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जनसत्ता, 01 दिसंबर, 2016
हरियाणा सरकार की याचिका पर पंजाब से जवाब तलब, रिसीवर से रिपोर्ट मांगी। नहर की जमीन भूस्वामियों को लौटाने के पंजाब के प्रस्ताव को रुकवाने की अर्जी
सतलुज यमुना जोड़ नहर (एसवाईएल) के मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को करारा झटका पहुँचा। अदालत ने सतलुज यमुना जोड़ नहर पर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दे दिए। साथ ही, अदालत ने पंजाब सरकार को हरियाणा की याचिका को लेकर जवाब मांगते हुए नोटिस दिया है। अपने आदेश में अदालत ने कहा कि नियुक्त किए गए तीनों रिसीवर बताएँ कि जमीनी हकीकत क्या है। तीनों से लिखित रिपोर्ट तलब की गई है। तीनों रिसीवर-केंद्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब के पुलिस महानिदेशक को 10 दिनों में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।अपनी याचिका में हरियाणा सरकार ने पंजाब सरकार की ओर से की जा रही मनमानी पर ऐतराज जताते हुए अदालत से पुरानी डिक्री को लागू करने की मांग की है। साथ ही एसवाईएल की जमीन सुरक्षित रखने के लिये रिसीवर नियुक्ति की भी मांग की है, जिससे कि जमीन और आधी बन चुकी नहर को कोई नुकसान न पहुँचे। हरियाणा सरकार का कहना है कि पंजाब सरकार ने नहर का अस्तित्व ही मिटाना शुरू कर दिया है।
पंजाब ने एसवाईएल की जमीन भूस्वामियों को वापस करने का प्रस्ताव पारित कर दिया तो हरियाणा ने इसे रुकवाने के लिये सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की। हरियाणा ने अपनी अर्जी और हलफनामे में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नहर का निर्माण पूरा करने का आदेश दिया था। केंद्र ने उस आदेश के बाद 2004 में केंद्रीय कमेटी भी गठित की, लेकिन इसके बाद नहर के निर्माण के लिये कुछ नहीं किया गया। ऐसे में केंद्र का दायित्व बनता है कि वह कोर्ट के आदेश के मुताबिक नहर का निर्माण पूरा करे। एसवाईएल के लिये अधिगृहीत जमीन भूस्वामियों को वापस देने के पंजाब के प्रस्ताव को देखते हुए हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि अदालत तत्काल जमीन की सुरक्षा के लिये रिसीवर नियुक्त करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लोग जमीन पर कब्जा कर लेंगे। इससे कोर्ट का आदेश निष्फल हो जाएगा। हरियाणा ने पंजाब पर आरोप लगाया है कि उसने हमेशा एसवाईएल परियोजना में बाधा डाली है। पंजाब कभी नहीं चाहता था कि हरियाणा को उसके हिस्से का 3.50 एमएएफ पानी मिले।