कभी कर्जे में डूबे थे, अब लखपति हैं किसान

Submitted by RuralWater on Thu, 02/09/2017 - 10:30

नेवरी के पास कजली वन मार्ग पर सेतखेड़ी में उम्मीदों का आसमान थामे रामप्रसाद पाटीदार कभी 12 लाख से ज्यादा कर्जे में डूबे थे। आधुनिक खेती, नर्सरी और पॉली हाउस के साथ वे 30 लाख रुपए सालाना मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं। कर्जे चुकाने की खुशी उनके चेहरे पर आसानी से पढ़ी जा सकती है। पाटीदार कहते हैं- एक एकड़ का पॉली हाउस अकेले 50 बीघा जमीन पर भारी पड़ता है। खेती को लाभ का धन्धा बनाने की अनेक कहानियाँ इन दिनों देवास जिले के गाँवों में आपको किसान सुनाते मिल जाएँगे। कुछ-एक किसान तो ऐसे हैं जो लाखों के कर्जे में डूबे होकर हताश थे लेकिन आधुनिक खेती से वे 30 लाख सलाना तक मुनाफा कमा रहे हैं। जिले में पॉली हाउस धूम मचा रहे हैं।

देवास जिले के बायपास, मेंढकी रोड, बरोठा रोड, नेवरी, बागली और हाटपीपल्या क्षेत्र में इन पंक्तियों के लेखक ने जायजा लेकर अनेक किसानों के खेतो में आ रहे बदलाव के हाल जाने। मेंढकी रोड के पहले पॉली हाउस में सुभाष पटेल गुलाब के फूलों की खेती कर रहे हैं। वे एक एकड़ में सलाना 18 लाख मुनाफे की बात कर रहे हैं। युवा दीपक मुकाती ने नौकरी का विचार त्यागा और फूलों की बहार के नायक बन गए। इनके पॉली हाउस के गुलाब देवास, इन्दौर, ग्वालियर और दिल्ली तक जा रहे हैं।

आधे एकड़ में 8 से 10 लाख कमा रहे हैं। उद्योगपति राजेन्द्र प्रसाद अग्रवाल ने बरोठा रोड पर पूरी तरह से पथरीली जमीन पर अनार की खेती कर चमत्कृत कर दिया। 10 एकड़ की जमीन पर पहली फसल में वे 15 लाख कमा चुके हैं। इसी पथरीली जमीन से लक्ष्य है - 50 लाख मुनाफा लेना। उम्मीद है अगले साल वे इसे पा लेंगे। नेवरी के पास कजली वन मार्ग पर सेतखेड़ी में उम्मीदों का आसमान थामे रामप्रसाद पाटीदार कभी 12 लाख से ज्यादा कर्जे में डूबे थे।

आधुनिक खेती, नर्सरी और पॉली हाउस के साथ वे 30 लाख रुपए सालाना मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं। कर्जे चुकाने की खुशी उनके चेहरे पर आसानी से पढ़ी जा सकती है। पाटीदार कहते हैं- एक एकड़ का पॉली हाउस अकेले 50 बीघा जमीन पर भारी पड़ता है। उद्यानिकी विभाग के उप संचालक डॉ. एनएस तोमर कहते हैं- किसानों की इस सफलता का राज आधुनिक खेती, पॉली हाउस, योजनाबद्ध कार्य, लगन, बहुफसली उत्पादन है। किसान नई सोच के साथ यदि वैज्ञानिक तरीके से आगे आएँ तो वे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। पॉली हाउस पर 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है।

देवास में आपको अनेक किसान बिना मिट्टी के खेती करते मिल जाएँगे। वे नारियल के रेशों को पालिथिन में रख (कोकोपिट बेग) भरपूर उत्पादन ले रहे हैं। नेवरी के ही सन्तोष पाटीदार ने कहा- परम्परागत खेती में कुछ हासिल नहीं हो रहा था। पौन एकड़ का पॉली हाउस लगाया। टमाटर लगाए हैं। दस लाख सालाना तक मुनाफे की आस है। कजलीवन के तुलसीराम पाटीदार के पास कुछ 6 एकड़ जमीन है। 12 गाए भी हैं। पौन एकड़ के पॉली हाउस के साथ आधुनिक खेती की ओर हैं। 22 लाख सालाना मुनाफे की उम्मीद है।

