वाराणसी। रोज सुबह आठ ट्रैक्टर टालियां मिट्टी लेकर डाफी-लंका मार्ग से पहुंचती हैं शुक्रेश्वर तालाब। शुक्रेश्वर तालाब एक ऐतिहासिक तालाब है, जो कि धीरे –धीरे पट रहा है।
कुडों-तालाबों के संरक्षण को लेकर नगर निगम संजीदगी का शुक्रेश्वर तालाब ताजा नमूना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की भी धज्जी उड़ाई जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाए। जिसका काम होगा कि जिले की सभी जल निकायों को चिन्हित करे और उसके संरक्षण के लिए योजनाएं बनवाए।
वाराणसी में इस फैसले के आलोक में जिलाधिकारी वाराणसी ने 20 से अधिक अफसरों व एनजीओ की एक संरक्षण कमेटी रजिस्टर्ड करा रखी है। इसे 63 जलाशयों का संरक्षण-पुनरोद्धार करना है। प्रत्येक सदस्य की ओर से कमेटी की फोटो कापी हलफनामे के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमा होनी है। यह काम नगर निगम को करना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की 11 दिसंबर 08 से दो नोटिसें मिल चुकी हैं।
पर नगर निगम अभी भी आंखें बंद किए बैठा है। जलाशय संरक्षण के लिए सर्वाधिक सक्रिय और हमारी वरुणा अभियान से जुड़े एसएन गौड़ का कहना है कि नगर निगम पूरी तरह से निष्क्रिय है। उसको कुडों-तालाबों के संरक्षण को लेकर कोई चिंता नहीं है।
कुडों-तालाबों के संरक्षण को लेकर नगर निगम संजीदगी का शुक्रेश्वर तालाब ताजा नमूना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों की भी धज्जी उड़ाई जा रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाए। जिसका काम होगा कि जिले की सभी जल निकायों को चिन्हित करे और उसके संरक्षण के लिए योजनाएं बनवाए।
वाराणसी में इस फैसले के आलोक में जिलाधिकारी वाराणसी ने 20 से अधिक अफसरों व एनजीओ की एक संरक्षण कमेटी रजिस्टर्ड करा रखी है। इसे 63 जलाशयों का संरक्षण-पुनरोद्धार करना है। प्रत्येक सदस्य की ओर से कमेटी की फोटो कापी हलफनामे के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमा होनी है। यह काम नगर निगम को करना है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की 11 दिसंबर 08 से दो नोटिसें मिल चुकी हैं।
पर नगर निगम अभी भी आंखें बंद किए बैठा है। जलाशय संरक्षण के लिए सर्वाधिक सक्रिय और हमारी वरुणा अभियान से जुड़े एसएन गौड़ का कहना है कि नगर निगम पूरी तरह से निष्क्रिय है। उसको कुडों-तालाबों के संरक्षण को लेकर कोई चिंता नहीं है।