कहाँ गुम होते जा रहे हैं ये तालाब

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अनसुना मत करो इस कहानी को (परम्परागत जल प्रबन्धन), 1 जुलाई 1997

सचमुच, ये धरती माता, एक मटके के समान ही है, जिसमें से लगातार पानी उलीचा जा रहा है। हमारे तालाब अंशत: ही सही, लेकिन इस मटके को भरने का ही काम करते थे। सिंचाई का विचार एक तरफ रखकर यदि सोचा जाये, तो जहाँ भी तालाब थे वहाँ के कुओं-बावड़ियों में कम-से-कम पीने को पानी तो मिल ही जाता था; पर पिछले कुछ वर्षों में ज़मीन की बढ़ती भूख और फिर सिंचाई की बढ़ती ललक ने बचे-खुचे तालाबों और उन पर निर्भर जलस्रोतों की आखिरी बूँद तक चूसने के पक्के इन्तजाम कर दिये हैं।

पुराने लोगों को आज भी छप्पनियाँ काल की याद है। छप्पनियाँ काल यानि कि संवत 1956 में पड़ा अकाल। तब पूरे अंचल में बहुत कम वर्षा हुई थी। अकाल में जो थोड़ा-बहुत मोटा-झोंटा अनाज मिलता भी था, उसे सिर्फ सम्पन्न परिवार ही खरीद पाते थे। गरीब ऊमर के पेड़ ढूँढते फिरते थे, ताकि उनके फल या छाल को सुखा-पीसकर खाने को कुछ बना सकें। वे गरीब खुशनसीब होते थे, जिन्हे झुरझुरू (एक घास) के बीजों को पीसकर बनाया गया दलिया खाने को मिल जाया करता था। ऐसे दुष्काल में, कई गाँवों से, लोगों ने रोज़गार की तलाश में पलायन शुरू कर दिया था।

छप्पन के अकाल का असर तीन साल तो बिल्कुल साफ रहा, लेकिन उसके बाद भी कई सालों तक जनता उससे उबर नहीं पाई। तब लोगों का पलायन रोकने और रोज़गार उपलब्ध कराने के लिये, तत्कालीन ग्वालियर रियासत ने नए तालाब बनवाने और पुरानों की मरम्मत करवाने का सिलसिला शुरू किया था। तब के भेलसा और गंज बासौदा परगने में सन 1916 तक 47 पुराने तलाबों का पुनरुद्धार किया गया था और सात नए तालाब बनवाए गए थे।

ये पुराने 47 तालाब मूलत: निस्तारी तालाब थे, जो सदियों से नहाने-धोने और पशुओं को पानी उपलब्ध कराने के काम आते थे। ये और इन जैसे दूसरे अनगिनत तालाबों के निर्माताओं का न तो कोई पता ठिकाना है और न ही कोई ज्ञात इतिहास। ये तालाब और उनके किनारे बने कुओं-बावड़ियों से लोग सदियों से लाभ उठाते चले आ रहे थे। इन तालाबों में इकट्ठा बारिश का पानी धरती माता की प्यास बुझाता था और रिसता हुआ किनारे के जलस्रोतों को जल समृद्ध रखता था। बाद में, जब तालाब फोड़ दिये गए, तो किनारे के जलस्रोत भी सूख गए।

