इंद्र धनुष (Rain bow)

Submitted by Hindi on Tue, 12/28/2010 - 09:42
आकाश में दिखाई पड़ने वाला बहुरंगी (स्पेक्ट्रम के रंगों वाला) प्रकाश का चाप जो वर्षा की गिरती हुई बूँदों से होकर सूर्य की किरणों के गुजरने पर निर्मित होता है। जब नीचे गिरती हुई वर्षा की बूँदों में सूर्य की किरणें प्रवेश करती हैं, वे अपवर्तित तथा परावर्तित होकर स्पेक्ट्रम के रंगों में (सात रंगीन पट्टियों के रूप में) विलग हो जाती हैं और इंद्रधनुष को जन्म देती हैं। इंद्र धनुष तब दिखाई देती है जब सूर्य की ऊँचाई 420 या इससे कम होती है और सूर्य की स्थिति के विपरीत दिशा में वर्षा होती है। अतः यह सूर्य के विपरीत दिशा में दिखाई देती है जैसे उत्तरी गोलार्द्ध में, प्रातःकाल पश्चिम दिशा में और सायंकाल पूर्व दिशा में। कभी-कभी दो इंद्रधनुष एक साथ दिखाई देती हैं। भीतर की ओर प्राथमिक इंद्रधनुष और बाहर की ओर गौण इंद्रधनुष होती है। प्राथमिक इंद्रधनुष लगभग 420 की कोणिक त्रिज्या पर दिखाई देती है और इसमें बाहर की ओर लाल रंग और भीतर की ओर बैगनी रंग की पट्टी होती है। गौण इंद्रधनुष अपेक्षाकृत् धुंधली होती है और इसकी उत्पत्ति प्रत्येक वर्षा की बूँद में दोहरे परावर्तन के कारण होती है। यह लगभग 520 की कोणिक त्रिज्या पर दिखाई पड़ती है और इसमें रंगों का अनुक्रम प्राथमिक इंद्रधनुष के विपरीत होता है अर्थात् बाहर की ओर बैगनी रंग और भीतर की ओर लाल रंग।

अन्य स्रोतों से
परावर्तन, पूर्ण आन्तरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण इन्द्रधनुष है। बरसात के मौसम में जब पानी की बूँदे सूर्य पर पड़ती है तब सूर्य की किरणों का विक्षेपण ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण बनता है। आकाश में संध्या के समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी रंगों का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है।

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