इस दीवाली दीजिए अपनों को खास तोहफ़ा

Submitted by RuralWater on Sun, 11/08/2015 - 11:48

दीपावली विशेष


.छत्तीसगढ़ सरकार ने हर वर्ष की तरह अपनी अखण्ड परम्परा को निभाते हुए पर्यावरण संरक्षण नियम 1986 के प्रावधानों के तहत पटाखों से सम्भावित ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिये कई तरह के निर्देश जारी किये हैं। राज्य के सभी जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को परिपत्र जारी कर कहा गया है कि निर्धारित मानकों से अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले पटाखों के उत्पादन और उनकी बिक्री को प्रतिबन्धित किया जाये।

साथ ही नसीहत भी दी गई है कि सभी स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों को ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण की समस्या की जानकारी देकर उन्हें पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में भी अवगत कराया जाना चाहिए। इसके लिये समाज में जन-जागरण अभियान चलाकर उसमें छात्र-छात्राओं को भी जोड़ा जाना चाहिए।

धरातल पर राज्य सरकार की इस नसीहत से कोई प्रभाव होता तो नजर नहीं आ रहा है। इसका कारण सरकारी इच्छाशक्ति की कमी और कागजी खानापूर्ति की प्रक्रिया है। लेकिन प्रदूषण के प्रति राज्य सरकार की उदासीनता रायपुरवासियों के लिये अच्छा संकेत नहीं है। लेकिन अगर आप यह सीधे-सीधे लोगों को समझाने जाएँगे तो भी आपकी खैर नहीं। “क्यों तो क्या हम दीवाली न मनाएँ, क्या अब हमें पटाखे छोड़ने की भी छूट नहीं मिलेगी। अरे, एक दिन पटाखे जला लेने से कुछ नहीं होगा” इस तरह के सवाल-जवाबों से आपके पसीने छूट जाएँगे।

लेकिन इन सवालों का एक सीधा सा जबाव है, जिसे समझना हम सबके लिये बेहद जरूरी है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कमेटी नेशनल एबिंयट एयर क्वालिटी स्टैंड ने अपनी रिपोर्ट में रायपुर को देश का तीसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया है। रिपोर्ट में इलाहाबाद पहला, ग्वालियर दूसरा और रायपुर तीसरा सबसे ज्यादा प्रदूषण वाला शहर है।

इस रिपोर्ट में देश के 175 शहरों में हवा की गुणवत्ता की निगरानी करने के बाद तथ्य जुटाए गए हैं। रिपोर्ट में 28 शहरों की स्थिति भयावह बताई गई है। रायपुर भी इनमें से एक है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार देश के 137 शहरों में हवा में प्रदूषणकारक पीएम 10 का स्तर निर्धारित मानक से ज्यादा पाया गया है। इन शहरों में नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर भी अधिक है।

रायपुर स्थित रविशंकर विश्वविद्यालय के केमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर शम्स परवेज कहते हैं कि रायपुर में प्रदूषण बढ़ने के चार कारण हैं। यातायात से 45 फीसदी, उद्योगों से 25 फीसदी, बर्निंग बायोमास से 15 फीसदी और निर्माण कार्य के कारण सात फीसदी तक प्रदूषण बढ़ा है। दीवाली पर होने वाला प्रदूषण भी लोगों का जीना मुहाल कर रहा है।

हर साल यह प्रदूषण 1200 माइक्रोग्राम मीटर क्यूब से अधिक ही होता है। केन्द्र सरकार देश में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए पाँच वायु प्रदूषण केन्द्र बनाने का मसौदा तैयार कर रहा है। इसमें एक केन्द्र छत्तीसगढ़ में और बाकी चार असम, गुजरात, केरल और हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया जाएगा।

एक अध्ययन के मुताबिक दीपावली पर वायु प्रदूषण का स्तर 6 से 10 गुना तक बढ़ जाता है। दीवाली की रात अस्थमा के रोगियों के लिये तकलीफदेह तो होती ही है, उनकी संख्या को भी बढ़ा देती है। ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक हो जाता है। रायपुर तो पहले से ही प्रदूषित है। यहाँ की हवा में एसपीएम 250 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है।

पिछले वर्ष दीवाली में इतना वायु प्रदूषण हुआ कि शहर में कोहरे की स्थिति बन गई थी। छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुमान के मुताबिक प्रदूषण का स्तर 1300 माइक्रोग्राम मीटर क्यूब के आसपास था, जो रायपुर के लिये औसत प्रदूषण से पाँच गुना अधिक था। एक अन्य अनुमान के मुताबिक यदि प्रदूषण का स्तर एक माइक्रोग्राम मीटर क्यूब भी बढ़ता है तो सीधे-सीधे हजारों लोगों को प्रभावित करता है। पटाखों में सल्फर, नाइट्रड्स, कार्बन सोडियम और पोटेशियम के अपमिश्रण होते हैं, जो हवा में घुलकर उसे प्रदूषित करते हैं।स्थानीय पर्यावरणविदों की मानें केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा पीएम 10 का औसत स्तर प्रति घन मीटर 60 माइक्रोग्राम से 11 गुना अधिक है। यह हमारे लिये घातक है। रायपुर के उरला-सिलतरा औद्योगिक क्षेत्रों में हुए सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि यहाँ बीमार पड़ने वाले 70 प्रतिशत लोग प्रदूषण से प्रभावित होकर डॉक्टर के पास पहुँचते हैं। उनकी बीमारियों के लिये इलाके की वायु जिम्मेदार है।

