गेहूँ बाहे चना दलाये

Submitted by Hindi on Wed, 03/24/2010 - 09:13
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घाघ और भड्डरी

गेहूँ बाहे चना दलाये।
धान बिगाहे मक्की निराये।।
ऊख कसाये।


भावार्थ- गेहूँ के खेत को कई बार जोतने से, चने को खोंटने से, धान के खेत को बिदाहने से (धान के उग जाने पर फिर जुतवा देने से), मक्के को निराने से और ईख को बोने से पहले पानी में छोड़ देने से पैदावार अच्छी होती है।