लाॅकडाउन में प्यास बुझाने के लिए स्कूल के बच्चों ने खोदा कुआं

Submitted by Shivendra on Sat, 04/25/2020 - 19:04

कुआं खोदते बच्चे। फोटो - ANI

भारत पहले से ही जल संकट के दौर से गुजर रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि 2020 से भारत में भीषण जल संकट गहरा सकता है। दिल्ली और चेन्नई सहित विभिन्न बड़े शहरों में भूजल समाप्त होने की चेतावनी दी थी। चेन्नई में पिछले साल ही भीषण जल संकट गहराया था। यहां भूजल 1 प्रतिशत से भी कम बचा था। दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में भी हर साल जल संकट गहराता है। साथ ही देश के 60 करोड़ लोग जल संकट का सामना कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी। जब तक दुनिया कोविड-19 वायरस को समझ पाती, ये महामारी में बदल गया। जिससे दुनिया में अब तक दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

महामारी के संक्रमण को कम करने के लिए बार बार साफ पानी से हाथ धोने और पर्याप्त स्वच्छता बनाए रखने की हिदायत दी जा ही है। साथ ही संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए देश में लाॅकडाउन है। ऐसे में पानी की मांग पहले की अपेक्षा बढ़ गई है, लेकिन जहां पहले ही लोगों को पीने के लिए पर्याप्त और साफ पानी नसीब न हो रहा हो, वहां हाथ धोने के लिए पानी कहां से आएगा ? ये आज भी एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है। जिस कारण इन परिस्थितियों में भी देश भर के विभिन्न इलाकों से जल संकट के मामले सामने आने लगे हैं। मध्य प्रदेश में अभी से ही करीब 100 निकायों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहां हर तीसरे दिन पानी की सप्लाई की जा रही है। ऐसा ही हाल अन्य इलाकों का भी है। देहरादून में भी कुछ दिन पहले 12 दिनों तक पानी की सप्लाई काफी कम हो गई थी। अब मामला कर्नाटक का है, जहां प्यास बुझाने के लिए 9वीं कक्षा के बच्चों को खुद कुआं खोदना पड़ा।

मामला दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगड़ी शहर का है। यहां कुक्कुव क्षेत्र में लोगों को पानी की समस्या हो रही है। लाॅकडाउन के दौरान बच्चों से पानी की किल्लत देखी नहीं गई तो, प्राथमिक स्कूल के पांच बच्चों ने चार दिन में 12 फीट गहरा कुआं खोद दिया। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कक्षा नौ के छात्र धनुष ने बताया कि ‘‘हम अब पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं। मेरे पांच दोस्तों की मदद से ये कुआं खोदा है। शुरुआत में सिर्फ मिट्टी मिली। फिर गहरी परतों में पत्थर भी मिले। खोदते खोदते दस फीट तक पहंुचे तो पानी मिला।’’ ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में भी देखने को मिला।

22 मार्च को देशभर में 21 दिन के लाॅकडाउन की घोषणा हुई थी। ऐसे में लोग व्याकुल हुए और सोचने लगे कि इतने दिन घर में क्या करेंगे, लेकिन महाराष्ट्र के वाशिम जिला कर्खेदा गांव के गजानन पकमोड ने अपने घर के बाहर कुआं खोदने की ठानी। गजानन और उनकी पत्नी पुष्पा ने मिलकर 21 दिनों मंे 25 फीट गहरा कुआं खोद दिया। एएनआई के मुताबिक गजानन का कहना है कि ‘‘लाॅकडाउन के बाद लगा कि हम घर में क्या करेंगे। तभी हमने कुछ करने का निर्णय लिया। मैंने अपनी पत्नी से घर के सामने पूजा करने के लिए कहा। फिर वहां से कुआं खोदने का काम शुरू किया। शुरुआत में लोग पागल कहने लगे, लेकिन 21वे दिन पानी मिलने पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान स्थानीय जल सेवा ज्यादातर बंद रहती हैं। ऐसे में घर बैठकर पानी के लिए नल को देखने से अच्छा काम कुआं खोदना था। ऐसा करके हमने हमेशा के लिए अपनी पानी की समस्या को खत्म कर दिया। 

ये मात्र संयोग नहीं है, बल्कि देश में पहले भी ऐसा हो चुका है। लोगों द्वारा इस प्रकार का प्रयास देश में गहराते जल संकट का संदेश है। जिसके लिए सरकारों को गंभीर होने की जरूरत है। क्योंकि कोरोना ही नहीं बल्कि हर प्रकार की बीमारी से बचने के लिए पानी और पर्याप्त स्वच्छता जरूर है, लेकिन पानी स्वच्छ होना चाहिए। वरना दूषित पानी विभिन्न बीमारियों को जन्म देता है। पानी के बिना स्वच्छता संभव नहीं है। साथ ही पानी विशेषकर शुद्ध पानी का अभाव कोरोना के प्रसार को कम करने के बजाए बढ़ा सकता है। जिसकी आशंका विभिन्न शोधों में पहले ही जताई गई है। इसलिए जल संरक्षण के प्रति जागरुक करने और लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का यही सही समय है। वरना भविष्य में समस्या विकराल रूप ले सकती है।


हिमांशु भट्ट (8057170025)