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राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान
वर्षा अपवाह का सम्बंध एक अत्याधिक जटिल प्रक्रिया है। क्योंकि वर्षा समय तथा स्थान के साथ-साथ बदलती रहती है तथा बेसिन की भू-संरचना भी एक दूसरे से अलग-अलग होती है। जल प्रबंधन के लिए जल वैज्ञानिकों को अपवाह की मात्रा जानने के लिए बेसिन स्तर पर वर्षा-अपवाह निदर्श तैयार करने के लिए आकर्षित करती रहती है। जल प्रबंधन का, नदी जल प्रवाह की मात्रा, जल आपूर्ति, सिंचाई परियोजना, जल निकासी, बाढ़ नियंत्रण, जल गुणता, विद्युत उत्पादन, मनोरंजन एवं जंगली जीव संरक्षण में विशेष महत्व है।
निदर्शों की श्रेणी में कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क निदर्श एकदम नवीन निदर्श है जो जलविज्ञानीय प्रक्रम में रेखीय व अरेखीय प्रक्रिया को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह निदर्श कम आंकड़ों की उपलब्धता पर भी भली-भाँति कार्य करता है। इस अध्ययन में ब.पी.ए.एन.एन. निदर्श को फोरट्रान भाषा में निदर्शित किया गया है। विकसित निदर्श का अतिरिक्त ध्रुवीकरण एवं निदर्श के सामान्यकरण के साथ उद्देश्यों की प्राप्ति अनुसार संशोधन किया जायेगा तथा इस निदर्श को तावी नदी के ऊपर जम्मू में तावी पुल तक के बेसिन के ऊपर वर्षा – अपवाह ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया गया है।
वर्ष 1992 से 2002 के माहवार आंकड़े पहले से ही विश्लेषित करके वार्षिक व्यवहार ज्ञात किया गया है। यह देखने में आया है कि वर्ष 1992 से 1997 तक के छः वर्ष के आंकड़ों में अपवाह एवं वर्षा का अनुपात 0.4 से 0.6 तक बदलता है। तथा 1998 से 2002 के आंकड़ों के अनुसार यह 0.18 से 0.27 के बीच आता है। प्रथम दृष्टि में यह लगता है कि यह अपवाह क्षेत्र के व्यवहार में सुधार है, जो अपवाह क्षति में कमी के कारण है। निदर्श के अंदर माहवार वर्षा एवं अपवाह के आंकड़े विभिन्न समयान्तर के साथ एक दूसरे में सबंधित करके प्रभावी गुणांक एवं समयान्तर निकाल कर उचित भौतिक प्रक्रिया निकाली गयी है। निदर्श को पूरे आंड़ों के साथ निदर्शित किया गया है। तथा तीन चार स्तरों पर विभिन्न तकनीकी प्रक्रियाओं द्वारा सामान्यकरण किया गया है। निदर्श की सांख्यकी टेस्टों द्वारा जांच की गयी है।
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निदर्शों की श्रेणी में कृत्रिम न्यूरल नेटवर्क निदर्श एकदम नवीन निदर्श है जो जलविज्ञानीय प्रक्रम में रेखीय व अरेखीय प्रक्रिया को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह निदर्श कम आंकड़ों की उपलब्धता पर भी भली-भाँति कार्य करता है। इस अध्ययन में ब.पी.ए.एन.एन. निदर्श को फोरट्रान भाषा में निदर्शित किया गया है। विकसित निदर्श का अतिरिक्त ध्रुवीकरण एवं निदर्श के सामान्यकरण के साथ उद्देश्यों की प्राप्ति अनुसार संशोधन किया जायेगा तथा इस निदर्श को तावी नदी के ऊपर जम्मू में तावी पुल तक के बेसिन के ऊपर वर्षा – अपवाह ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया गया है।
वर्ष 1992 से 2002 के माहवार आंकड़े पहले से ही विश्लेषित करके वार्षिक व्यवहार ज्ञात किया गया है। यह देखने में आया है कि वर्ष 1992 से 1997 तक के छः वर्ष के आंकड़ों में अपवाह एवं वर्षा का अनुपात 0.4 से 0.6 तक बदलता है। तथा 1998 से 2002 के आंकड़ों के अनुसार यह 0.18 से 0.27 के बीच आता है। प्रथम दृष्टि में यह लगता है कि यह अपवाह क्षेत्र के व्यवहार में सुधार है, जो अपवाह क्षति में कमी के कारण है। निदर्श के अंदर माहवार वर्षा एवं अपवाह के आंकड़े विभिन्न समयान्तर के साथ एक दूसरे में सबंधित करके प्रभावी गुणांक एवं समयान्तर निकाल कर उचित भौतिक प्रक्रिया निकाली गयी है। निदर्श को पूरे आंड़ों के साथ निदर्शित किया गया है। तथा तीन चार स्तरों पर विभिन्न तकनीकी प्रक्रियाओं द्वारा सामान्यकरण किया गया है। निदर्श की सांख्यकी टेस्टों द्वारा जांच की गयी है।
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