सचमुच, ये धरती माता, एक मटके के समान ही है, जिसमें से लगातार पानी उलीचा जा रहा है। हमारे तालाब अंशत: ही सही, लेकिन इस मटके को भरने का ही काम करते थे। सिंचाई का विचार एक तरफ रखकर यदि सोचा जाये, तो जहाँ भी तालाब थे वहाँ के कुओं-बावड़ियों में कम-से-कम पीने को पानी तो मिल ही जाता था; पर पिछले कुछ वर्षों में ज़मीन की बढ़ती भूख और फिर सिंचाई की बढ़ती ललक ने बचे-खुचे तालाबों और उन पर निर्भर जलस्रोतों की आखिरी बूँद तक चूसने के पक्के इन्तजाम कर दिये हैं। अब, जबकि धरती माता खुद ही प्यासी रहने लगी है, तो नलकूपों का हर रोज नीचे उतरता पानी हमें कहाँ से और कब तक पानी पिलाएगा? जल संकट के इस दौर में हमारे नए जल-प्रबन्ध पर एक बार फिर से विचार करने की जरूरत आन पड़ी है। जरा सोचिये, यदि अनाज कम पैदा हुआ, तो बाहर से मँगाया जा सकता है पर पीने को पानी ही नहीं बचेगा, तो? ऐसे में तलाश करना जरूरी हो गया कि-

कहाँ गुम होते जा रहे हैं, ये तालाब?


हिरनई तालाब: विदिशा से दस मील उत्तर-पूर्व में स्थित हिरनई गाँव में सन 1910 में एक पुराने तालाब की जगह यह तालाब बनाया गया था। तब इसके ऊपर 5,385 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र: 371 बीघा, कुल क्षमता : 1,84,85,312 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 4,65,000 घन फुट

इमलिया तालाब : विदिशा से सात मील उत्तर में बसे इमलिया गाँव के इस पुराने तालाब की मरम्मत 1910 में करवाई गई थी। तब पुराने तालाब की कीमत 1500 रुपए मानकर इसके सुधार और विस्तार पर 6,608 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 143 बीघा, कुल क्षमता : 1,19,17,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,13,125 घन फुट।

खरबई ताल : यह पुराना तालाब विदिशा से सात मील दक्षिण-पूर्व में स्थित था। सन 1909 में इसकी कीमत 1000 रुपए मानकर मरम्मत पर 5,933 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 88 बीघा, कुल क्षमता : 87,27,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3, 89,000 घन फुट।

लश्करपुर ताल : विदिशा से आठ मील उत्तर-पश्चिम में यह एक पुराना तालाब था। सन 1910 में इसकी कीमत 1000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 6,482 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 203 बीघा, कुल क्षमता : 1,60,51,750 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 6,13,33 घन फुट।

मदनखेड़ी ताल : विदिशा से आठ मील दक्षिण-पश्चिम में सन 1910 के करीब पुराने तालाब की जगह एक नया तालाब बनाया गया था। तब तालाब की लागत 6,200 रुपए आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 131 बीघा, कुल क्षमता : 1,28,23,333 वर्ग फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 12,43,333 घन फुट।

रसूला तालाब : विदिशा से छह मील पूर्व की ओर यह एक पुराना तालाब था। सन 1909 में मूल तालाब की कीमत 31,000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 7,083 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 126 बीघा, कुल क्षमता : 95,95,083 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 6,93,333 घन फुट।

मुरारी ताल : गुलाबगंज से तीन मील उत्तर-पूर्व की ओर तथा विदिशा से 15 मील उत्तर -पश्चिम में स्थित, यह एक पुराना तालाब था। सन 1913 में इसका सुधार कार्य करवाया गया था। तब पुराने तालाब की कीमत 1000 रुपए मानकर उसकी मरम्मत पर 3000 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 83 बीघा, कुल क्षमता : 97,80,933 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 10,00,833 घनफुट।

देरखी तालाब : बासौदा से छह मील दक्षिण-पूर्व में यह नया तालाब रियासत ने सन 1914 में बनवाया था। तब इस पर 11,180 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र : 244 बीघा, कुल क्षमता : 2,25,88,125 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,75,000 घन फुट

धारूखेड़ी तालाब : मंडी बामोरा रेलवे स्टेशन से 14 मील उत्तर-पश्चिम में इसे एक पुराने तालाब की जगह बनवाया गया था। सन् 1910 में इसकी मूल लागत 2000 रुपए आँकते हुए, इसके सुधार पर 12,373 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 261 बीघा, कुल क्षमता : 3,56,98,125 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 12,88,125 घन फुट।