पिछले वर्ष दीवाली में इतना वायु प्रदूषण हुआ कि शहर में कोहरे की स्थिति बन गई थी। छत्तीसगढ़ प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुमान के मुताबिक प्रदूषण का स्तर 1300 माइक्रोग्राम मीटर क्यूब के आसपास था, जो रायपुर के लिये औसत प्रदूषण से पाँच गुना अधिक था। एक अन्य अनुमान के मुताबिक यदि प्रदूषण का स्तर एक माइक्रोग्राम मीटर क्यूब भी बढ़ता है तो सीधे-सीधे हजारों लोगों को प्रभावित करता है।

पटाखों में सल्फर, नाइट्रड्स, कार्बन सोडियम और पोटेशियम के अपमिश्रण होते हैं, जो हवा में घुलकर उसे प्रदूषित करते हैं। ये रसायन मनुष्यों के साथ हर उस प्राणी के लिये हानिकारक होते हैं, जो हवा में श्वास लेता है। वक्ष एवं फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुल श्रीवास्तव कहते हैं कि जिन्हें क्षय रोग या फेफड़े से सम्बन्धित बीमारी है, साँस सम्बन्धी बीमारी वाले यानि अस्थमा, एलर्जी वाले रोगियों को आतिशबाजी से बिलकुल दूर रहना चाहिए।

पटाखे फटने के बाद निकले धुएँ में आर्गेनिक कार्बन के अलावा कई हानिकारक तत्व होते हैं। जो फेफड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं। जिससे साँस लेने में तकलीफ होती है और कई बार दम घुटने जैसी स्थिति बन जाती है। लोगों को धुएँ के कारण एलर्जी की समस्या हो सकती है। आँखों में भी संक्रमण और जलन की परेशानी हो सकती है। रायपुर में वैसे भी अत्यधिक प्रदूषण के चलते अस्थमा और क्षय रोग के मरीज तेजी से बढ़े हैं।

रायपुर के टीबी और चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के पंडा का कहना है कि रायपुर के अलावा कोरबा और रायगढ़ में औद्योगिक प्रदूषण के कारण लगातार क्षय व अस्थमा के मरीज बढ़ रहे हैं। रायगढ़ की तो पहचान ही टीबी जोन के रूप में होने लगी है। पिछले तीन महीनों के भीतर जिले में टीबी के 787 नए मरीजों की पहचान हुई है। इसका मतलब है रोजाना करीब 8 से 9 नए मरीज। यह आँकड़ा स्वास्थ्य विभाग का है।

छत्तीसगढ़ के साथ सबसे दुखद पहलू यह है कि कभी 44 प्रतिशत वन-आच्छादित इस प्रदेश में औद्योगिक विकास और अवैध कटाई के कारण तेजी से जंगल घटे हैं। हालात यह है कि प्रदूषण से लड़ने के लिये राज्य सरकार पिछले कई सालों से हरिहर छत्तीसगढ़ अभियान चला रही है।

ऑक्सीजोन केवल कागजों पर सिमट कर रह गए हैं। इस साल भी 3 अगस्त को केन्द्रीय वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने अभियान की शुरुआत की है। राज्य सरकार का इस वर्ष का लक्ष्य 10 करोड़ पौधे रोपने का है। इसके लिये सरकार विभागों के अलावा सामाजिक संगठनों, स्कूल-कॉलेजों और उद्योगों का सहयोग भी लिया जा रहा है।

अब देश के तीसरे सबसे प्रदूषित शहर में रहने वाले रायपुरवासियों को खुद ही तय करना होगा कि जहरीली फ़िजा में और जहर घोलना चाहते हैं या खुद को और अपने बच्चों को प्रदूषण मुक्त वातावरण देने की दिशा में एक छोटा सा कदम बढ़ाते हैं। यह भी याद रखिएगा कि टीबी या अस्थमा के अगले शिकार कहीं आप ही तो नहीं है, इसलिये अपने आसपास के प्रदूषण को घटाने में जो भी सार्थक प्रयास आप कर पाएँ, जरूर कीजिएगा। आपका यह छोटा सा प्रयास आपकी तरफ से आपके परिवार और पड़ोसियों का दीवाली का शानदार तोहफ़ा होगा।