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रोजगार समाचार
मानवाधिकार राष्ट्रीयता, निवास- स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या नैतिक स्रोत, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से परे सभी व्यक्तियों में निहित अधिकार हैं। हम सभी, बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकार के समान रूप से हकदार हैं। ये अधिकार परस्पर संबंधी, एक-दूसरे पर आश्रित तथा अविभाज्य होते हैं।
सार्वभौमिक मानवाधिकारों को प्रायः समझौतों, प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय विधि, सामान्य सिद्धांतों तथा अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य स्रोतों के रूप में विधि द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है तथा इनका आश्वासन दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि व्यक्तियों या समूहों के मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए कई रूपों में कार्य करने एवं कई कृत्यों से दूर रहने के दायित्व निर्धारित करते हैं ।
• सुरक्षा अधिकार - जो व्यक्तियों की, हत्या, जनसंहार, उत्पीड़न तथा बलात्कार जैसे अपराधों से रक्षा करते हैं।
• स्वतंत्रता अधिकार - जो विश्वास एवं धर्म, संगठनों, जन-समुदायों तथा आंदोलन जैसे क्षेत्रों में स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।
• राजनीतिक अधिकार - जो स्वयं को अभिव्यक्ति, विरोध, वोट देकर तथा सार्वजनिक कार्यालयों में सेवा द्वारा राजनीति में भाग लेने की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं ।
• उपयुक्त कार्यवाही अधिकार - जो मुकदमे के बिना कैद करने, गुप्त मुकदमे चलाने तथा अधिक सजा देने जैसी विधिक प्रणाली के दुरूपयोग से रक्षा करते हैं ।
• समानता अधिकार - जो समान नागरिकता, विधि के समक्ष समानता एवं पक्षपात रहित होने का आश्वासन देते हैं ।
• कल्याण अधिकार (ये आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों के रूप में जाने जाते हैं)। जिनमें शिक्षा का तथा अत्यंत निर्धनता और भुखमरी से रक्षा का प्रावधान है ।
• सामूहिक अधिकार - जो विजाति-संहार के विरुद्ध एवं देशों द्वारा उनके राष्ट्रीय क्षेत्रों तथा संसाधनों के स्वामित्व के लिए समूहों को रक्षा प्रदान करते हैं ।
सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा के अनुसार मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन तब होता है, जबः-
• कोई पंथ या कोई समूह ‘एक’ व्यक्ति के रूप में मान्यता से मना करता है (अनुच्छेद-2)
• पुरुषों तथा महिलाओं को समान नहीं माना जाता (अनुच्छेद 2)
• विभिन्न जाति के या धार्मिक समूहों को समान नहीं माना जाता (अनुच्छेद 2)
• व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता या सुरक्षा संकट ग्रस्त होने पर (अनुच्छेद 3)
• किसी व्यक्ति को बेचना या दास के रूप में उपयोग करना (अनुच्छेद 4)
• किसी व्यक्ति को निर्मम, अमानवीय या अनुचित दण्ड (जैसे उत्पीड़न या मृत्यु दण्ड) देने पर (अनुच्छेद 5)
• किसी उपयुक्त या निष्पक्ष जांच किए बिना मनमाना या एक तरफा दण्ड दिया जाता है (अनुच्छेद 11)
• राष्ट्र के एजेंटों द्वारा व्यक्तिगत या निजी जीवन में मनमाना हस्तक्षेप किया जाता है (अनुच्छेद 12)
• नागरिकों को अपना देश छोड़ने से मना किया जाता है (अनुच्छेद 13)
• बोलने या धर्म की स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है (अनुच्छेद 18 एवं 19)
• किसी ट्रेड यूनियन से जुड़ने के अधिकार से वंचित किया जाता है (अनुच्छेद 23)
• शिक्षा से वंचित रखा जाता है (अनुच्छेद 26)
मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता का सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि का आधार है। इस सिद्धांत को, जैसा कि 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में पहली बार बल दिया गया था, उनके अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों, घोषणाओं तथा संकल्पों में दोहराया गया है। उदाहरण के लिए, 1993 में विएना विश्व मानवाधिकार सम्मेलन में कहा गया था कि यह राष्ट्रों का दायित्व है कि वे सभी मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को, उनकी राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर ध्यान दिए बिना, बढ़ावा दे एवं उनकी रक्षा करें ।
