जहर बुझा पानी

Submitted by admin on Mon, 09/22/2008 - 19:16

चांद नहीं यह हिडंन नदी हैचांद नहीं यह हिडंन नदी हैसंजय तिवारी/ उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में बहनेवाली हिडंन जब दिल्ली के पास यमुना में आकर मिलती है तो कितनों को तारती है पता नहीं लेकिन बहुतों को मारती जरूर है।

अब इस बात का दस्तावेजी प्रमाण हैं कि पिछले पांच सालों में प्रदूषित हिंडन के कारण 107 लोगों को कैंसर हुआ है। कौन हैं वो लोग जिन्होंने एक नदी को मारने का हथियार बना दिया? मेरठ के पास जयभीम नगर झोपड़पट्टी में पिछले 5 सालों में ही 124 लोग काल के गाल में समाहित हो चुके हैं। इन गरीबों का कसूर यह है कि वे मिनरल वाटर नहीं पीते। वे जो पानी भूमि के गर्भ से निकालकर पीते हैं वह इतना जहरीला है कि बचना संभव नहीं।

हिमालय की तराई में सहारनपुर से अपनी 260 किलोमीटर की यात्रा में हिडंन इतने लोगों को मारती है कि अब यह एक नहीं बल्कि त्रासदी हो गयी है। अपनी इस यात्रा के दौरान नदी के गर्भ में चीनी मिल, पेपर मिल, स्टील के कारखाने, डेयरी उद्योग की गंदगी, कत्लखानों का कचरा और औद्योगिक घरानों की समृद्धि का अपशिष्ट सबकुछ आकर समाहित हो जाता है। औद्योगिक घरानों को अपने मुनाफे की जितनी फिक्र होती है उसकी आधी भी अगर पर्यावरण की चिंता हो तो हिंडन जैसी नदियों की यह दुर्दशा भला क्यों हो?

सेंटर फार साईंस एण्ड एन्वायरमेन्ट और जनहित फाउण्डेशन ने Hindon River: Gasping for Breath नाम से उन छह जिलों का एक अध्ययन किया है जहां से हिडंन गुजरती है। इसमें नदी के साथ-साथ आस पास के गावों के लोगों को भी अध्ययन के दौरान शामिल किया गया। अध्ययन बताता है कि न तो नदी सुरक्षित है और न ही नदी के किनारे रहनेवाले लोग। भूजल खतरनाक स्तर तक प्रदूषित हो गया है। नदी में हैवी मेटल और घातक रसायनों की मिलावट इतनी ज्यादा है कि पानी पाताल तक प्रदूषित हो गया है। जब पानी का यह हाल हो तो यह कल्पना भी नहीं की जा सकती कि उसके आस पास किसी प्रकार की कोई जैव-विविधता होगी।

हिडंन और उसकी सहायक नदी काली में मेटल और जहरीले रसायनों का मिश्रण स्वीकृत मात्रा से 112 से 179गुना ज्यादा है। इसी तरह क्रोमियम का स्तर स्वीकृत मात्रा से अलग-अलग जगहों पर 46 से 123 गुना अधिक पाया गया है। ऐसी नदी के जहर बुझे पानी से बचने के लिए औरतें मेरठ जैसे विकसित होते शहर के पास होकर भी दो केन साफ पानी के लिए पांच-पांच किलोमीटर की यात्रा करती हैं। उनके सामने और कोई रास्ता भी नहीं है। अगर उन्हें जिन्दा रहना है तो उन्हें यह करना पड़ेगा क्योंकि हिडंन विकास की शूली पर लटका दी गयी है।

 

 

साभार - विस्फोट