सूचना का अधिकार अधिनियम समूचे देश में सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों (जम्मू-कश्मीर के अलावा, जो संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जे के कारण इस अधिनियम के दायरे में नहीं आता)7 पर लागू होता है। सूचना का अधिकार अधिनियम विशिष्ट रूप से उन सरकारी संस्थाओं का उल्लेख करता है जिनसे आप सूचनाएँ पा सकते हैं। साथ ही यह मांग भी करता है कि इसके दायरे में आने वाली संस्थाएँ आपके आवेदनों को प्राप्त करने और उन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी अदा करने के लिये अलग से अधिकारियों को मनोनीत करें।
अधिनियम के दायरे में कौन सी संस्थाएँ आती हैं?
सूचना का अधिकार अधिनियम आपको ‘लोक प्राधिकरणों’ के पास मौजूद सूचनाओं तक पहुँच बनाने का अधिकार देता है।8 सार्वजनिक प्राधिकरणों में वे संस्थाएँ शामिल हैं जोः
संविधान द्वारा स्थापित या गठित हैं;
संसद या किसी राज्य विधायिका के कानून द्वारा स्थापित या गठित हैं;
केन्द्र या राज्य सरकार की किसी अधिसूचना या आदेश के द्वारा स्थापित या गठित हैं; और
राज्य या राज्य सरकार की किसी अधिसूचना या आदेश के द्वारा स्थापित या गठित हैं; और
राज्य व केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाली, उनके द्वारा नियंत्रित या पर्याप्त मात्रा में सरकारी धनराशियाँ पाने वाले निकाय
- सभी गैर सरकारी संगठनों व निजी क्षेत्र के निकायों जो सरकार के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित हैं।
‘लोक प्राधिकरण’ की परिभाषा जानबूझ कर व्यापक रखी गई है क्योंकि कानून के दायरे में अधिकतम संभव संस्थाओं को लाना जरूरी है। परिणामस्वरूप, सरकार के सभी प्रशासनिक स्तर इसके दायरे में आ जाते हैं। इसका अर्थ है कि लोग किसी भी और सभी पंचायतों – जिला परिषदों, समितियों/मंडल/जनपद पंचायतों और ग्राम पंचायतों - नगरपालिकाओं/निगमों, ब्लॉक विकास अधिकारियों, उप-प्रभाग अधिकारियों, जिला आयुक्त/उपायुक्त कार्यालयों, सचिवालय स्तर पर सभी सरकारी विभागों, सशस्त्र बलों, सरकार द्वारा स्थापित, संचालित या वित्तपोषित सभी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से सूचनाएँ मांग सकते हैं।
अधिनियम की एक उल्लेखनीय विशिष्टता यह है कि इसके दायरे में वे सभी गैर-सरकारी संगठन आते हैं जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी धनराशियाँ प्राप्त होती हैं। इसका अर्थ है कि जिन निजी संस्थाओं को सार्वजनिक धन दिया जाता है, वे जन निरीक्षण के लिये खुली होनी चाहिए। व्यवहार में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों या मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम जैसी सरकारी योजनाओं को कार्यान्वित कर रहे किसी भी खैराती संगठन के लिये सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाओं को सार्वजनिक करना आवश्यक है।
कुछ संगठन अधिनियम के दायरे में नहीं आते
दुर्भाग्यवश, अभी भी कुछ ऐसे संगठन/संस्थाएँ हैं जो पूरी तरह सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में नहीं आए हैं। अधिनियम विशिष्ट रूप से उन 18 केन्द्रीय सुरक्षा तथा गुप्तचर संगठनों को सूचीबद्ध करता है जिन्हें सूचनाएँ प्रदान करने की जरूरत नहीं है। राज्यों को अपने नियंत्रण वाली ऐसी ही संस्थाओं को इस दायरे से बाहर रखने की शक्तियाँ प्रदान करता है। लेकिन, अधिनियम कम से कम इन एजेंसियों से वे सूचनाएँ देने की माँग करता है जो भ्रष्टाचार तथा मानवाधिकारों के हनन के आरोपों के मामलों से सम्बन्धित की गई हैं। मानवाधिकारों के हनन के आरोपों के बारे में सूचनाएँ आवेदन की प्राप्ति के 45 दिनों के भीतर केवल सम्बन्धित सूचना आयोग के अनुमोदन से ही प्रदान की जाएंगी। |
मैं संस्था में किससे सम्पर्क करूं जिसके पास सूचनाएँ हों?
