कृषि में जल प्रबंधन तथा मौसम की पूर्व जानकारी में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी-''पूसा एमकृषि''

Submitted by Shivendra on Mon, 01/27/2020 - 10:58
Source
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस, ठाणे मुंबई, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर मध्य प्रदेश भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर मध्य प्रदेश

सारांश

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। आज भी भारत की लगभग दो तिहाई जनसख्याँ कृषि पर निर्भर है। भारतीय कृषि मानसूनी वर्षा पर आधारित है। मानसून आने का समय एवं वर्षा का वितरण फसलों के उत्पादन को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र में अति वृष्टि तो किसी क्षेत्र में अनावृष्टि के साथ सूखे की स्थिति देखने को मिलती है। सूखा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लगभग 42 प्रतिशत भू-भाग में सूखे का सामना करना पड़ रहा है। फसल उत्पादन के लिए सिंचाई जल की पूर्ति करने के लिए वर्षा जल का प्रबंधन आवश्यक है। सिंचाई की विभिन्न विधियों से न्यूनतम पानी में अधिकतम उत्पादन कैसे प्राप्त किया जाए। इसकी किसानों को समयनुसार त्वरित जानकारी आवश्यक होती है। अतः किसानों को समयानुसार जानकारी प्राप्त हो सके इस हेतु, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस ने मिलकर मोबाइल आधारित पूसा एमकृषि सलाह सेवा शुरु की है। इस एप्लीकेशन के द्वारा किसानों के मोबाइल पर फसल अलर्ट सन्देश, स्थानीय मंडी भाव तथा मौसम की पूर्व जानकारी के साथ फसल की बुवाई, सिंचाई का समय, कटाई, भण्डारण, पोषक तत्वों, कीट एवं बीमारियों की जानकारी तथा किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब कृषि विशेषज्ञ के द्वारा स्थानीय भाषा में लिखित सन्देश के द्वारा दिया जा रहा है। वर्ष 2018-19 में पूछे गए कुल प्रश्नों में 12 प्रतिशत प्रश्न सिंचाई जल प्रबंधन एवं मौसम सम्बंधित प्रश्न पूछे गए।

Abstract

Agriculture is an integral part of the Indian economy. Even today, almost two-thirds of India's population is dependent on agriculture. Indian agriculture is heavily dependent on monsoon rainfall. The arrival and distribution of monsoon rainfall are affecting the production of crops. Excess rainfall in an area can be seen with drought in some area. According to data from the Drought Early Warning System, about 42 percent of the land area of India is experiencing drought. Management of rainfall water is necessary to prepare irrigation for crop production. There are different methods of irrigation which tells how to gain maximum production in minimum water. Farmers need timely information over time about this. Therefore, in order to enable farmers to get timely information, the Indian-based Agricultural Research Institute, New Delhi and Tata Consultancy Services have jointly started a mobile-based agro advisory Pusa mKRISHI® service. Through this application experts are sharing crop alert message on the mobile phone of farmers. Information on local market prices and weather forecast information are also being shared. Information on crop sowing, irrigation time, harvesting, storage facilities, nutrients, pests and disease management are being shared with farmers. Experts can reply with personalized responses in local language to the queries raised by farmers. In the year 2018-19, around 12% queries raised by farmers were regarding water/ Irrigation management and weather information.

प्रस्तावना

भारत कृषि प्रधान देश है और भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण स्थान है। आज भी भारत की लगभग दो तिहाई जनसख्याँ कृषि पर निर्भर है। भारत की कुल आबादी की 68.8 प्रतिशत जनसँख्या गाँव में निवास करती है और गाँव की अधिकांश जनता कृषि पर निर्भर है। भारतीय कृषि मानसूनी वर्षा पर आधारित है। मानसून आने का समय एवं वर्षा का वितरण फसलों के उत्पादन को प्रभावित करता है। किसी क्षेत्र में अति वृष्टि तो किसी क्षेत्र में अनावृष्टि के साथ सूखे की स्थिति देखने को मिलती है। सूखा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, भारत के लगभग 42 प्रतिशत भू-भाग में सूखे का सामना करना पड़ रहा है। जिससे देश की कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कृषि उपज पूरी तरह से मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ वषों में असमय वर्षा एवं ओला वृष्टि से अनेक फसलों के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है तथा लगातार फसल अच्छी होने के बावजूद भी मौसम में असमय बदलाव के कारण फसल ख़राब हो रही है। फसल को ख़राब होने से बचाने के लिए किसानों को फसल लगाने से पहले ही बदलते मौसम की सही जानकारी एवं तकनीकी की आवश्यकता होती है। फसल उत्पादन के लिए सिंचाई जल की पूर्ति करने के लिए वर्षा जल का प्रबंधन आवश्यक है। सिंचाई की विभिन्न विधियों जिनसे न्यूनतम पानी में अधिकतम उत्पादन कैसे प्राप्त किया जाए। इसकी किसानों को समयनुसार त्वरित जानकारी आवश्यकता होती है।