सभी राज्यों ने कम से कम एक का और 80% राष्ट्रों ने चार या अधिक उन मुख्य मानव अधिकार समझौतों का समर्थन किया है, जिन में राष्ट्रों की सहमति का उल्लेख है और जो राष्ट्रों के लिए विधिक दायित्वों का सृजन करते हैं और सार्वभौमिकता को ठोस अभिव्यक्ति देते हैं। कुछ मूलभूत मानवाधिकार मानदण्डों को सभी राष्ट्रों तथा सभ्यताओं में प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय विधि सार्वभौमिक सुरक्षा मिली है ।
मानवाधिकार अहरणीय है अर्थात इन्हें छीना नहीं जा सकता। इन्हें विशेष स्थितियों को छोड़कर और उपयुक्त कार्यवाही के बिना हटाया नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी विधि न्यायालय द्वारा किसी अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसकी स्वतंत्रता का अधिकार सीमित किया जा सकता है ।
सभी मानवाधिकार अविभाज्य हैं, भले ही वे नागरिक या राजनीतिक अधिकार हों, ऐसे ही अधिकार विधि के समक्ष जीवन, समानता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार, कार्य करने, सामाजिक सुरक्षा तथा शिक्षा के अधिकार और इसी तरह विकास एवं स्व-निर्धारण के अधिकार अहरणीय, परस्पर एक दूसरे पर निर्भर और परस्पर जुड़े हुए हैं। एक अधिकार में सुधार लाने से अन्य अधिकारों के विकास में सहयता मिलती है। इसी तरह एक अधिकार के हरण से अन्य अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।
निष्पक्षता अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि में एक मजबूत सिद्धांत है। यह सिद्धांत सभी बड़े मानवाधिकार समझौते में व्याप्त है और कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों जैसे कि सभी प्रकार के जातीय भेदभावों के उन्मूलन से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभावों ने उन्मूलन से जुड़े सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य को प्रस्तुत करता है ।
यह सिद्धांत सभी मानवाधिकारों तथा स्वतंत्रता के संबंध में सभी पर लागू होता है और यह सिद्धांत, लिंग, जाति, रंग तथा ऐसे अन्य वर्गों की सूची के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। समानता का सिद्धांत निष्पक्षता के सिद्धांत का पूरक है। यह सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में उल्लिखितय इस अनुच्छेद-1 में उल्लिखित इस तथ्य से भी प्रकट होता है कि सभी मनुष्य जन्म से ही स्वतंत्र होते हैं तथा मान-सम्मान तथा अधिकारों में भी समान होते हैं ।
मानवाधिकार अधिकारों तथा दायित्वों - दोनों को अपरिहार्य बनाते हैं। राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत दायित्वों तथा कार्यों को, मानवाधिकारों को आदर देने, उनकी रक्षा करने तथा उन्हें पूरा करने वाला मानते हैं। आदर देने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मानवाधिकारों के प्रयोग में हस्तक्षेप करने से अथवा उसके प्रयोग को घटाने से बचना चाहिए। रक्षा के दायित्वों के संबंध में राष्ट्रों को, मानवाधिकारों के दुरूपयोगों से व्यक्तियों या समूहों की रक्षा करनी चाहिए। पूरा करने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मूल मानवाधिकारों के प्रयोगों के कारगर बनाने के लिए सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, जब कि हम अपने मानवाधिकारों के हकदार हैं, हमें अन्यों के मानवाधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए ।
पर्याप्त संरक्षण
• उपयुक्त जीवन स्तर के अधिकार एवं इस संदर्भ में निष्पक्षता के अधिकार पर पर्याप्त संरक्षण विषयक विशेष रिपोर्टर।
• व्यवसाय एवं मानवाधिकार
• बाल अधिकार समिति (सी.आर.सी.)
• बच्चों के कार्य करने और/या बेसहारा बच्चों के जीवन-यापन पर ओ.एच.सी.एच.आर. अध्ययन।
• बच्चों को बेचने, बाल-दुरुपयोग एवं बाल अश्लीलता पर विशेष रिपोर्टर।
• बाल-हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र अध्ययन
• मानवाधिकार समिति (एच.आर.सी.)
