नागौर। वर्षा जल के संरक्षण और इसके सुचारू वितरण की मिसाल देखनी हो नागौर के निकट बासनी बेहलीमा गांव में चले आइए। उम्दा प्रबंधों के चलते बासनी में तालाब सबकी प्यास बुझा रहे हैं। जिला प्रशासन भी बासनी की तर्ज पर विभिन्न गांवों में जल प्रबंधन लागू करने की सोच रहा है।
नागौर से आठ किलोमीटर दूर बसे मुस्लिम बहुल इस गांव में 22 साल पहले तत्कालीन सरपंच हाजी उस्मान की पहल पर जल संरक्षण की शुरूआत हुई। जिसके बूते गांव के 3900 परिवारों के हलक तर हो रहे हैं।
कौमी फंड के बासनी चेरिटेबल ट्रस्ट ने 1985 में गांव में तालाबों के संरक्षण की शुरूआत बापोड़ मार्ग पर खेत में तालाब खुदवाकर की। यही गोवर्घन तालाब गांव का प्रमुख जलस्त्रोत है। वार्ड पंच अब्दुल रहमान गहलोत का कहना है कि गांव में पांच तालाब हैं, इनमें तीन तालाबों का पानी ग्रामीण पीते हैं। भंगीनाडा और सुननाडा का पानी पशुओं के काम आता है।
कोई नहीं तोड़ता नियम
तालाबों को साफ-सुथरा रखने के लिए कडे नियम हैं, जिनकी कोई अवहेलना नहीं करता। उप सरपंच शौकत अली बताते हैं कि ट्रस्ट पांचों तालाबों की देखरेख करता है। गंवई नाडी से महिलाओं को सिर्फ घड़े में पानी ले जाने की अनुमति है। वहां पुरूष प्रवेश नहीं कर सकता। जानवरों को रोकने के लिए चौकीदार है। तालाबों की आगोर भूमि को साफ-सुथरा रखा जाता है। गंदगी फैलाने वाले पर जुर्माने का प्रावधान है।
राशन की तरह वितरण
पानी के लिए ट्रस्ट ने गांव के 3900 परिवारों को कार्ड जारी कर रखे हैं। पानी भरपूर हो तो कार्ड दिखाने पर गोवर्घन तालाब से प्रत्येक परिवार को माह में एक टैंकर, पानी कम होने पर दो माह में एक टैंकर या तीन माह में एक टैंकर पानी भरने की इजाजत दी जाती है। अप्रेल- मई में जलस्तर कम होने पर टैंकर बंद कर दिए जाते हैं और गांव में 20 स्थानों पर सार्वजनिक जलापूर्ति की जाती है। शाम होते ही तालाब के मुख्य दरवाजों पर ताले लगा दिए जाते हैं। अनुकरणीय कार्य।
बासनी बेहलीमा गांव में पेयजल संरक्षण के कार्य अनुकरणीय हैं। प्रदेश में ऎसे प्रयास ग्रामीणों के स्तर पर शायद ही और कहीं हों। हमने इस बारे में राज्य सरकार को अवगत कराया है। ऎसा प्रबंध अन्य गांव व शहरों में करने का प्रयास करेंगे।
Source
पत्रिका डॉट कॉम, 21 सितंबर 2010