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हिंदुस्तान, 02 अप्रैल 2011
घंटे भर गोमती की गोद में खेलकर 20 रुपए झटक लेती है सुमन
दस साल की नन्हीं सुमन का मन मचलता है तो उसे बुआ-बप्पा की लल्लो चप्पो की जरूरत नहीं पड़ती। वह बड़े आत्मविश्वास से बैट की तरह कांटा लेकर नदी के पानी में उतरती है और ताबड़तोड़ रुपयों के रन बनाने लगती है। बमुश्किल घंटे भर में गोमा मैया से 15-20 रुपए झटक लेती है। सिर्फ नौमी की बिटिया सुमन ही नहीं आरती, पूजा और मंगू के बेटे सोनू सहित गोसाईंपुरवा के सभी आठ परिवारों के बच्चे अपनी पॉकेट मनी इसी तरह गोमा मैया से ही वसूलते हैं।
गोसाईंपुरवा नदी किनारे अवसानेश्वर महादेव मंदिर के पास ऊंचाई में सबसे करीब बसा है। यहां बच्चों को दालमोठ का स्वाद चखना हो या चटनी वाले खस्ते का, पैसे गोमती की टेंट से निकलते हैं। महादेव में हर सोमवार मेले और स्नान पर्वों पर भक्तों का जमावड़ा लगता है। स्नान करने वाले गोमती में जो सिक्के डालते हैं वह ये बच्चे बड़ी तरकीब से निकाल लेते हैं। यह तरकीब किसी आईआईएम का इनोवेशन नहीं देशी जुगाड़ है। बस एक धागे में चुम्बक के छल्ले बांधे। उसे मछली पकड़ने वाले जाल की तरह लहराकर फेंका। फिर धीरे-धीरे खींच लिया। हाथ में अठन्नी, रुपैया और दो का सिक्का लगते हैं बच्चों के चेहरे खिलखिला उठते हैं। बच्चों का नदी में खेल भी हो जाता है और पॉकेट मनी भी मिल जाती है। इस खेल में क्रिकेटिया रोमांच सरीखा मजा तब जुड़ जाता है जब किसी के रुपयों के रन टी-20 के अंदाज में बनते हैं तो किसी के टेस्ट मैच की तरह। सुमन इस खेल की माहिर खिलाड़ी है। सोमवार और स्नान पर्व पर वह वीरू और यूवी की तरह हर बॉल पर कभी चौका तो कभी छक्का मारती है। सचिन की तरह शर्मीली सुमन आम दिनों में भी एक-एक कर रनों का पहाड़ खड़ा कर लेती है।
सुमन के पास खास तकनीक है। वह अपने भारी बल्ले से खेलना पसंद करती है। उसके कांटे में लम्बीं डोरी और तीन वजनी छल्ले फंसे होते हैं। जबकि दूसरे खिलाड़ी एक या दो छल्ले बांधकर छोटी डोरी से ही पैसे खींचते हैं। सुमन नदी तट पर चारों तरफ स्थान बदल-बदल कर अपना कांटा घुमाती रनों की बारिश करती है तो बाकी बच्चे स्ट्रेट खेलते हैं। सुमन अपना पूरा ध्यान खेल में लगाती है तो बाकी बच्चों की कनखी उसके स्कोर कार्ड (जेब के वजन) पर टिकी रहती है। यह इन पैसों का करती है क्या? सोनू से सुनिए, ‘पेप्सी पीती है...और नमकपारा भी’।
जबकि और बच्चे दालमोठ और खस्ते में ही संतोष कर लेते हैं। रोज पैसे कैसे निकलते हैं बालू के नीचे दब नहीं जाते? सुमन पहली बार बोली, ‘बालू में चलने से दबे सिक्के ऊपर आ जाते हैं।’ गोमा मैया के इन दुलारों की प्रतिस्पर्धा, टेक्नीक के इस्तेमाल और उत्साह को सिर्फ आधा घंटा ध्यान से देखिए...दावा है टीवी पर स्कोर देखने से ज्यादा रोमांच रुपयों के रन गिनने में आएगा।