Source
राजस्थान पत्रिका, 17 नवम्बर, 2016
चण्डीगढ़। पंजाब की अकाली-भाजपा सरकार ने रावी-व्यास नदियों के पानी में हरियाणा का हिस्सा देने के मामले में सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर का निर्माण किये जाने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर बाजी अपने हाथ में बनाए रखने के लिये बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र में विधेयक पारित कराने के बजाय सदन की ओर से दो प्रस्ताव पारित कराए गए।
इनमें एक प्रस्ताव में बादल सरकार को सदन ने सर्वसम्मति से निर्देश दिये कि पंजाब के क्षेत्र में आने वाली भूमि पर सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये किसी भी एजेंसी को जमीन न दी जाये। दूसरे प्रस्ताव में सदन ने निर्देश दिया कि हरियाणा और राजस्थान से नहर के जरिए दिये गए पानी की कीमत वसूल की जाये।
विधानसभा में कांग्रेस के 42 सदस्यों की नामौजूदगी में ये दोनों प्रस्ताव पारित किये गए। कांग्रेस सदस्य सम्पर्क नहर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रोष जताने के लिये पहले ही सदन से इस्तीफा दे चुके हैं हालांकि स्पीकर ने कांग्रेस सदस्यों के इस्तीफे मंजूर नहीं किये थे लेकिन वे अपने फैसले पर कायम रहते हुए इस सत्र में शामिल नहीं हुए। इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गई।
बीकानेर। पंजाब विधानसभा की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद अब पंजाब की ओर से राजस्थान को इसका बिल भेजा जाएगा। प्रारम्भिक अनुमान के मुताबिक राजस्थान से गत पचास साल का रॉयल्टी पेटे 80 हजार करोड़ रुपए पंजाब देने की माँग करेगा। पंजाब ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान को 1 नवम्बर 1966 से दिये गए पानी के लिये रॉयल्टी ली जाएगी।
पंजाब के इस बिल से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2004 में पंजाब ने टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट को कोर्ट रद्द कर चुका है। एक तरफ पंजाब सरकार कुछ भी थोपना चाहे उसका कोई मतलब नहीं है... - डॉ. रामप्रताप, सिंचाई मंत्री, राजस्थान
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने विधानसभा में कहा कि रिपेरियन सिद्धान्त के अनुसार राजस्थान का तो रावी-व्यास नदी जल में कोई हक नहीं बनता है। बादल ने गैर रिपेरियन राज्यों से पानी की कीमत वसूल करने व सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये भूमि न देने के प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जल बँटवारे पर जो सलाह राष्ट्रपति को दी है उससे पंजाब के सामने संकट खड़ा हो गया है। इस नाजुक घड़ी में थोड़ी भी गलती से बड़ा नुकसान हो सकता है।
उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह लड़ाई बयानों के बजाय पूरे पंजाब की एकजुटता से लड़ी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब को पानी कुदरत ने दिया है किसी सरकार ने नहीं।
सुखवीर : उपमुख्यमंत्री सुखवीर सिंह बादल ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब नदी जल बँटवारे और सम्पर्क नहर के निर्माण से सम्बन्धित अध्याय बन्द हो गया है। एक दिन पहले कैबिनेट द्वारा किये गए फैसले के अनुसार सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये अधिग्रहीत भूमि मुक्त कर दी गई है।
विधानसभा के आदेश के अनुसार अब पंजाब सरकार और प्रशासन यह भूमि नहर निर्माण के लिये किसी भी एजेंसी को नहीं दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब इस जमीन पर किसी न्यायालय का स्थगन भी नहीं है। अधिग्रहण से मुक्त की गई जमीन के हस्तान्तरण के लिये अधिसूचना जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा, कोई भी विधानसभा के निर्देशों का उल्लंघन करेगा तो अवमानना का दोषी होगा। सुखवीर ने कहा कि पंजाब सरकार के सिंचाई व वित्त विभाग मिलकर कीमत तय कर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली से वसूली की कार्रवाई करेंगे।
