कमजोर मानसून भी बुरा नहीं

Submitted by admin on Mon, 04/28/2014 - 11:27
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दैनिक भास्कर, 27 अप्रैल 2014
मौसम विभाग सही रहा तो भी 0.1 से 0.2% ही कृषि विकास गिरेगा
सामान्य से पांच प्रतिशत कम मानसून की संभावना जताई गई है इस साल। लेकिन अब ये चिंता की पहले जैसी बड़ी वजह नहीं रही। खाद्यान्न की बड़े पैमाने पर आपूर्ति करने वाले राज्यों ने मानसून पर निर्भरता कम करने के कई इंतजाम किए हैं। नहरों, बांधों से पानी का अच्छा मैनेजमेंट स्थित नहीं बिगड़ने देगा। खाद्यान्नों का स्टॉक भी काफी है।

कम मानसून अर्थव्यवस्था पर बहुत असर नहीं डालेगा। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। नेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर इकोनॉमी एंड पॉलिसी रिसर्च के निदेशक रमेश चंद्र का कहना हा कि मौसम विभाग ने मानसून के सामान्य से करीब पांच प्रतिशत कम या ज्यादा होने की आशंका जताई गई है। ऐसे में एक-तिहाई बारिश कम हो सकती है, लेकिन यह चिंताजनक नहीं है। पिछले साल कृषि विकास दर 4.6 प्रतिशत थी, जो बेहतर थी। अगर कम बारिश हुई तो यह 0.1 या 0.2 प्रतिशत तक प्रभावित होगी।

देश के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी प्रणब सेन का कहना है कि अगर कम बारिश से दीर्घकालिक उपज प्रभावित होती है तो किसान के पास कम अवधि की उपज का विकल्प होगा। जैसे - दाल और तेल। चावल का हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है। 2009 में तो पिछले 35 साल में सबसे कम बारिश हुई थी। लेकिन इससे कोई बहुत बड़ा असर नहीं हुआ।

जिस अनुपात में कम बारिश की आशंका जताई गई है, उससे कम नुकसान होगा और कम बारिश हुई भी तो इसका असर संभवतः सूखाग्रस्त इलाकों में ही होगा। चावल और गेहूं की फसल को कोई समस्या नहीं होगी। दुग्ध उत्पाद और सब्जियों पर कुछ असर दिख सकता है।
- डीएस रावत, एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल

3 साल, अलग-अलग मानसून, लेकिन उत्पादन बेअसर, समझिए कैसे-

राज्य, जो हुए आत्मनिर्भर

2004-05 कमजोर मानसून

2009-10 सूखा पड़ा

2010-11 सामान्य मानसून

पंजाब,

हरियाणा

37 हजार टन

40 हजार टन

40 हजार टन

यहां आठ बड़ी और छोटी नहरें हैं। हरियाणा में सिंचित क्षेत्र का 50% इन्हीं पर निर्भर। पंजाब में 39.1% ट्यूबवेल और और पंप सेट भी मददगार।

उत्तर प्रदेश

34 हजार टन

41 हजार टन

44 हजार टन

कुल सिंचित क्षेत्र का एक चौथाई हिस्सा (3091 हेक्टेयर) नहरों पर निर्भर। यह देश में नहरों से होने वाली सिंचाई का 30.91 प्रतिशत है।

मध्य प्रदेश

11 हजार टन

12 हजार टन

12 हजार टन

22 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित क्षेत्र में है। माही, बैरियारपुर नहर, संजय सागर और कुशलपुर, नर्मदा वैली सिंचाई परियोजना राज्य में चल रही हैं।

बिहार

6 हजार टन

9 हजार टन

8 हजार टन

50 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा जमीन सिंचित क्षेत्र में। 55% की सिंचाई ट्यूबवेल से। धान का कटोरा कहलाने वाले 8 जिलों को 50% पानी नहरों से।

 



गेहूं : ये पांचों राज्य मिलकर देश में होने वाले गेहूं के कुल उत्पादन का 79% पैदा करते हैं।

चावल : कुल उत्पादन का 32% इन्हीं के दम पर। सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश की।

दाल : कुल पैदावार में 42% का योगदान। अकेले 24% का होता है उत्पादन।

मानसून कैसा भी हो, इकोनॉमी में बनी रही बढ़त

इन्वेस्टर्स को मिला 30 प्रतिशत रिटर्न


2004-05 में बाजार ने निवेशकों को 30% रिटर्न दिया। 52 हफ्तों की औसत महंगाई दर 6.5% थी, जो पिछले वर्ष से 1% ज्यादा थी।

औद्योगिक क्षेत्र 8.61 फीसदी तक बढ़ा


2009-10 में सूखे के बाद भी खाद्यान्न उत्पादन सिर्फ 7% गिरा। अप्रैल से दिसंबर की अवधि में औद्योगिक क्षेत्र 8.61% तक बढ़ा।

सूखे की सेविंग ने संभाली अर्थव्यवस्था


2010-11 में सर्विस सेक्टर का रिटर्न 3% घटा था। बीते साल सेविंग, जो जीडीपी की 33.7 फीसदी तक थी, उसने इकोनॉमी को संभाला।