दानीघाटी के जितेन्द्र पाटीदार ने भी पौन एकड़ का पॉली हाउस तैयार किया है। कुल जमीन 7 एकड़ है। पहले दो लाख आय थी। अब सालाना 18 लाख कमा रहे हैं। बागली के पास बेरीफाटा में युवा किसान राजेश पाटीदार के पास यहाँ 8 एकड़ जमीन है। पूर्व में आय थी सवा लाख। एक एकड़ में शिमला मिर्च का पॉली हाउस लगाया। 24 लाख सालाना मुनाफे की ओर बढ़ रहे हैं। हाटपीपल्या में व्यवसायी भरत टोंग्या का आधे बीघे का प्रदेश का बाँस का पहला पॉली हाउस है। यहाँ भी एक साल में 5 लाख का टमाटर हो रहा है।

बगैर मिट्टी के फसल तैयार


देवास जिले के किसान अब हाईटेक खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यह सुनने में ताज्जुब लगता है कि बगैर मिट्टी के भी फसल ली जा सकती है, पर यह सच है। देवास के निकट ही बायपास चौराहे से लगे खेत में दो किसानों ने मृदा विहीन फसल लेकर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।

उद्यानकी विभाग की संरक्षित खेती योजना के तहत यहाँ पर पॉली हाउस एवं शेडनेट लगाकर गुलाब, जरबेरा और इटालियन ककड़ी की खेती की जा रही है। कलेक्टर आशुतोष अवस्थी ने गत दिवस इस उन्नत खेती का निरीक्षण कर किसानों को शाबाशी दी। उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक एन.एस. तोमर ने मौके पर बताया कि विभाग की शेडनेट और पॉली हाउस योजना के तहत यह खेती की जा रही है। किसान द्वारा लगभग दो हजार स्क्वेयर मीटर क्षेत्र में शेडनेट लगाया गया है। इसमें इटालियन ककड़ी की बेल लगाई गई है। यह बेल ऊपर की ओर फैलती है एवं इसकी जड़ें जमीन में नहीं हो कर मृदा विहीन होती है।

शेडनेट लगाने में लगभग बीस लाख रुपए का खर्च है। इसमें उद्यानिकी विभाग द्वारा 50 प्रतिशत की सब्सिडी भी दी गई है। फसल लगाने के 120 दिनों की अवधि में लगभग 300 से 400 क्विंटल उत्पादन होता है। वहीं गुलाब और जरबेरा की खेती पॉलीहाउस में की जा रही है। जरबेरा की बिक्री से किसान को लगभग नब्बे हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो रही है।

केवल आधा एकड़ जमीन पर लगाए गए जरबेरा से एक वर्ष में सात लाख रुपए के शुद्ध नफा होने की सम्भावना है। वहीं मृदा विहीन इटालियन ककड़ी में चार से पाँच लाख रुपए का शुद्ध नफा होगा। इटालियन ककड़ी भी केवल आधा एकड़ जमीन पर लगाई गई है। उद्यानकी विभाग के उपसंचालक श्री तोमर का कहना है कि परम्परागत खेती में 10 से 15 हजार रुपए का मुनाफा होता है। उसकी तुलना में उन्नत खेती किसानों को अधिक मुनाफा दे रही है।

इस उन्नत खेती के लिये गुजरात की कम्पनी ने पॉलीहाउस और शेडनेट का निर्माण किया है। स्थानीय कृषक हितग्राही को बारामती महाराष्ट्र भेजकर प्रशिक्षण दिया गया है। कम्पनी की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी यहाँ एक वर्ष के लिये भेजे गए हैं। पॉली हाउस में लगाए गए लाल सुर्ख गुलाब अपने रोपण के ढाई महीने बाद ही फूल देने लगते हैं। पॉली हाउस पूरा पैक होने के कारण यहाँ कार्बन डाइऑक्साइड रात में जमा हो जाती है, जो दूसरे दिन पौधों में प्रकाश संश्लेषण अधिक तेजी से करने में सहायक होती है। यह खेती करने वाले दोनों किसान देवराज और जयराज सोनी तथा पृथ्वीराज चौहान इस उन्नत तकनीक को अपनाकर अन्य किसानों के लिये उदाहरण बन गए हैं।

प्रेरणास्पद मिसाल


देवास के अनेक किसानों ने आधुनिक खेती और पॉली हाउस के साथ प्रेरणास्पद मिसाल प्रस्तुत की है। खासतौर पर पथरीली जमीन और बिना मिट्टी के फसल पर व्यापक कार्य हो रहा है। खेती को लाभ का धन्धा बनाने की दिशा में ये किसान सभी के लिये जीवन्त उदाहरण बन रहे हैं... आशुतोष अवस्थी, कलेक्टर, देवास