• मानवाधिकार एवं जलवायु परिवर्तन
• संचार संबंधी कार्य-समूह
• सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में स्वतंत्र विशेषज्ञप्रजातंत्र
• विधि का नियम - प्रजातंत्र एवं मानवाधिकार
• निरंकुश कारावास विषयक कार्य समूह
• विकास - अच्छा शासन
• विदेशी ऋण तथा राष्ट्रों की अन्य संबंधित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाध्यताओं के प्रभावों पर सभी
• विकास अधिकार पर कार्य समूह
• विकास-अधिकार
• विकलांग जनों का मानवाधिकार
• जबरन लुप्तता विषयक समिति (सी.ई.डी)
• जबरन या अनचाही लुप्तता संबंधी कार्य-समूह
• पक्षपात/भेदभाव पर विशेष ध्यान
• आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार समिति
• आर्थिक - सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार-सामान्य सूचना एवं संसाधन.
• आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र से संबद्ध एक वैकल्पिक
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण
• शिक्षा-अधिकार विषयक विशेष रिपोर्टर
• विषैले तथा खतरनाक उत्पादों एवं कूडे़ को लाने ले जाने तथा ढेर लगाने के प्रतिकूल प्रभावों पर
• अतिन्यायिक, संक्षिप्त या ऐच्छिक प्राणदण्ड पर विशेष रिपोर्टर
• भोजन अधिकार पर विशेष रिपोर्टरविचार
• भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को भड़काने वाले धार्मिक द्वेष की अभिव्यक्ति या समर्थन की स्वतंत्रता।
• विचार देने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर विशेष रिपोर्टर
• धर्म एवं विश्वास (आस्था) की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टर
• महिला अधिकार एवं लिंग
• व्यवसाय एवं मानवाधिकार
• सार्वभौमिकरण - व्यापार एवं निवेश
• कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों तथा उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध भेदभाव समाप्त करने संबंधी
• शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानकों का उपयोग करने के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों पर विशेष रिपोर्टर।
• एच.आई.वी./एड्स तथा मानवाधिकार
• मानवाधिकार एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता पर स्वतंत्र विशेषज्ञ
• मानवाधिकार रक्षकों/समर्थकों पर विशेष रिपोर्टर
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण संबंधी संयुक्त राष्ट्र घोषणा
• विश्व मानवाधिकार शिक्षा कार्यक्रम (2005 से)
• मानवाधिकार सूचक
• दण्ड मुक्ति की विरोधात्मक कार्रवाई के माध्यम से मानवाधिकार की सुरक्षा तथा प्रोत्साहन हेतु सिद्धांतों को अद्यतन करने संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
• जजों तथा वकीलों की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टर
• स्थानीय नागरिकों के अधिकारों पर विशेषज्ञ व्यवस्था
• अध्येतावृत्ति कार्यक्रम
• मेन पेज इंडिजिनस
• स्थानीय व्यक्तियों के अधिकारों पर मसौदा घोषणा संबंधी अंतर-सत्र कार्य-समूह
• स्थानीय व्यक्तियों पर विशेष रिपोर्टर
• स्थानीय जनसंख्या के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिप्रेत निधि•
• स्थानीय जनसंख्या पर कार्य समूह
• आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों संबंधी महासचिव के प्रतिनिधि
• मानवाधिकार तथा अंतर्राष्ट्रीय एकता विषयक स्वतंत्र विशेषज्ञ
• स्वाधीनता के विषयक व्यक्तियों के अधिकारों के उपयोग को रोकने के एक साधन के रूप में किराए के सिपाहियों का प्रयोग करने संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
• स्वाधीनता के व्यक्तियों के अधिकारों के उपयोग को रोकने के साधन के रूप में किराए के सिपाहियों का प्रयोग करने संबंधी कार्य-समूह
• सभी प्रवासित मजदूरों तथा उनके परिवार के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा विषयक समिति.
