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इंडिया साइंस वायर, 26 जुलाई, 2018
नई दिल्ली। रात में आकाश को निहारने में रुचि रखने वालों को कल दो दुर्लभ खगोलीय घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं। एक तरफ दुनिया भर में लोग सदी के सबसे लम्बी अवधि के पूर्ण चंद्रग्रहण का इन्तजार कर रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें इसी तरह की एक अन्य दुर्लभ खगोलीय घटना भी देखने को मिल सकती है।
शुक्रवार, 27 जुलाई को भारतीय मानक समय के अनुसार रात 10:37 बजे उपछाया क्षेत्र (पेनम्ब्रा) में चंद्रमा के प्रवेश के साथ चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी। इसके ठीक पाँच मिनट पहले मंगल ग्रह सामान्य से अधिक चमकदार और बड़ा दिखाई देगा। इस दौरान मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में होगा, जिसे खगोल विज्ञान में विमुखता (Opposition) कहते हैं।
विमुखता उस स्थिति को कहते हैं, जब मंगल अपनी कक्षा में घूमते हुए पृथ्वी के बेहद नजदीक होता है। इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और मंगल लगभग सीधी रेखा में होंगे। पृथ्वी एवं मंगल दोनों ही इस स्थिति में सूर्य के एक ओर ही होते हैं। ऐसे में मंगल, जिसे लाल ग्रह भी कहते हैं, सामान्य से अधिक चमकदार और बड़ा दिखाई देता है।
मंगल की विमुखता की शुरुआत 27 जुलाई को हो जाएगी, पर लाल ग्रह पृथ्वी के सबसे अधिक करीब 31 जुलाई के दिन होगा। सूर्य के इर्द-गिर्द घूमने वाले ग्रहों की कक्षा का वृत्ताकार न होकर अंडाकार होना इसकी प्रमुख वजह होती है। यही कारण है कि विमुखता की विभिन्न स्थितियों के दौरान मंगल और पृथ्वी के बीच की दूरी भी अलग-अलग होती है।
पृथ्वी से मंगल की दूरी का यह दायरा 400 मिलियन किलोमीटर (2.7 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) से लेकर 56 मिलियन किलोमीटर (0.38 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) के बीच होता है। मंगल की पृथ्वी से सबसे अधिक नजदीकी विमुखता के दौरान होती है। इस बार मंगल पिछले 15 वर्षों में पृथ्वी के सबसे अधिक करीब होगा। यही कारण है कि पिछले पंद्रह वर्षों की अपेक्षा यह अधिक चमकीला और बड़ा भी दिखाई देगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, शुक्रवार को पृथ्वी से मंगल की दूरी महज 58 मिलियन किलोमीटर (0.39 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) होगी। तकनीकी भाषा में समझें तो मंगल का कोणीय व्यास पृथ्वी से देखने पर 24 मिनट से अधिक होगा और यह -2.75 मैग्नीट्यूड से अधिक चमकदार होगा। इसकी तुलना अगर आकाश में सबसे अधिक चमकीले तारे सिरिस से करें तो वह भी इस दौरान मंगल के मुकाबले तीन गुना धुंधला दिखाई देगा।
यह आकाशीय घटना खगोल विज्ञानियों के लिये एक अद्भुत अवसर की तरह होगी क्योंकि इस दौरान उन्हें टेलीस्कोप के जरिये मंगल के बारे में जानने का मौका मिल सकता है। हालांकि, नंगी आँखों से आकाश को देखने वाले सामान्य लोगों के लिये लाल ग्रह को देखना आसान नहीं होगा क्योंकि पृथ्वी के बेहद करीब होने के बावजूद वह एक छोटे कण की तरह ही दिखाई देगा। हालांकि, ग्रहण के दौरान लाल रंग के चंद्रमा के बगल में इसे देखने का एक रोमांचक अवसर होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण के दौरान चाँद के 6 डिग्री दक्षिण में मंगल को देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया समेत अन्य कई प्लेटफॉर्म्स पर यह बताया जा रहा है कि कल के दिन मंगल चाँद जितना बड़ा दिखेगा। जबकि, इस बात में सच्चाई नहीं है।
(पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के इनपुट्स पर आधारित)
Twitter handle: @usm_1984
शुक्रवार, 27 जुलाई को भारतीय मानक समय के अनुसार रात 10:37 बजे उपछाया क्षेत्र (पेनम्ब्रा) में चंद्रमा के प्रवेश के साथ चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी। इसके ठीक पाँच मिनट पहले मंगल ग्रह सामान्य से अधिक चमकदार और बड़ा दिखाई देगा। इस दौरान मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में होगा, जिसे खगोल विज्ञान में विमुखता (Opposition) कहते हैं।
विमुखता उस स्थिति को कहते हैं, जब मंगल अपनी कक्षा में घूमते हुए पृथ्वी के बेहद नजदीक होता है। इस दौरान सूर्य, पृथ्वी और मंगल लगभग सीधी रेखा में होंगे। पृथ्वी एवं मंगल दोनों ही इस स्थिति में सूर्य के एक ओर ही होते हैं। ऐसे में मंगल, जिसे लाल ग्रह भी कहते हैं, सामान्य से अधिक चमकदार और बड़ा दिखाई देता है।
मंगल की विमुखता की शुरुआत 27 जुलाई को हो जाएगी, पर लाल ग्रह पृथ्वी के सबसे अधिक करीब 31 जुलाई के दिन होगा। सूर्य के इर्द-गिर्द घूमने वाले ग्रहों की कक्षा का वृत्ताकार न होकर अंडाकार होना इसकी प्रमुख वजह होती है। यही कारण है कि विमुखता की विभिन्न स्थितियों के दौरान मंगल और पृथ्वी के बीच की दूरी भी अलग-अलग होती है।
पृथ्वी से मंगल की दूरी का यह दायरा 400 मिलियन किलोमीटर (2.7 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) से लेकर 56 मिलियन किलोमीटर (0.38 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) के बीच होता है। मंगल की पृथ्वी से सबसे अधिक नजदीकी विमुखता के दौरान होती है। इस बार मंगल पिछले 15 वर्षों में पृथ्वी के सबसे अधिक करीब होगा। यही कारण है कि पिछले पंद्रह वर्षों की अपेक्षा यह अधिक चमकीला और बड़ा भी दिखाई देगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार, शुक्रवार को पृथ्वी से मंगल की दूरी महज 58 मिलियन किलोमीटर (0.39 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट) होगी। तकनीकी भाषा में समझें तो मंगल का कोणीय व्यास पृथ्वी से देखने पर 24 मिनट से अधिक होगा और यह -2.75 मैग्नीट्यूड से अधिक चमकदार होगा। इसकी तुलना अगर आकाश में सबसे अधिक चमकीले तारे सिरिस से करें तो वह भी इस दौरान मंगल के मुकाबले तीन गुना धुंधला दिखाई देगा।
यह आकाशीय घटना खगोल विज्ञानियों के लिये एक अद्भुत अवसर की तरह होगी क्योंकि इस दौरान उन्हें टेलीस्कोप के जरिये मंगल के बारे में जानने का मौका मिल सकता है। हालांकि, नंगी आँखों से आकाश को देखने वाले सामान्य लोगों के लिये लाल ग्रह को देखना आसान नहीं होगा क्योंकि पृथ्वी के बेहद करीब होने के बावजूद वह एक छोटे कण की तरह ही दिखाई देगा। हालांकि, ग्रहण के दौरान लाल रंग के चंद्रमा के बगल में इसे देखने का एक रोमांचक अवसर होगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रहण के दौरान चाँद के 6 डिग्री दक्षिण में मंगल को देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया समेत अन्य कई प्लेटफॉर्म्स पर यह बताया जा रहा है कि कल के दिन मंगल चाँद जितना बड़ा दिखेगा। जबकि, इस बात में सच्चाई नहीं है।
(पब्लिक आउटरीच एंड एजुकेशन कमेटी, एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के इनपुट्स पर आधारित)
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Mars in Hindi, Total Lunar Eclipse in Hindi, celestial phenomenon in Hindi, penumbra in Hindi |