हे मेरी तुम सोई सरिता!

Submitted by admin on Fri, 09/06/2013 - 11:47
Source
काव्य संचय- (कविता नदी)
हे मेरी तुम सोई सरिता!
उठो,
और लहरों से नाचो
तब तक, जब तक
आलिंगन में नहीं बाँध लूँ
और चूम लूँ
तुमको!
मैं मिलने आया बादल हूँ!!

‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ से संकलित