इनमें एक प्रस्ताव में बादल सरकार को सदन ने सर्वसम्मति से निर्देश दिये कि पंजाब के क्षेत्र में आने वाली भूमि पर सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये किसी भी एजेंसी को जमीन न दी जाये। दूसरे प्रस्ताव में सदन ने निर्देश दिया कि हरियाणा और राजस्थान से नहर के जरिए दिये गए पानी की कीमत वसूल की जाये।
विधानसभा में कांग्रेस के 42 सदस्यों की नामौजूदगी में ये दोनों प्रस्ताव पारित किये गए। कांग्रेस सदस्य सम्पर्क नहर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर रोष जताने के लिये पहले ही सदन से इस्तीफा दे चुके हैं हालांकि स्पीकर ने कांग्रेस सदस्यों के इस्तीफे मंजूर नहीं किये थे लेकिन वे अपने फैसले पर कायम रहते हुए इस सत्र में शामिल नहीं हुए। इसके बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गई।
पंजाब राजस्थान से माँगेगा 80 हजार करोड़ रुपए
बीकानेर। पंजाब विधानसभा की ओर से प्रस्ताव पारित होने के बाद अब पंजाब की ओर से राजस्थान को इसका बिल भेजा जाएगा। प्रारम्भिक अनुमान के मुताबिक राजस्थान से गत पचास साल का रॉयल्टी पेटे 80 हजार करोड़ रुपए पंजाब देने की माँग करेगा। पंजाब ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान को 1 नवम्बर 1966 से दिये गए पानी के लिये रॉयल्टी ली जाएगी।
पंजाब के इस बिल से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2004 में पंजाब ने टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट को कोर्ट रद्द कर चुका है। एक तरफ पंजाब सरकार कुछ भी थोपना चाहे उसका कोई मतलब नहीं है... - डॉ. रामप्रताप, सिंचाई मंत्री, राजस्थान
राजस्थान का जल पर अधिकार नहीं- बादल
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने विधानसभा में कहा कि रिपेरियन सिद्धान्त के अनुसार राजस्थान का तो रावी-व्यास नदी जल में कोई हक नहीं बनता है। बादल ने गैर रिपेरियन राज्यों से पानी की कीमत वसूल करने व सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये भूमि न देने के प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जल बँटवारे पर जो सलाह राष्ट्रपति को दी है उससे पंजाब के सामने संकट खड़ा हो गया है। इस नाजुक घड़ी में थोड़ी भी गलती से बड़ा नुकसान हो सकता है।
उन्होंने विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह लड़ाई बयानों के बजाय पूरे पंजाब की एकजुटता से लड़ी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब को पानी कुदरत ने दिया है किसी सरकार ने नहीं।
एसवाईएल के निर्माण से सम्बन्धित अध्याय बन्द
सुखवीर : उपमुख्यमंत्री सुखवीर सिंह बादल ने सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब नदी जल बँटवारे और सम्पर्क नहर के निर्माण से सम्बन्धित अध्याय बन्द हो गया है। एक दिन पहले कैबिनेट द्वारा किये गए फैसले के अनुसार सम्पर्क नहर के निर्माण के लिये अधिग्रहीत भूमि मुक्त कर दी गई है।
विधानसभा के आदेश के अनुसार अब पंजाब सरकार और प्रशासन यह भूमि नहर निर्माण के लिये किसी भी एजेंसी को नहीं दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि अब इस जमीन पर किसी न्यायालय का स्थगन भी नहीं है। अधिग्रहण से मुक्त की गई जमीन के हस्तान्तरण के लिये अधिसूचना जारी कर दी गई है। उन्होंने कहा, कोई भी विधानसभा के निर्देशों का उल्लंघन करेगा तो अवमानना का दोषी होगा। सुखवीर ने कहा कि पंजाब सरकार के सिंचाई व वित्त विभाग मिलकर कीमत तय कर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली से वसूली की कार्रवाई करेंगे।