Source
पंचायतनामा डॉट कॉम

इन जगहों पर होती है मिट्टी की जांच
झारखंड में कुल आठ जगहों रांची, चक्रधरपुर, गिरिडीह, गुमला, साहिबगंज, दुमका, लातेहार एवं हजारीबाग में राज्य सरकार का अपना मिट्टी जांच प्रयोगशाला है। इन्हीं प्रयोगशालाओं में राज्य के सभी 24 जिले की मिट्टी के नमूने की जांच होती है। हरेक प्रयोगशाला को तीन जिला बंटा हुआ है। इन जगहों पर मिट्टी जांच नि:शुल्क है। किसान प्रखंड कृषि पदाधिकारी या जिला कृषि पदाधिकारी के माध्यम से नमूना जांच करा सकते हैं। जांच के लिए स्वयं भी नमूना भेज सकते हैं। इसके अलावा धनबाद, पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, चतरा, पश्चिमम सिंहभूम, गिरिडीह, साहिबगंज, पूर्वी सिंहभूम एवं पाकुड़ जिले में कृषि विज्ञान केंद्र है। देवघर में जिला प्रशासन के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केंद्र है। रांची में केजीवीके, गुमला में विकास भारती और हजारीबाग में होली क्रॉस मिशन की ओर से भी कृषि विज्ञान केंद्र का संचालन होता है। इस तरह लगभग हर जिले में एक मिट्टी जांच प्रयोगशाला जरूर है। यहां पर मामूली रकम देकर किसान अपने खेत की मिट्टी जांच करवा सकते हैं।
जांच के लिए मिट्टी का सही नमूना लेने की विधि
जिस जगह से नमूना लेना हो, वहां की मिट्टी के ऊपर का घास-फूस साफ कर लें।
कुदाल या खुरपी की सहायता से अंगरेजी के वी आकार का 15 से.मी. गहरा गड्ढा बनायें।
गड्ढे की मिट्टी निकाल कर फेंक दें और गड्ढे की दोनों दीवारों से 2-3 सेमी मोटाई की मिट्टी ऊपर से नीचे तक एक साथ काटें।
एक खेत में 10-12 अलग-अलग स्थानों (बेतरतीब ठिकानों) से मिट्टी लें और उन सबको एक गमला या बाल्टी में जमा करें।
एक खेत से एकत्रित मृदा को अच्छी तरह मिलाकर एक नमूना बनायें। इसके बाद इसमें से 500 ग्राम नमूना लें जो पूरे खेत का प्रतिनिधित्व करता हो।
इस मिट्टी को साफ पॉलीथीन की थैली में भर कर, सूचना पर्चा लगा कर मिट्टी जांच प्रयोगशाला पहुंचा दें। तीन सूचना पर्चा बनायें। एक थैली के अंदर डाल दें, दूसरी थैली के ऊपर बांधें और तीसरा रिकार्ड के लिए अपने पास रख लें।
सूचना परचा
मिट्टी जांच कराने के लिए एक सूचना परचा का भरा जाना जरूरी है। खेत और खेत की फसलों का पूरा ब्यौरा इस सूचना पर्चे में लिखें, जिसमें आपके खेत की मिट्टी की रिपोर्ट तथा सिफारिश को अधिक से अधिक लाभकारी बनाने में मदद मिलेगी।
सूचना परचा निम्न प्रकार से बनायें
1. किसान का नाम
2. खेत का नंबर या पहचान
3. गांव का नाम
4. प्रखंड का नाम
5. जिला का नाम
6. सिंचित-असिंचित
7. उपजायी गयी फसल का नाम
8. उपजाने वाली फसल का नाम
हर तीन साल पर करायें मिट्टी जांच
कम से कम तीन साल के अंतराल पर अपनी जमीन की मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें। एक पूरे फसल चक्र के बाद मिट्टी की जांच की अधिक आवश्यकता होती है। यह जरूरी नहीं है कि मिट्टी की जांच केवल फसल बोने के समय ही करवाई जाये। वर्ष में जब भी जमीन की स्थिति नमूना लेने योग्य हो, नमूना अवश्य लेना चाहिए।