जल संसाधन जल के वे स्रोत हैं जो मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं। अधिकांशतः लोगों को ताजे जल की आवश्यकता होती है। जल की उपस्थिति के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। जल एक अक्षय प्राकृतिक संसाधन है। एक अक्षय संसाधन वह संसाधन होता है जिसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से प्रतिस्थापित हो जाता है। जल के महत्वपूर्ण स्रोतों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
सतही जल
धरातलीय जल या सतही जल वह जल है जो पृथ्वी की सतह पर नदियों, झीलों आदि में पाया जाता है जिन में मुख्यतः बारिश का पानी आता है इसे समुद्री जल, भूजल और वायुमण्डलीय जल से अलग समझा जा सकता है। यह जल चक्र का अभिन्न एवं महत्वपूर्ण हिस्सा है। जल को संसाधन के रूप में देखा जाए तो मानव उपयोग में आने वाला ज्यादातर जल धरातलीय जल ही है। इसका कारण यह है कि धरातलीय जल का ज्यादातर हिस्सा मीठा जल है और मानव उपयोग योग्य है। साथ ही यह आसानी से उपलब्ध और दोहन योग्य भी है। साथ ही इसमें मनुष्य की क्रियाओं द्वारा काफ़ी प्रदूषण भी हुआ है
भूजल
भूजल जल धरती की सतह के नीचे चट्टानों के कणों के बीच मौजूद जल को कहते हैं।इसमें मिटटी जल को भी शामिल कर लिया जाता है। भूजल एक मीठे पानी के स्रोत के रूप में एक प्राकृतिक संसाधन है। मानव के लिये जल की प्राप्ति का एक प्रमुख स्रोत भूजल के अंतर्गत आने वाले जलभरे जिसे अंग्रेजी में (aquifiers) भी कहते हैं जिनसे कुओं और नलकूपों द्वारा पानी निकाला जाता है। जो भूजल पृथ्वी के अन्दर अत्यधिक गहराई तक रिसकर प्रविष्ट हो चुका है और मनुष्य द्वारा वर्तमान तकनीक का सहारा लेकर नहीं निकला जा सकता या आर्थिक रूप से उसमें उपयोगिता से ज्यादा खर्च आयेगा, वह जल संसाधन का भाग नहीं है। संसाधन केवल वहीं हैं जिनके दोहन की संभावना प्रबल और आर्थिक रूप से लाभकार हो। अत्यधिक गहराई में स्थित भूजल को जीवाश्म जल या फोसिल वाटर कहते हैं। .