हमारे लिए पीने का पानी बचेगा क्या!

Submitted by Hindi on Wed, 11/03/2010 - 10:25
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डी डब्ल्यू/आभा मोंढे


सालों साल इस धरती पर मीठा पानी बना और अब इसके ख़त्म होने का खतरा पैदा होने लगा है। क्योंकि इसका इस्तेमाल बहुत तेजी से हो रहा है। पूरी धरती पर ढाई फ़ीसदी पानी पीने का है। यही नहीं जो पानी बचा है उसे भी हम गंदा कर रहे हैं।

सीसा, भारी धातुएं, फॉस्फर, सब मिला कर पानी पीने लायक रह ही कहां जाता है। 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया। इसमें चिंता जताई गई पीने का पानी लगातार कम हो रहा है। भारत में साफ़ पानी लोगों को नहीं मिलता। लेकिन घर में कचरे का प्लास्टिक हम फिर भी बाहर फेंक देतें हैं, या अगर नदी के मुहाने पर शहर का कचरा नालियों से बहता आ रहा हो, तो भी हमारे अंदर कोई खलबली नहीं मचती।

जावा में चितरुम नदी की हालत देख कर इंडोनेशिया के पूर्व ऊर्जा और खनन मंत्री कुन्तोरो मांग कुसु ब्रोतो ने कहा, 'पानी को देखने की जरूरत ही नहीं है, वहां से आती बदबू काफी है। उसी से पता चल जाता है कि पानी कितना दूषित है और नदी कूड़ा घर बन गई है। पानी काला हो गया है उसमें हर संभव कचरा पड़ा हुआ है। यह समझने के लिए आदमी को बहुत बुद्धिमान होने की ज़रूरत नहीं कि इस पानी की गुणवत्ता खराब हो गई है।'

इसी नदी को साफ़ करने के लिए कुन्तोरो ने अभियान शुरू किया। इस नदी के गंदे होने का मुख्य कारण कारखाने थे। यही हालत भारत की नदियों की भी है। चाहे यमुना की बात कर लें या फिर गंगा की। ये तो बड़ी नदियां हैं, छोटी नदियों की हालत की तो क्या बात करें। जबकि अगर इन नदियों पर ठीक से काम किया जाए उन्हें साफ़ रखा जाए, पानी इकट्ठा करने की कोशिश की जाए तो पानी की मुश्किल थोड़ी को ख़त्म होगी।

विश्व जल दिवस पर कुछ चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए गए।
• एशिया और अफ़्रीका की बात करें तो यहां की महिलाएं पानी लेने के लिए रोज ही औसतन 6 किलोमीटर पैदल चलती हैं।
• भारत के 1 करोड़ 95 लाख ग्रामीण नागरिकों को साफ पानी नहीं मिलता तो शहरी इलाक़ों के 11 प्रतिशत घरों में साल के कई दिन किसी भी प्रकार का पानी नहीं मिलता।
• गंदे पानी से होने वाली बीमारी डायरिया से 5 साल से कम उम्र के लगभग 3 लाख 86 हज़ार बच्चों की हर साल मौत होती है।

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रास एंड रेड क्रीसेंट संस्था यानी आईएफ़आरसी संस्था पानी को बचाने और उसका सही उपयोग करने के लिए सभी देशों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। आईएफआरसी ने 2015 तक 70 लाख लोगों तक साफ पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।

रिपोर्टः डी डब्ल्यू/आभा मोंढे

संपादनः ए कुमार