घामनौद तालाब : पबई स्टेशन से 20 मील और विदिशा से 30 मील दूर घामनौद गाँव में यह एक पुराना तालाब था। पुराने तालाब की कीमत 1000 रुपए मानते हुए, सन 1909 में 3,379 रुपए खर्च करके इसकी मरम्मत करवाई गई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 75 बीघा, कुल क्षमता : 54,26,250 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 7,35,000 घन फुट।

फरीदपुर तालाब : यह भी एक पुराना था। गंज बासौदा से छह मील दक्षिण में फरीदपुर गाँव से एक मील उत्तर में बने इस तालाब की कीमत सन 1909 में 2000 रुपए आँकी गई थी और इस तालाब की मरम्मत पर 6,834 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 151 बीघा, कुल क्षमता : 1,28,19,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 4,20,000 घन फुट।

ग्यारसपुर तालाब : ग्यारसपुर कस्बे से एक मील दूर यह बड़ा पुराना और लम्बाई में फैला हुआ तालाब था। इस तालाब की मरम्मत के निर्देश ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया ने सन 1904 में दिये थे। उनकी विशेष दिलचस्पी की वजह से इस तालाब में सुधार और मरम्मत का काम सन 1908 से 1911 तक चला। पुराने तालाब की कीमत 2000 रुपए मानकर इसके सुधार पर 7,803 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 264 बीघा, कुल क्षमता : 1,92,60,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 7,35,000 घन फुट।

गरहालो तालाब : पवई रेलवे स्टेशन से पाँच मील दक्षिण-पूर्व में यह एक पुराना और नष्टप्राय तालाब था। इसी तालाब को रियासत ने नए सिरे से सन 1910 में फिर से बनवाया। तब उस पर 7,496 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र : 293 बीघा, कुल क्षमता : 2,56,20,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 1,40,000 घन फुट।

घोंसुआ तालाब : मुगाँवली रेलवे स्टेशन से 13 मील दक्षिण की ओर बीना स्टेशन से 12 मील पश्चिम में यह विशाल तालाब एक पुराने नष्टप्राय तालाब की जगह बनवाया गया था। सन 1910 के करीब निर्मित इस तालाब पर तब 13,940 रुपए की लागत आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 293 बीघा, कुल क्षमता : 4,27,66,666 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 13,86,666 घन फुट।

गुलाबरी तालाब : गंज बासौदा से 16 मील दक्षिण-पूर्व में यह एक बेहद पुराना तालाब था। सन 1911 में इसकी लागत 1000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 882 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 61 बीघा, कुल क्षमता : 62,50,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,60,000 घन फुट।

हिन्नौदा तालाब : पवई रेलवे स्टेशन से चार मील दक्षिण-पूर्व में यह एक बेहद पुराना तालाब था। सन 1910 में इसकी लागत 2000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 7,681 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 108 बीघा, कुल क्षमता : 1,21,27,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,95,000 घन फुट।

कबूलपुर तालाब : पवई रेलवे स्टेशन से सात मील पूर्व की ओर कबूलपुर गाँव में यह एक पुराना तालाब था। सन 1909 में इसकी मूल लागत 1,500 रुपए मानते हुए इसकी मरम्मत पर 6,850 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 401 बीघा, कुल क्षमता : 3,73,84,013 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 6,18,750 घन फुट।

खामखेड़ा तालाब : त्योंदा से तीन मील उत्तर-पूर्व बरेठ रेलवे स्टेशन से 16 मील दक्षिण-पूर्व में खामखेड़ा गाँव के पास पुराने तालाब की जगह यह नया तालाब सन 1910 के करीब बनवाया गया था। पुराने तालाब की कीमत तब 1000 रुपए मानकर उसकी मरम्मत और सुधार पर 5,429 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 124 बीघा, कुल क्षमता : 1,26,70,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 5,28,750 घन फुट।