किसानों को समयनुसार जानकारी प्राप्त हो सके इस हेतु, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस ने मिलकर मोबाइल आधारित पूसा एमकृषि सलाह सेवा शुरु की है। इस एप्लीकेशन के द्वारा किसानों के मोबाइल पर फसल अलर्ट सन्देश, स्थानीय मंडी भाव तथा मौसम की पूर्व जानकारी के साथ फसल की बुवाई, सिंचाई का समय, कटाई, भण्डारण, पोषक तत्वों, कीट एवं बीमारियों की जानकारी तथा किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब कृषि विशेषज्ञ के द्वारा स्थानीय भाषा में लिखित सन्देश के द्वारा दिया जा रहा है। मध्यप्रदेश के 30 जिलों से भी अधिक किसान पूसा एमकृषि का उपयोग कर रहे है और मौसम की पूर्व जानकारी एवं जल प्रबंधन की तकनीकी जानकारी लेकर किसानों ने अपनी पारंपरिक खेती के तरिकों में परिवर्तन कर उन्नतशील तरिकों को अपनाया और इसका लाभ उठाया है तथा अचानक मौसम में होने वाले परिवर्तन एवं असमय होने वाली वर्षा की जानकारी से समय रहते फसलों को नुकसान होने से भी बचाया। वर्तमान समय में मोबाइल आधारित ‘‘पूसा एमकृषि’’ किसानों को कृषि अनुसंधान की प्रयोगशालाओं से किसान के खेतों तक जोड़ने का सरल, सुगम और सुविधाजनक माध्यम है। इस माध्यम से किसानों को अपने घर बैठे ही कृषि से संबंधित नवीनतम तकीनीकी और मौसम संबंधी जानकारी दी जा रही है।

मोबाइल आधारित पूसा एमकृषि®सलाह सेवा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और टाटा कंसल्टेंसी सर्विस गैर सरकारी संस्था ने मिलकर राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना (NAIP) के अंतर्गत किसानों के सम्पूर्ण विकास के लिये कृषि से संबंधित नवीनतम तकीनीकी और मौसम संबंधी जानकारी किसान समुदाय तक पूसा एमकृषि® मोबाइल आधारित सलाह सेवा के माध्यम से पहुँचाने के लिये मध्य प्रदेश में शुरू की गयी। पूसा एमकृषि® सेवा में मोबाइल एप्लीकेशन और एक विशेषज्ञ वेब कंसोल के बीच इंटरफेस के माध्यम से कृषि सम्बन्धी जानकारी किसानों के मोबाइल पर स्थानीय भाषा में एक पूसा एमकृषि मोबाइल एप्लीकेशन बनायी गयी।

पूसा एमकृषि® में सुविधाओं में निम्न शामिल हैं।

क्षेत्रीय भाषाः- पूसा एमकृषि एप्लीकेशन इस प्रकार से बनाई गयी है कि अपने क्षेत्र के अनुसार प्रयोग की जाने वाली भाषा होती है जिससे किसानों को प्रयोग करने में असानी होती है।

मौसम पूर्वानुमान:- किसानों को उनके ही क्षेत्र के मौसम की पूर्व जानकारी प्राप्त हो जाती है जिससे किसान मौसम के अनुसार कृषि कार्य करते है।

स्थानीय मंडी भाव:- किसानों को अपने क्षेत्र की प्रमुख मंडियों के भाव सन्देश के माध्यम से प्राप्त होते हैं।

सलाह पद्धति:- एमकृषि® एप्लीकेशन एक सलाह सेवा है जिसके उपयोग से किसान फसल के दौरान किसी भी समय प्रश्न पूछ सकते है पूछे गए प्रश्नों का जवाब विशेषज्ञ द्वारा किसान की व्यक्तिगत, फसल से सम्बंधित आंकड़े एवं मौसम की जानकारी लेकर सलाह दी जाती है।

श्रेष्ट कृषि पद्धति:- मोबाइल एप्लीकेशन में प्रमुख फसलों की विशेष जानकरी रहती है जिसके माध्यम से किसानों को कृषि कार्य करने में सहायता होती है।