• प्रवसन एवं मानवाधिकार
• प्रवासित व्यक्तियों के मानवाधिकारों पर विशेष रिपोर्टर
• सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य एवं मानवाधिकार
• अध्येतावृत्ति कार्यक्रम
• अल्पसंख्यक मामलों पर स्वतंत्र विशेषज्ञ
• वृद्ध जन
• मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा की राष्ट्रीय कार्य योजना
• ‘‘अति निर्धनता तथा मानवाधिकार: गरीबों के अधिकार’’ नामक मार्गदर्शक सिद्धांतों के मसौदे पर
• निर्धनता के मानवाधिकार आयाम
• अति निर्धनता एवं मानवाधिकार पर विशेष रिपोर्टर
• पूरक मानकों के विस्तार संबंधी तदर्थ समिति
• नस्ल भेदभाव उन्मूलन समिति
• डरबन समीक्षा सम्मेलन (2009)
• स्वतंत्र प्रख्यात विशेषज्ञ समूह
• नस्लवाद के समकालिक रूपों पर विशेष रिपोर्टर
• अफ्रीकी वंश के व्यक्तियों पर विशेषज्ञ कार्य समूह
• डरबन घोषणा तथा कार्य कृ कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन संबंधी कार्य समूह
• नस्लवाद, जातीय भेदभाव, विदेशी-द्वेष तथा संबंधित असहिष्णुता के विरुद्ध विश्व सम्मेलन, डरबन (2001)
• विधि का नियम
• दासता के समकालिक रूपों पर विशेष रिपोर्टर
• दासता के समकालिक रूपों पर वोलंटरी ट्रस्ट फंड
• दासता के समकालिक रूपों संबंधी कार्य-समूह
• आतंकवाद के विरुद्ध मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता की सुरक्षा संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
• मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर उप-आयोग की मानवाधिकार एवं आतंकवाद पर विशेष
• आतंकवाद के विरुद्ध मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर विशेष रिपोर्टर
• उत्पीड़न विरोधी समिति (सी.ए.टी.)
• उत्पीड़न पर विशेष रिपोर्टर
• उत्पीड़न निवारण उप-समिति
• उत्पीडि़त व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र वोलंटरी फंड
• व्यक्तियों विशेष रूप से महिलाओं तथा बच्चों में अवैध व्यापार पर विशेष रिपोर्टर
• मानवाधिकार, एवं राष्ट्रपार निगमों तथा अन्य व्यवसाय उद्यमों पर विशेष समूह के विशेष प्रतिनिधि जल एवं सफाई
• मानवाधिकार एवं जलवृद्धि पर परामर्श
• सुरक्षित पेय जल एवं सफाई अधिकार पर विशेष रिपोर्टर
• सुरक्षित पेय जल एवं सफाई पर उचित वृद्धि से संबंधित मानवाधिकार बाध्यताओं पर अध्ययन के लिए स्टेक होल्डर्स की समीक्षा
• महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव उन्मूलन समिति (सी.ई.डी.ए.डब्ल्यू.)
• महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, इसके कारण तथा परिणामों पर विशेष रिपोर्टर
• महिला अधिकार एवं जेंडर मेनपेज
• विधि में एवं व्यवहार में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के मामलों विषयक कार्य-समूह
• संचार
• लेखन
• रिपोर्ट लेखन
• अनुसंधान
• अंतर वैयक्तिक संचार
• प्रबंधन
• विधिक
• समर्थन
• एकजुट होकर कार्य करना (टीमवर्क)
• विश्लेषक एवं आलोचनात्मक सोच
भारत में मानवाधिकार अभी भी अपने विकास चरण में है। फिर भी इस क्षेत्र में विशेषज्ञता कर रहे छात्रों के लिए अनेक अवसर खुले हुए हैं। विकलांगों, अनाथ, दीन-हीन, शरणार्थियों, मानसिक विकलांगों तथा नशीले पदार्थ सेवियों के साथ कार्य करने वाले समाजसेवी संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों में करियर के अवसर उपलब्ध हैं। मानवाधिकार व्यवसायी सामान्यतः मानवाधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्थापित गैर-सरकारी संगठनों में भी कार्य कर सकते हैं। ये गैर-सरकारी संगठन मानवाधिकार सक्रियतावाद, आपदा एवं आपातकालीन राहत, मानवीय सहायता बाल एवं बंधुआ मजदूरों, विस्थापित व्यक्तियों, संघर्ष समाधान तथा अन्यों में सार्वजनिक हित के मुकदमेबाजी के क्षेत्र में भी कार्य करते हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों को, मानवाधिकार में विशेषज्ञता करने वाले व्यक्तियों की निररंतर तलाश रहती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र संगठन भी शामिल हैं।
