हाई कोर्ट के आदेश के बाद सहारनपुर में खनन पर लगी रोक

Submitted by Hindi on Tue, 03/08/2016 - 12:52
Source
जनसत्ता, 6 मार्च, 2016

इलाहाबाद हाई कोर्ट
देवबंद-सहारनपुर : इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर सहारनपुर में रेत व पत्थरों का खनन, स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट पूरी तरह बंद हो गए। जिला खनन अधिकारी राज कुमार संगम ने शनिवार को बताया कि सभी 12 पट्टाधारकों ने सहारनपुर में यमुना व सहायक नदियों के किनारे खनन कार्य बंद कर दिया है। साथ ही 141 स्टोन क्रेशर व स्क्रीनिंग प्लांट भी बंद हो गए, जिससे इस दौरान राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में मिलने वाले दो करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है। संगम के मुताबिक सहारनपुर का खनन रॉयल्टी का लक्ष्य 50 करोड़ रुपए सालाना है।

खनन के खिलाफ सहारनपुर के दो लोगों- जहीर अहमद व भीम सिंह ने फरवरी 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ व न्यायाधीश यशवंत वर्मा की दो सदस्यीय पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अपने अंतरिम आदेश में सहारनपुर के निजी पट्टा धारकों द्वारा रेते, बजरी, पत्थर आदि के खनन पर रोक लगा दी है। अंतरिम आदेश में दो सदस्यीय पीठ ने सम्बंधित उन पट्टाधारकों को जो अभी कोर्ट में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने अभी याचिका का निपटारा नहीं किया है। लेकिन सुनवाई के शुरू में ही खनन पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जरूर पारित कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया था कि सहारनपुर में यमुना के किनारों के पास पर्यावरण नियंत्रण कानूनों की अवहेलना कर निजी पट्टाधारकों द्वारा गैर-कानूनी खनन किया जा रहा है।

ध्यान रहे अभी कुछ दिन पूर्व भी राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण (एनजीटी) के चेयरमैन न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय पीठ ने भी सहारनपुर में खनन पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। एनजीटी ने एक उच्चधिकार प्राप्त समिति का गठन कर 45 दिनों के भीतर पूरे मामले की तथ्यात्मक जाँच करने के बाद अपनी रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए थे। एनजीटी ने बसपा के पूर्व एमएलसी इकबाल के दो भाइयों और एक पुत्र व पार्टनर पर 200 करोड़ के हर्जाने का दंड भी लगाया था।

सहारनपुर जनपद में सालों से गैर-कानूनी रूप से शासन प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन का कारोबार जारी था। जिससे मूल्यवान खनिज बर्बाद हो रहा था और पर्यावरण प्रदूषित हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट व राज्य सरकार के संबंधित आला अफसर अनेक बार खनन पर रोक लगाने के समय-समय पर आदेश जारी करते रहे, लेकिन बेहद ताकतवर खनन माफिया अपनी ऊँची राजनीतिक पहुंच और प्रशासन से सांठगांठ करके खनने करते रहे। पर्यावरण समर्थक, जो भी लोग इस खनन के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं या न्यायालयों का दरवाजा खटखटाते हैं माफियाओं से डरे-छिपे रहते हैं। मीडिया भी इस ओर जरूरी ध्यान नहीं देता। पर अब की अच्छी बात यह हुई कि मौजूदा जिला प्रशासनिक व पुलिस अफसरों ने इलाहाबाद हाई कार्ट के फैसले को गंभीरता से लिया और उसका तत्काल प्रभाव से पालन भी करा दिया। इससे पर्यावरण प्रेमी बेहद खुश हैं।