फोटो गेलरी:-फोटो गैलरी फसल स्वास्थ्य की जाँच करने के लिए सहायक होती है फोटो को देख कर बिमारियों या कीटो की पहचान असानी से कर सकें।

कृषि सलाह, फसल अलर्ट या फसल कैलेंडर संदेश:- समय-समय पर किसानों को अपनी फसल के दौरान एवं कीट या बीमारीयों के प्रबंधन तथा मौसम की पूर्व जानकारी का लिखित एवं वॉइस विशेष संदेश क्षेत्रीय भाषा में भेजा जाता है।

कार्यविधि

किसान पूसा एमकृषि® मोबाईल एप्लीकेशन के उपयोग से श्रेष्ठ कृषि पद्धति, अक्सर पूछे गए सवाल, फोटो गेलेरी, स्थानीय मंडी भाव, फसल अलर्ट सन्देश तथा मौसम की पूर्व जानकारी के साथ-साथ किसान फसल की बुवाई, सिंचाई का समय, कटाई, भण्डारण, पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देने या कीट एवं बिमारी से ग्रसित पौधे का फोटो खींच कर अपनी आवाज में संबंधित समस्या को रिकार्ड कर कृषि विशेषज्ञ के पास भेजते हैं फिर कृषि विशेषज्ञ पूसा एमकृषि मध्य प्रदेश के 30 जिलों से भी अधिक किसान पूसा एमकृषि® कंसोल का उपयोग कर किसान के द्वारा भेजे गए फोटो एवं रिकार्डिंग को सुन कर, किसान की मिट्टी, फसल में प्रयोग की गई दवाईयों, सिंचाई तथा मौसम की जानकारी देख कर किसान द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब कृषि विशेषज्ञ के द्वारा दिया जाता है। का नियमित रूप से उपयोग कर रहे है। पूसा एमकृषि® मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से वर्ष 2018-19 में पूछे गए कुल प्रश्नों में 12 प्रतिशत प्रश्न सिंचाई जल प्रबंधन एवं मौसम से सम्बंधित प्रश्न पूछे गए।

पूसा एमकृषि® मोबाइल एप्लीकेशन के द्वारा लाभान्वित किसान सफलता की कहानी-1

श्री सोहनलाल सेप्टा पिता श्री रमेशचंद्र सेप्टा ग्राम पोस्ट जाजमखेड़ी, तहसील मनावर जिला धार, मध्य प्रदेश के युवा किसान है। जिनके पास कुल 15 एकड़ कृषि भूमि है और मुख्य रूप से कपास, मिर्च और गेंदा की खेती करते हैं।

मैं पूसा एमकृषि मोबाइल सेवा का रेगुलर कृषक हूँ। इस सेवा से मुझे समय पर हर फसल एवं मौसम सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होती रहती है। जिसका उपयोग में कृषि में करता हूं। चुंकि अभी कुछ वषोर् से कम वर्षा हो रही है जिससे पर्याप्त सिंचाई नहीं कर पाने के कारण फसलों का उत्पादन भी कम मिल रहा था। पूसा एमकृषि से मुझे सिंप्रकलर एवं ड्रिप के माध्यम से सिंचाई करने की सलाह दी गई। इस प्रकार मैने अपनी फसलों में ड्रिप लगा कर सिंचाई करना शुरू किया। जिससे अब कम पानी उपलब्ध होने के बाद भी सभी फसलों को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो जाता है। इस प्रकार जल प्रबंधन की इस तकनीकी को अपनाने से मुझे अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है।

सफलता की कहानी-2

कुमेर सिंह जी ग्राम मऊ, तहसील सारंगपुर, जिला राजगढ़, मध्य प्रदेश के युवा किसान है, जिनके पास कुल 10 एकड़ सिंचित कृषि भूमि है। जो कि सोयाबीन, मसूर, गेंहू, चना एवं जायद में पानी की उपलब्धता के अनुसार मूंग एवं मक्का फसल लगाते हैं। पूसा एमकृषि सलाह सेवा का चार वषोर् से नियमित तकनीकी जानकारी लिखित एवं ध्वनी सन्देश के माध्यम से प्राप्त कर है।

