जै दिन जेठ बहे पुरवाई

Submitted by Hindi on Sat, 03/20/2010 - 09:45
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घाघ और भड्डरी

जै दिन जेठ बहे पुरवाई
तै दिन सावन धूरि उड़ाई।।


भावार्थ- जेठ में जितने दिन पुरवा हवा चलेगी सावन में उतने दिन धूल उड़ेगी यानी पानी नहीं बरसेगा।