आदर्श रूप से किसी भी लोग प्राधिकरण में काम कर रहे अधिकारी को आपको अपना आवेदन जमा कराने में मदद देनी चाहिए। लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिये कि लोगों द्वारा सम्पर्क करने के लिये कोई तय सम्पर्क बिन्दु हो, सूचना का अधिकार अधिनियम लोक प्राधिकरणों में सूचना के आवेदनों से निपटने के लिये दो तरह के अधिकारियों को मनोनीत करता हैः लोक सूचना अधिकारी और सहायक लोक सूचना अधिकारी।
लोक सूचना अधिकारीः केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय स्तरों पर सभी प्रशासनिक इकाइयों या कार्यालयों में लोकसूचना अधिकारियों को मनोनीत किया जाना चाहिए। ये अधिकारी आवेदनों को प्राप्त करने और उन पर कार्रवाई करने के लिये जिम्मेदार हैं। आवेदन करने में कठिनाई का सामना कर रहे निवेदकों की सहायता करना भी इन अधिकारियों का कर्तव्य है। सभी कार्यालयों के सूचना पटलों और उनके वेबसाइट पर लोक सूचना अधिकारियों के नाम तथा पदनाम व पता प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
सहायक लोक सूचना अधिकारीः अधिनियम यह भी माँग करता है कि उप जिला या उप मण्डल स्तर पर लोक प्राधिकरण सहायक लोक सूचना अधिकारियों को भी मनोनीत करें। इनका काम आदेवनों को उच्च स्तरों के सम्बन्धित लोक सूचना अधिकारियों को आगे प्रेषित करना होगा। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि सीमांत इलाकों में सरकारी मुख्यालयों से दूर रहने वाले लोगों को अपने आवेदनों को जमा कराने और उन पर कार्रवाई की प्रगति जानने में कम कठिनाई हो। आवेदन की प्राप्ति के पाँच दिनों के भीतर आवेदनों को लोक सूचना अधिकारी को प्रेषित कर देना सहायक लोक सूचना अधिकारी का दायित्व है। वास्तव में आपको सूचना देने की जिम्मेदारी सहायक लोक सूचना अधिकारी की नहीं है। वह प्राथमिक रूप से लोक सूचना अधिकारी का दायित्व है। लेकिन, अगर सूचना आसानी से सुलभ है, तो उन्हें आपके आवेदन पर कार्रवाई कर जितना जल्द सम्भव है सूचना प्रदान करनी चाहिए।
लोक सूचना अधिकारी को आपको अपना आवेदन जमा कराने के लिये इधर से उधर भटकाना नहीं चाहिए कुछ सरकारी मंत्रालयों/विभागों में आवेदनों को प्राप्त व उन पर कार्रवाई करने के लिये कई लोक सूचना अधिकारियों को मनोनीत किया गया है। यह स्थिति निवेदकों को बहुत उलझन में डालने वाली रही है क्योंकि लोक सूचना अधिकारियों ने उन्हें तब तक एक से दूसरे सूचना अधिकारी के पास भटकाया है जब तक उन्हें “सही” लोक सूचना अधिकारी नहीं मिल गया। उदाहरण के लिये, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 40 के आस-पास लोक सूचना अधिकारी मनोनीत किए हैं और उनमें से हर एक को एक विशिष्ट विषय/अधिकार क्षेत्र सौंपा है। परिणाम स्वरूप, अगर निवेदित सूचना एक से ज्यादा लोक सूचना अधिकारियों के क्षेत्र से सम्बन्धित है तो आवेदकों को कई आवेदन सौंपने या अतिरिक्त शुल्क अदा करने के लिये मजबूर किया गया है। अधिनियम के तहत ऐसा करने की स्वीकृति नहीं है। हाल ही के एक मामले में, केन्द्रीय सूचना आयोग ने इस बात की पुष्टि की कि यह गलत तरीका है और उसने डीडीए को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करे कि उसके लोक सूचना अधिकारी सभी आवेदनों को स्वीकार करें, भले ही वे उन्हें सौंपे गए खास विषय/क्षेत्र के दायरे में आते हों या नहीं।12 आदर्श रूप से लोक प्राधिकरण आवेदनों के लिये ‘एकल खिड़की’ की व्यवस्था विकसित कर सकते हैं जहाँ कार्यालय के आगे के हिस्से में एक सहायक लोक सूचना अधिकारी सभी आवेदनों को प्राप्त करें भले ही बाद में उन पर कार्रवाई करने का काम कोई लोक सूचना अधिकारियों द्वारा किया जाए। |
केन्द्र सरकार ने केन्द्र सरकार के मामलों से सम्बन्धित सभा आवेदनों को आगे विभिन्न विभागों के सम्बन्धित लोक सूचना अधिकारियों को प्रेषित करने के लिये देश भर में कई डाक विभाग कार्यालयों में सहायक लोक सूचना अधिकारियों को मनोनीत किया है। डाक विभाग में केन्द्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारियों की पूरी सूची के लिये आधिकारिक सूचना का अधिकार वेबसाइट (http://rti.gov.in) देखी जा सकती है।
7देखें टिप्पणी 4
8धारा 2(एच), सूचना अधिकार अधिनियम 2005 (अगर आगे अलग से उल्लेख नहीं किया गया है, तो सभी धाराएँ सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की हैं)।
9धारा 24
10धारा 5(1)
11धारा 5(2)
12केन्द्रीय सूचना आयोग (2006) अपील सं. 10/1/2005-सीआईसी, 25 फरवरीः http//cic.nic.in, 20 मार्च 2006