भारत में सांविधिक सरकारी निकाय एवं निगम जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य आयोग (महिला, बाल, मानवाधिकार, मजदूर, कल्याण, अल्पसंख्यक समुदाय, अजा एवं अजजा आयोग), सैन्य, अर्ध-सैन्य तथा पुलिस विभाग, पंचायती राज संस्था, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान निकाय और उत्कृष्टता केन्द्र, जिला ग्रामीण विकास एजेंसी तथा जिला शहरी विकास एजेंसी, वकीलों तथा विधिक विशेषज्ञों द्वारा चलाए जाने वाले मानवाधिकार परामर्शदाता संगठन कुछ अन्य ऐसे स्थान हैं जहां कॅरिअर के अवसर तलाश सकते हैं, बाल-अपराध एवं बाल-दुव्र्यवहार जैसी सुधार संस्थाओं और महिला सुधार केन्द्रों, कारागार एवं बेघर गृहों में भी कार्य किया जा सकता है।
मानवाधिकार विशेषज्ञों की मांग शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ने की संभावना है।
मानवाधिकार पाठ्यक्रम चलाने वाली कुछ संस्थाएं निम्नलिखित हैं-
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
• डॉ. बी.आर. अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ
• भारतीय मानवाधिकार संस्थान, नई दिल्ली
• भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
• राष्ट्रीय विधि विद्यालय, बंगलौर
• मद्रास विश्वविद्यालय, चैन्नई
• मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
(उक्त सूची उदाहरण मात्र हैं)
अधिकांश विश्वविद्यालय मास्टर या स्नातकोत्तर कार्यक्रम में मानवाधिकार को एक मुख्य विषय के रूप में रखते हैं। कुछ विश्वविद्यालय, संस्थाएं एवं कॉलेज डिप्लोमा तथा प्रमाणपत्र भी चलाते हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश पात्रता सामान्यतः किसी भी विषय में स्नातक डिग्री होती है।
इस क्षेत्र में वेतन कार्य-प्रकृति पर निर्भर होता है। तथापित, उच्च वेतन तथा अन्य विभिन्न लाभ इस तथ्य पर निर्भर करते हैं कि कोई व्यक्ति सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय जैसे क्षेत्र में कार्य कर रहा है या भारत अथवा विदेश में कार्य कर रहा है ।
लेखक विधि संकाय, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ से संबद्ध है। ई-मेलः manumanieche@gmail.com
सार्वभौमिक मानवाधिकारों को प्रायः समझौतों, प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय विधि, सामान्य सिद्धांतों तथा अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य स्रोतों के रूप में विधि द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है तथा इनका आश्वासन दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि व्यक्तियों या समूहों के मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए कई रूपों में कार्य करने एवं कई कृत्यों से दूर रहने के दायित्व निर्धारित करते हैं ।
मानवाधिकार संविधान में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:-
• सुरक्षा अधिकार - जो व्यक्तियों की, हत्या, जनसंहार, उत्पीड़न तथा बलात्कार जैसे अपराधों से रक्षा करते हैं।
• स्वतंत्रता अधिकार - जो विश्वास एवं धर्म, संगठनों, जन-समुदायों तथा आंदोलन जैसे क्षेत्रों में स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं।
• राजनीतिक अधिकार - जो स्वयं को अभिव्यक्ति, विरोध, वोट देकर तथा सार्वजनिक कार्यालयों में सेवा द्वारा राजनीति में भाग लेने की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं ।
• उपयुक्त कार्यवाही अधिकार - जो मुकदमे के बिना कैद करने, गुप्त मुकदमे चलाने तथा अधिक सजा देने जैसी विधिक प्रणाली के दुरूपयोग से रक्षा करते हैं ।
