पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। तीन लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। चीन, इटली, यूएसए, स्पेन आदि विकसित देश कोरोना के प्रकोप से बूरी तरह प्रभावित हैं। इटली ने लगभग हार ही मान ली है। तो वहीं पाकिस्तान में भी अब कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी कोरोना अपने पैर जमा चुका है। यहां 500 से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए डाॅक्टर नियमित तौर पर स्वच्छता बनाए रखने के लिए कह रहे हैं। हर किसी का जोर मास्क पहनने, घर के अंदर रहने और हाथ धोने पर है। हाथों को भी पांच चरणों में धोने की जनता से लगातार अपील की जा रही है। कहा जा रही है सेनिटाइजर का उपयोग करें और हाथों को कम से कम बीस सेंकड तक धोएं। मीडिया के विभिन्न माध्यमों में विज्ञापन से लोगों को इस बारे में जागरुक भी किया जा रहा है। हांलाकि ये प्रयास स्वागतयोग्य है, लेकिन यहां भी लोग जागरुकता के अभाव में जरूरत से ज्यादा पानी का उपयोग कर रहे हैं। ऐसे मे कोरोना तो निकट समय में खत्म हो जाएगा, लेकिन एक भीषण जल संकट दुनिया भर में जरूर खड़ा होने की संभावना है। इससे पहले से ही पानी की किल्लत का सामना कर रहे भारत को ज्यादा समस्या हो सकती है।
भारत की आबादी करीब 130 करोड़ है। कोरोना के चलते पूरा देश संपूर्ण रूप से लाॅकडाउन है। देश मे भी डाॅक्टरों लोगों को हाथ धोने की सलाह दी है। कई विशेषज्ञ इस दौरान कहीं बाहर से आने पर नहाने की सलाह भी दे रहे हैं। ताकि शरीर पर से बैक्टीरिया कम हो जाए। ऐसे में हर व्यक्ति दिन में कई बार हाथ धो रहा है, जो बीमारी से बचने के लिए जरूरी भी है। अनुमान के मुताबिक हाथ धोने के लिए हर व्यक्ति दिन में करीब 20 लीटर पानी का उपयोग कर रहा है। इस प्रकार देश की 130 करोड़ जनता रोजाना 2 हजार 600 करोड़ लीटर पानी का उपयोग कर रही है। यदि इस आंकड़े को वैश्विक स्तर पर देंखे तो दुनिया में 700 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। इनके द्वारा रोजाना हाथ धोने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले पानी का आंकड़ा पर्यावरणविदों को चिंता में डाल सकता है। हांलाकि कई देश हैं जहां पानी की नियमित किंतु एक निर्धारित मात्रा में सप्लाई की जाती है। वहां जितना पानी दिया जाता है, उससे ही उन्हें गुजर बसर करनी होती है। लेकिन भारत जैसे कई अन्य देशों में ऐसा बिल्कुल नहीं है। यहां पानी का निरंतर अतिउपयोग किया जाता है, जो अब बेतहाशा बढ़ गया है।
नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है कि भारत भीषण जल संकट से जूझ रहा है। छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, केरल, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नागालैंड, उत्तराखंड़ और मेघालय जल संकट का सामना कर रहे हैं। तो वहीं दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों का ज्यादा जल संकट का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि यहां भूजल लगभग खत्म होने की कगार पर पहुंच चुका है। नीति आयोग ने ये भी कहा है कि देश के 21 बड़े शहरों में भूजल समाप्त भी हो सकता है। इस रिपोर्ट के अनुसार 2020 से पानी की किल्लत शुरू हो जाएगी। इसका सामना करीब 10 करोड़ लोगों को करना होगा, जबकि देश के 40 प्रतिशत लोगों को वर्ष 2030 तक पानी नसीब नहीं होगा। यही स्थिति देश के अन्य देशों की भी है। जल संकट से जूझ रहे भारत जैसे इन देशों में कोरोना वायरस की दोहरी मार पड़ती है।
यूं तो जल उपलब्ध कराना हर सरकार की प्राथमिकता में होता है, लेकिन जिस प्रकार से लोग कोरोना से बचने हाथों को धो रहे हैं, उससे लग रहा है कि जल संकट गहरा सकता है। इससे महामारी खत्म होे के बाद जल संकट युद्ध का रूप ले सकता है। देश में जहां, पानी की ज्यादा किल्लत है, वहां झगड़े हो सकते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि पानी की समस्या को लेकर भारत में हर साल झगड़े होते हैं। वैसे तो भारत में दूषित जल हर साल करीब 2 लाख लोगों की जान लेता है, लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो की वर्ष 2017 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो, इस वर्ष पानी को लेकर हिंसक घटनाओं के 432 मामले दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 838 हो गए। इस दौरान पानी को लेकर हुए विभिन्न झगड़ों में 92 लोगों की मौत हुई। इनमें गुजरात में गुजरात में हत्या के 18 मामले दर्ज किए गए, जबकि बिहार में 15, महाराष्ट्र में 14, उत्तर प्रदेश में 12, राजस्थान और झारखंड में 10-10, कर्नाटक में 4, पंजाब में 3, तेलंगाना और मध्यप्रदेश में 2-2, तमिलनाडु और दिल्ली में एक-एक मामले दर्ज किए गए। ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस महामारी के अलावा देश दुनिया के लिए नई समस्या लेकर आया है। ऐसे में यदि लोग हाथ धोते वक्त उचित ढंग से कम पानी का उपयोग नहीं करेंगे, तो निश्चित तौर पर समस्या बढ़ेगी। ये उन राज्यों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर देगी, जहां पानी पहले से ही काफी कम है। फिलवक्त कोरोना तो कुछ समय बाद कोरोना का खतरा थम जाएगा। लेकिन सरकार को अब ये समझना होगा कि जल एक गंभीर मुद्दा है। जल से जुड़े मुद्दों पर गंभीरता से कार्य करना होगा। जल समस्या से निपटने के लिए केवल मंत्रालयों का नाम बदलने से कुछ नहीं होगा और हर महामारी अथवा समस्या से निपटने के लिए देश की जनता को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना भी जरूरी है। वरना एक समस्या खत्म होगी तो दूसरी दरवाजे पर आकर दस्तक देगी। यहां लोगों से भी अपील है कि सुरक्षित रहें, लेकिन पानी का संरक्षण भी करें।
लेखक - हिमांशु भट्ट (8057170025)
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