लड़ेरा ताल : गंजबासौदा से नौ मील और बरेठ रेलवे स्टेशन से चार मील दूर यह एक बेहद पुराना तालाब था। सन 1910-11 में इस तालाब की मूल कीमत 1000 रुपए मानी गई थी और मरम्मत पर 1,397 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 44 बीघा, कुल क्षमता : 1,81,666 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 41,41,666 घन फुट।

लाड़पुर तालाब : गंजबासौदा से 16 मील पश्चिम में यह एक पुराना तालाब था। सन 1908 में इसकी कीमत 1000 रुपए मानकर इसके सुधार पर रियासत ने 2,727 रुपए खर्च किये थे।

कुल डूब क्षेत्र : 47 बीघा, कुल क्षमता : 43,81,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 1,20,000 घन फुट।

मढियासेमरा तालाब : पवई रेलवे स्टेशन से एक मील पश्चिम में और मढियासेमरा गाँव से चार मील पूर्व में यह एक पुराना तालाब था। सन 1909 में पुराने तालाब की कीमत 1,500 रुपए आँकी गई और मरम्मत और सुधार पर 8,424 रुपए खर्च किये गए।

कुल डूब क्षेत्र : 90 बीघा, कुल क्षमता : 79,52,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 1,46,250 घन फुट।

पिपरियानाग तालाब : यह पुराना तालाब विदिशा से छह मील दूर पिपरिया गाँव में था। इस तालाब की मूल लागत 2000 रुपए मानकर सन 1910 में इसके सुधार पर 408 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 23 बीघा, कुल क्षमता : 19,89,998 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 10,83,333 घन फुट।

सलालिया तालाब : विदिशा से 18 मील उत्तर-पश्चिम में यह बहुत पुराना तालाब था। इसकी लागत 2000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर सन 1910 में 7,866 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 65 बीघा, कुल क्षमता : 92,60,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 6,67,500 घन फुट।

सौजना ताल : सुमेर रेलवे स्टेशन से चार मील दक्षिण-पूर्व में और विदिशा के 12 मील उत्तर-पूर्व में सौजना गाँव में सन 1912 में ग्वालियर रियासत ने यह तालाब बनवाया था। तब इसकी लागत 15,598 रुपए आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 589 बीघा, कुल क्षमता : 8,35,00,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 55,00,000 घन फुट।

ठर्र तालाब : विदिशा से 12 मील पूर्व में एक पुराने मामूली तालाब की जगह ये विशाल तालाब सन 1910 में बनवाया गया था। तब इस पर 9,722 रुपए का खर्च आया था और यह पूरा नहीं बन सका था।

कुल डूब क्षेत्र : 399 बीघा, कुल क्षमता : 4,34,51,718 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 14,28,750 घन फुट।

उत्तमाखेड़ी तालाब : यह पुराना तालाब विदिशा से 16 मील उत्तर में उत्तमाखेड़ी गाँव में स्थित था। सन 1914 में इसकी मूल लागत 1000 रुपए मानकर, तालाब के सुधार पर 3,395 रुपए खर्च हुए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 104 बीघा, कुल क्षमता : 67,95,00 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 2,47,500 घन फुट।

परारिया ताल : यह पुराना तालाब विदिशा से आठ मील उत्तर में स्थित था। सन 1910 में इसकी लागत 1000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 7,919 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 363 बीघा, कुल क्षमता : 198,33,720 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,54,370 घन फुट।

नीमताल : यह पुराना तालाब बेहद खस्ता हालत में था। सन 1902-03 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराध सिंधिया द्वारा विदिशा शहर से सटे हुए इस तालाब को चारों तरफ से बाँधने व विस्तार करने के निर्देश दिये गए थे। तब पुराने मूल तालाब की कीमत 4000 रुपए आँकी जाकर मरम्मत और सुधार का 6,685 रुपए का एस्टीमेट बनाया गया, लेकिन इस पर सिर्फ 1088 रुपए खर्च किया गया। पहले इससे सिंचाई की योजना बनाई गई थी लेकिन बाद में इसका खास मकसद विदिशा के लोगों को नहाने-धोने और जानवरों को पानी पिलाने की सुविधा उपलब्ध कराने तक सीमित रखा गया। सन 1908 में इसका कार्य पूरा हुआ।