• समानता अधिकार - जो समान नागरिकता, विधि के समक्ष समानता एवं पक्षपात रहित होने का आश्वासन देते हैं ।
• कल्याण अधिकार (ये आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों के रूप में जाने जाते हैं)। जिनमें शिक्षा का तथा अत्यंत निर्धनता और भुखमरी से रक्षा का प्रावधान है ।
• सामूहिक अधिकार - जो विजाति-संहार के विरुद्ध एवं देशों द्वारा उनके राष्ट्रीय क्षेत्रों तथा संसाधनों के स्वामित्व के लिए समूहों को रक्षा प्रदान करते हैं ।
मानवाधिकारों का उल्लंघन
सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा के अनुसार मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन तब होता है, जबः-
• कोई पंथ या कोई समूह ‘एक’ व्यक्ति के रूप में मान्यता से मना करता है (अनुच्छेद-2)
• पुरुषों तथा महिलाओं को समान नहीं माना जाता (अनुच्छेद 2)
• विभिन्न जाति के या धार्मिक समूहों को समान नहीं माना जाता (अनुच्छेद 2)
• व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता या सुरक्षा संकट ग्रस्त होने पर (अनुच्छेद 3)
• किसी व्यक्ति को बेचना या दास के रूप में उपयोग करना (अनुच्छेद 4)
• किसी व्यक्ति को निर्मम, अमानवीय या अनुचित दण्ड (जैसे उत्पीड़न या मृत्यु दण्ड) देने पर (अनुच्छेद 5)
• किसी उपयुक्त या निष्पक्ष जांच किए बिना मनमाना या एक तरफा दण्ड दिया जाता है (अनुच्छेद 11)
• राष्ट्र के एजेंटों द्वारा व्यक्तिगत या निजी जीवन में मनमाना हस्तक्षेप किया जाता है (अनुच्छेद 12)
• नागरिकों को अपना देश छोड़ने से मना किया जाता है (अनुच्छेद 13)
• बोलने या धर्म की स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है (अनुच्छेद 18 एवं 19)
• किसी ट्रेड यूनियन से जुड़ने के अधिकार से वंचित किया जाता है (अनुच्छेद 23)
• शिक्षा से वंचित रखा जाता है (अनुच्छेद 26)
सार्वजनिक एवं अहरणीय
मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता का सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि का आधार है। इस सिद्धांत को, जैसा कि 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में पहली बार बल दिया गया था, उनके अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों, घोषणाओं तथा संकल्पों में दोहराया गया है। उदाहरण के लिए, 1993 में विएना विश्व मानवाधिकार सम्मेलन में कहा गया था कि यह राष्ट्रों का दायित्व है कि वे सभी मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को, उनकी राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्थाओं पर ध्यान दिए बिना, बढ़ावा दे एवं उनकी रक्षा करें ।
सभी राज्यों ने कम से कम एक का और 80% राष्ट्रों ने चार या अधिक उन मुख्य मानव अधिकार समझौतों का समर्थन किया है, जिन में राष्ट्रों की सहमति का उल्लेख है और जो राष्ट्रों के लिए विधिक दायित्वों का सृजन करते हैं और सार्वभौमिकता को ठोस अभिव्यक्ति देते हैं। कुछ मूलभूत मानवाधिकार मानदण्डों को सभी राष्ट्रों तथा सभ्यताओं में प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय विधि सार्वभौमिक सुरक्षा मिली है ।
मानवाधिकार अहरणीय है अर्थात इन्हें छीना नहीं जा सकता। इन्हें विशेष स्थितियों को छोड़कर और उपयुक्त कार्यवाही के बिना हटाया नहीं जा सकता। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी विधि न्यायालय द्वारा किसी अपराध का दोषी पाया जाता है तो उसकी स्वतंत्रता का अधिकार सीमित किया जा सकता है ।
परस्पर निर्भर एवं अविभाज्य
