेपुरा

बेगूसराय

बांका

बेगूसराय

खगड़िया

मुंगेर

खगड़िया

लखीसराय

भागलपुर

 

मुंगेर

नवादा

 

भागलपुर

   

कटिहार