कुल डूब क्षेत्र : 83 बीघा, कुल क्षमता : 74,96,000 घन फुट।

धतूरिया ताल : यह तालाब गुलाब गंज से उत्तर-पश्चिम और विदिशा से उत्तर दिशा में 17 मील के फासले पर धतूरिया गाँव में था। सन 1910-11 में इस पुराने तालाब की मूल कीमत 3000 रुपए आँकी जाकर इसकी मरम्मत पर 9611 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 240 बीघा, कुल क्षमता : 2,10,47,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 2,10,000 घन फुट।

डंगरवाड़ा ताल : विदिशा से 16 मील दक्षिण-पश्चिम में डंगरवाड़ा गाँव में स्थित इस पुराने तालाब की मूल कीमत सन 1910 में 1000 रुपए मानी गई थी। पुराने तालाब की मरम्मत पर 2,360 रुपए खर्च करके तालाब में सुधार किया गया था।

कुल डूब क्षेत्र : 103 बीघा, कुल क्षमता : 7,19,4,375 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 6,37,500 घन फुट।

इकौदिया ताल : गुलाबगंज से 14 मील उत्तर-पश्चिम में इकोदिया गाँव के पुराने तालाब की कीमत सन 1908 में 2000 रुपए मानकर उसकी मरम्मत पर 7831 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 166 बीघा, कुल क्षमता : 14,44,5,156 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 10,9,1,250 घन फुट।

पुराघटेरा ताल : विदिशा से पूर्व में 20 मील दूर यह विशाल तालाब ग्वालियर रियासत में 1910 के आसपास बनवाया गया था। तब इसके निर्माण पर 1,04,153 रुपए लागत आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 515 बीघा, कुल क्षमता : 1,14,33,4,916 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 35,43,333 घन फुट।

गोबरहेला तालाब : विदिशा से दक्षिण-पूर्व की ओर 10 मील के फासले पर गोबरहेला नाम के छोटे से गाँव के इस पुराने तालाब की मरम्मत सन 1912 में ग्वालियर रियासत ने कराई थी। तब इस पुराने तालाब की लागत 2000 रुपए मानकर सुधार पर 17,525 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 474 बीघा, कुल क्षमता : 5,76,36,666 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 10,6,666 घन फुट।

खमतला : यह नया तालाब ग्वालियर रियासत ने विदिशा से सात मील उत्तर-पश्चिम में बनवाया गया था। सन 1908 में इसकी लागत 3,458 रुपए आँकी गई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 136 बीघा, कुल क्षमता : 1,01,13,750 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 13,51,250 घन फुट।

गुनसागर ताल : विदिशा से एक मील उत्तर-पूर्व की ओर बना यह पुराना और खस्ताहाल तालाब था। 1907 में फिर 332 रुपए खर्च करके तालाब की मरम्मत की गई। तब पुराने तालाब की मूल कीमत 1000 रुपए मान ली गई थी। इसकी पानी सिंचाई के काम तो आता ही था, लेकिन मूल मकसद सिंघाड़ा और वैटलनट की खेती था जिनका बाजार विदिशा में अच्छा खासा था।

कुल डूब क्षेत्र : 58 बीघा, कुल क्षमता : 22,05,000 घन फुट।

हिरनौदा ताल : यह पुराना तालाब विदिशा से आठ मील उत्तर-पश्चिम में स्थित था। सन 1909-10 में इस पुराने तालाब की मूल कीमत 1000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 9,181 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 270 बीघा, कुल क्षमता : 2,39,20,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 12,30,000 घन फुट।