किसान के अनुसार ‘‘पूसा एमकृषि® सेवा से मुझे एवं मेरे गाँव के किसानों को उस समय बहुत अधिक लाभ हुआ। जब सोयाबीन की फसल लगभग पक गई थी इसी दौरान हमार पास पूसा एमकृषि® से यह सन्देश आया की आगामी दिनों में आपके क्षेत्र में वर्षा होने की सम्भावना है। वर्षा को देखते हुआ फसल की कटाई, बुवाई एवं सिंचाई जैसे कृषि कार्य करें। और हम इस सन्देश से पहले सोयाबीन की कटाई मजदूरों से कटवाने की सोंच रहे थे। लेकिन हमें मौसम की पूर्व जानकारी मिलने पर हमने सोयाबीन फसल को हार्वेस्टर से कटाई कर पानी गिरने के पहले ही सुरक्षित घर में रख ली। यदि में सोयाबीन की फसल मजदूरों से कटवाता तो कटी हुई फसल पर पानी गिरने से फसल ख़राब हो जाती तथा बीज दागी होने पर बजार भाव भी कम मिलता तथा पानी से भींगने पर फसल को खेतों में सुखाने में अतिरिक्त समय एवं लागत लगती, समय पर फसल कटाई करने पर मुझे 40 हजार रूपये से भी अधिक की फसल ख़राब होने में बची  तथा मेरे साथ गाँव के और किसानों ने भी मौसम की पूर्व जानकारी मिलने पर फसल की कटाई कर फसल को सुरक्षित कर ली। इसके आलावा हमें पूसा एमकृषि® से मौसम की पूर्व जानकारी के साथ ही फसल की बुवाई से लगाकर बजार में बेचने तक की सम्पूर्ण जानकारी जैसे-उन्नतशील किस्म, नवीनतम कृषि तकनीकी, खाद, उर्वरक की मात्रा, कीट एवं रोग प्रबंधन, मंडी भाव एवं कृषि सम्बंधित सरकारी योजनाओं की जानकरी हमारे फ़ोन पर ही मिल जाती है।

फोटो 1: पूसा एमकृषि® से समय पर जानकारी फोटो-2 व 3-मौसम की जानकारी के अभाव में पानी गिरने मिलने पर पानी गिरने के पहले फसल की कटाई के बाद फसल की स्थिति

निष्कर्ष

पूसा एमकृषि® मोबाइल आधारित सूचना एवं संचार प्रौघोगिकी का एक महत्वपूर्ण भाग है। जिससे कृषि अनुसंधान संस्थानों से किसानों को जोड़ने का सरल, सुगम और सुविधाजनक माध्यम है। इस माध्यम से किसान अपने घर बैठे ही कृषि संबंधित उन्न्नतशील तकनीकी एवं मौसम संबंधी जानकारी का सही समय पर नियमित उपयोग कर रहे है तथा इस तकनीकी सलाह सेवा द्वारा किसानों को उचीत समय पर मौसम संबंधित जानकारी मिलने से सुचारू रूप से सिंचाई करने एवं उचित जल प्रबंधन में मदत मिल रही है। सिंचाई की उन्नतशील तकनीकी जानकारी समयानुसार मिलने से किसानों को कम लगत में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है। यह पद्धति अत्यंत सरल एवं सुगम पद्धति है जिसे किसान आसानी से प्रयोग कर सकता है। पूसा एमकृषि® सलाह सेवा निरंतर किसानों के मध्य प्रचलित हो रही है। यह आज के अति वृष्टि एवं अनावृष्टि तथा जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस तकनीकी के माध्यम से किसान अपना सामाजिक आर्थिक विकास कर राष्ट्र निर्माण में अपना प्रमुख योगदान देने में सक्षम हो रहे है।

संदर्भ

  • नंदन सिंह राजपूत, श्याम किशोर वर्मा, कैलाश चंद्र शर्मा, आदित्य तिवारी भारतीय वैज्ञानिक एवं औघोगिक अनुसंधान पत्रिका वर्ष-24 अंक 1 जुन 2016 पेज 44-48 
  • राजपूत, नंदन सिंह तिवारी आदित्य, शर्मा डॉ.कैलाश चन्द्र एवं सिंह डॉ.अनिल कुमार किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है एमकृषि सलाह सेवा कृषि मंत्र पत्रिका मासिक अंक मई 2014 पेज नं 16.
  • राजपूत, नंदन सिंह तिवारी आदित्य, शर्मा डॉ.कैलाश चन्द्र एवं सिंह डॉ.अनिल कुमार मौसम की जानकारी किसानों के लिये वरदान साबित हो रही है कृषि वरदान मासिक कृषि समाचार पत्र 27 अपैल 2014 पेज नं 10.
  • Rajpoot N.S.,varma S-K-Tiwari Aditya, Kumar Dinesh, sohani yogesh. 2015. mKRISHI” advisory service–Weather based communications technologies in Agriculture. Defence Scientific Information and Documentation Centre (DESIDOC) Delhi 24% 172&178.
  • www.tcs.com
  • https://hindi.indiawaterportal.org/less-water-for-irrigation-and-starvation-in-india