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जनसत्ता, 19 जुलाई, 2016

उन्होंने कहा कि एनजीटी के इस फैसले के खिलाफ पुनर्याचिका दायर की जाएगी। यूनाइटेड फ्रंट ऑफ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव श्यामलाल गोला ने कहा कि अभी दिल्ली में सरकार ने डीजल गाड़ियों को लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनाई गई है। इस आदेश से करीब 2.50 लाख परिवार प्रभावित होंगे। उनका कहना है कि दिल्ली में ज्यादातर सिंगल ऑपरेटर हैं। जो सब्जी मंडी से दिल्ली भर के बाजारों या आस-पास के बाजार से दूसरे बाजारों में माल ढुलाई करते हैं। यदि उनकी गाड़ी ठीक है और जाँच में हर तरह से ठीक पाई जाती है तो उन पर बेवजह गाज गिर जाएगी। क्योंकि उनके पास कम पूँजी होती है और ये गाड़ियाँ उनकी आजीविका का साधन होती हैं।
प्रदूषण कम करने के लिये बायोडीजल के विकल्प पर सोचा जाए
ऑल डीजल मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष भीम वाधवा का कहना है कि यह गरीब आदमी को मारने वाली बात है। इंजन पुराना होता है लेकिन गाड़ी बदलने की बात की जाती है। इन पुरानी गाड़ियों के इंजन बदलकर भी एक रास्ता निकाला जा सकता है। यदि लोग नई गाड़ी लाएंगे तो इसके ट्रांसपोर्ट पर असर पड़ेगा। वाधवा का कहना है कि गाड़ियों की सर्विस सही जरूरी है केवल पुरानी मानकर बंद करना गलत होगा। साथ ही बायो डीजल का भी विकल्प है। जिसकी उचित व्यवस्था कर डीजल गाड़ियों को चलाया जा सकता है। जिससे प्रदूषण भी नहीं होगा और ट्रांसपोर्टरों को भी परेशानी नहीं होगी।
बिना किसी पॉलिसी के पंजीयन रद्द करना गलत
ऑल डीजल मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के चेयरमैन कुलकरण का कहना है कि एनजीटी के इस निर्णय से दिल्ली में 30 से 35 हजार डीजल गाड़ियाँ प्रभावित होंगी। लोगों ने अपनी गाड़ियों के पहले से 5 से 6 लाख रुपये टैक्स जमा किया है। बिना किसी पॉलिसी के उनकी गाड़ियों का पंजीकरण रद्द करना सरासर गलत है। इस पर भी सरकार को सोच विचार करना चाहिए। क्योंकि इसका सबसे ज्यादा असर कॉमर्शियल गाड़ियों पर पड़ेगा। जिन्होंने टोल टैक्स, ग्रीन टैक्स और सेलटैक्स के पैसे पहले से ही जमा किये हैं।