नैनाताल : विदिशा से डेढ़ मील उत्तर-पूर्व में यह एक पुराना तालाब था। सन 1903 में ग्वालियर के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया ने अपने दौरे के वक्त इस विशाल तालाब की मरम्मत के आदेश दिये थे। उस समय पुराने ताल की कीमत 4000 रुपए मानी गई थी और इसके सुधार पर 4,978 रुपए का खर्च आया था। तालाब पर मरम्मत का काम सन 1909 में पूरा हुआ था।

कुल डूब क्षेत्र : 279 बीघा, कुल क्षमता : 2,55,42,001 घन फुट।

पठारी ताल : विदिशा से आठ मील दक्षिण-पूर्व में पठारी गाँव में यह पुराना तालाब था, जो इसी नाम की पूर्व पठारी रियासत के तालाब से अलग था। सन 1914 में तालाब की मूल लागत 500 रुपए मानकर इसके सुधार कार्य पर 1045 रुपए खर्च हुए।

कुल डूब क्षेत्र : 34 बीघा, कुल क्षमता : 24,16,666 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 84,166 घन फुट।

आटासेमर तालाब : पवई रेलवे स्टेशन से 13 मील दक्षिण-पूर्व में यह एक पुराना तालाब था। सन 1909-10 में इसकी लागत 1000 रुपए आँकी गई थी और इसके सुधार कार्य पर 4,539 रुपए खर्च किये थे।

कुल डूब क्षेत्र : 92 बीघा, कुल क्षमता : 87,90,523 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 33,333 घन फुट।

बागरोद तालाब : बासौदा से 18 मील पूर्व में बागरोद गाँव में यह एक पुराना नष्टप्राय तालाब था, जिसे नए सिरे से रियासत ने सन 1910 में बनवाया था। तब इसकी निर्माण लागत 3,9,41 रुपए आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 96 बीघा, कुल क्षमता : 62,82,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 2,45,000 घन फुट।

बामनिया ताल : बासौदा से नौ मील उत्तर-पश्चिम में यह एक पुराना तालाब था। सन 1912 में इसकी कीमत 1000 रुपए मानकर इसके सुधार पर 3,767 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 107 बीघा, कुल क्षमता : 1,08,20,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 2,87,916 घन फुट।

विजावासन तालाब : गंज बासौदा से 11 मील दक्षिण-पूर्व में लगभग नष्टप्राय इस पुराने तालाब को रियासत ने सन 1910 में नए सिरे से बनवाया था तब इस तालाब की निर्माण लागत 8,720 रुपए आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 276 बीघा, कुल क्षमता : 3,42,77,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,60,000 घन फुट।

बूढ़ी बागरोद तालाब : यह तालाब बासौदा से 20 मील पूर्व में एक पुराना तालाब था, जिसमें बागरोद तालाब से निकले अतिरिक्त पानी को रोका जाता था। सन 1911 में इसकी कीमत 3000 रुपए मानकर 16,324 रुपए इसकी मरम्मत पर खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 432 बीघा, कुल क्षमता : 4,07,10,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 52,10,000 घन फुट।

तालवैड़ तालाब : ग्वालियर रियासत के अन्दर यह छोटा सा तालाब हैदरगढ़ के पास तालवैड़ गाँव के पास था। यह जगह, आसपास दूसरी रियासतों से घिरी हुई थी और यहाँ सीमा सम्बन्धी विवाद बना रहता था। विवाद सुलझाने के लिये ग्वालियर रियासत ने तालवैड़ में इस खूबसूरती के साथ पक्की दीवार बनवाई कि वहाँ एक शानदार तालाब का निर्माण हो गया। इस तालाब के निर्माण पर सन 1912-15 में 1,512 रुपए खर्च किये गए थे। अब इसे मृगननाथ तालाब के नाम से जाना जाता है।

