जलप्रदूषण (Water pollution)

Submitted by Hindi on Mon, 05/31/2010 - 12:05
मुख्यतः मानवीय कारणों से जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों में होने वाला परिवर्तन जिसके परिणामस्वरूप जल जनस्वास्थ्य, मनुष्यों तथा पशुओं के पीने के लिए और उद्योग, कृषि एवं अन्य विविध उपयोगों के लिए अयोग्य, हानिकारक तथा रोगजनक बन जाता है। किसी जलाशय या नदी में नगरों से निष्कासित गंदे जल तथा औद्योगिक प्रतिष्ठानों से निकले हुए विषैले पदार्थों के मिलने, मृत पशुओं एवं मनुष्यों के सड़ने-गलने आदि अन्यान्य कारणों से जल के भौतिक स्वरूप, रंग तथा स्वाद में परिवर्तन हो जाता है और जल प्रदूषित हो जाता है। सामान्यतः बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगीकरण तथा नगरीकरण से जल प्रदूषण में वृद्धि होती है।