कुल डूब क्षेत्र : 31 बीघा, कुल क्षमता : 42,69,166 घन फुट।

परसौरा तालाब : गंजबासौदा से तीन मील पूर्व में और रेलवे स्टेशन से दो मील उत्तर-पूर्व में यह एक नष्टप्राय तालाब था। इसे ग्वालियर रियासत ने 1910 के करीब नए सिरे से बनवाया था। तब इस पर 9243 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र : 268 बीघा, कुल क्षमता : 2,99,86,667 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 13,06,667 घन फुट।

सौंसेरा तालाब : विदिशा से 25 मील उत्तर-पूर्व सौसेंरा गाँव में रियासत ने एक पुराने तालाब की जगह यह नया तालाब बनवाया था। सन 1914 में इसके निर्माण पर 14,505 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र : 296 बीघा, कुल क्षमता : 3,14,60,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 22,20,000 घन फुट।

बागरी ताल : विदिशा के उत्तर में पाँच मील दूर इस पुराने तालाब की ग्वालियर रियासत ने सन 1910-11 में मरम्मत करवा कर क्षमता बढ़ाई थी। तब इसकी लागत एक हजार रुपए आँकी गई थी और मरम्मत पर 5,690 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 205 बीघा, कुल क्षमता : 1,40,95,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 80,000 घन फुट।

वामनखेड़ा ताल : यह विदिशा से पाँच मील उत्तर में वामनखेड़ा गाँव में था। इस पुराने तालाब की मूल लागत सन 1912 में 500 रुपए आँक कर मरम्मत पर 4,230 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 149 बीघा, कुल क्षमता : 80,70,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 9,90,000 घन फुट।

बर्रो ताल : विदिशा से 18 मील उत्तर-पश्चिम में ग्राम बर्रो में यह एक पुराना तालाब था। सन 1910 में इसकी मूल कीमत 1000 रुपए मानकर इसकी मरम्मत पर 5,445 रुपए खर्च किये थे।

कुल डूब क्षेत्र : 102 बीघा, कुल क्षमता : 1,28,60,208 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 2,33,333 घन फुट।

बिलौरी ताल : यह पुराना तालाब विदिशा से नौ मील उत्तर-पश्चिम में बसे बिलौरी गाँव में था। इस पुराने तालाब को सन 1911 में दस हजार रुपए की कीमत का मानकर इसकी मरम्मत पर 39,500 रुपए खर्च किये गए थे। यह उस समय धान की खेती के लिहाज से बनवाया गया था जो उस समय विदिशा में बहुत पैदा होती थी।

कुल डूब क्षेत्र : 35 बीघा, कुल क्षमता : 26,37,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 42,500 घन फुट।

चितौरिया ताल : विदिशा से 12 मील उत्तर-पूर्व में ग्राम चितौरिया में सन 1910 के करीब यह नया तालाब सिंचाई के उद्देश्य से बनवाया गया था। इस तालाब की लागत उस समय 69,225 रुपए आई थी।

कुल डूब क्षेत्र : 1,053 बीघा, कुल क्षमता : 12,99,32,046 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 1,06,43,750 घन फुट।

देवराजपुरा तालाब : विदिशा से आठ मील दक्षिण-पूर्व में बसे देवराजपुरा के पुराने तालाब के सुधार पर 1910-13 में 516 रुपए खर्च किये गए थे।

कुल डूब क्षेत्र : 47 बीघा, कुल क्षमता : 34,40,000 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 3,60,000 घन फुट।

धनियाखेड़ी तालाब : विदिशा से डेढ़ मील पूर्व में धनियाखेड़ी गाँव के इस पुराने तालाब की मरम्मत सन 1914 में कराई गई थी। तब मरम्मत पर 1,469 रुपए खर्च आया था।

कुल डूब क्षेत्र : 43 बीघा, कुल क्षमता : 21,72,500 घन फुट, सिंचाई के बाद शेष पानी : 1,05,000 घन फुट।