सभी मानवाधिकार अविभाज्य हैं, भले ही वे नागरिक या राजनीतिक अधिकार हों, ऐसे ही अधिकार विधि के समक्ष जीवन, समानता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकार, कार्य करने, सामाजिक सुरक्षा तथा शिक्षा के अधिकार और इसी तरह विकास एवं स्व-निर्धारण के अधिकार अहरणीय, परस्पर एक दूसरे पर निर्भर और परस्पर जुड़े हुए हैं। एक अधिकार में सुधार लाने से अन्य अधिकारों के विकास में सहयता मिलती है। इसी तरह एक अधिकार के हरण से अन्य अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।
समान एवं निप्पक्ष
निष्पक्षता अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि में एक मजबूत सिद्धांत है। यह सिद्धांत सभी बड़े मानवाधिकार समझौते में व्याप्त है और कुछ अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार सम्मेलनों जैसे कि सभी प्रकार के जातीय भेदभावों के उन्मूलन से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभावों ने उन्मूलन से जुड़े सम्मेलन के मुख्य उद्देश्य को प्रस्तुत करता है ।
यह सिद्धांत सभी मानवाधिकारों तथा स्वतंत्रता के संबंध में सभी पर लागू होता है और यह सिद्धांत, लिंग, जाति, रंग तथा ऐसे अन्य वर्गों की सूची के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है। समानता का सिद्धांत निष्पक्षता के सिद्धांत का पूरक है। यह सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा में उल्लिखितय इस अनुच्छेद-1 में उल्लिखित इस तथ्य से भी प्रकट होता है कि सभी मनुष्य जन्म से ही स्वतंत्र होते हैं तथा मान-सम्मान तथा अधिकारों में भी समान होते हैं ।
अधिकार एवं दायित्व-दोनों
मानवाधिकार अधिकारों तथा दायित्वों - दोनों को अपरिहार्य बनाते हैं। राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत दायित्वों तथा कार्यों को, मानवाधिकारों को आदर देने, उनकी रक्षा करने तथा उन्हें पूरा करने वाला मानते हैं। आदर देने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मानवाधिकारों के प्रयोग में हस्तक्षेप करने से अथवा उसके प्रयोग को घटाने से बचना चाहिए। रक्षा के दायित्वों के संबंध में राष्ट्रों को, मानवाधिकारों के दुरूपयोगों से व्यक्तियों या समूहों की रक्षा करनी चाहिए। पूरा करने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मूल मानवाधिकारों के प्रयोगों के कारगर बनाने के लिए सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, जब कि हम अपने मानवाधिकारों के हकदार हैं, हमें अन्यों के मानवाधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए ।
मानवाधिकार मामले
पर्याप्त संरक्षण
• उपयुक्त जीवन स्तर के अधिकार एवं इस संदर्भ में निष्पक्षता के अधिकार पर पर्याप्त संरक्षण विषयक विशेष रिपोर्टर।
व्यवसाय एवं मानवाधिकार
• व्यवसाय एवं मानवाधिकार
बालक
• बाल अधिकार समिति (सी.आर.सी.)
• बच्चों के कार्य करने और/या बेसहारा बच्चों के जीवन-यापन पर ओ.एच.सी.एच.आर. अध्ययन।
• बच्चों को बेचने, बाल-दुरुपयोग एवं बाल अश्लीलता पर विशेष रिपोर्टर।
• बाल-हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र अध्ययन
सिविल एवं राजनीतिक अधिकार
• मानवाधिकार समिति (एच.आर.सी.)
जलवायु परिवर्तन
• मानवाधिकार एवं जलवायु परिवर्तन
संचार
• संचार संबंधी कार्य-समूह
सांस्कृतिक अधिकार
• सांस्कृतिक अधिकारों के क्षेत्र में स्वतंत्र विशेषज्ञप्रजातंत्र
• विधि का नियम - प्रजातंत्र एवं मानवाधिकार
कारावास
• निरंकुश कारावास विषयक कार्य समूह
विकास (अच्छा शासन एवं ऋण)
• विकास - अच्छा शासन
• विदेशी ऋण तथा राष्ट्रों की अन्य संबंधित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाध्यताओं के प्रभावों पर सभी
मानवाधिकारों, विशेष रूप से आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों पर स्वतंत्र विशेषज्ञ।
• विकास अधिकार पर कार्य समूह
• विकास-अधिकार
विकलांगता एवं मानवाधिकार
• विकलांग जनों का मानवाधिकार
लुप्तता
• जबरन लुप्तता विषयक समिति (सी.ई.डी)
• जबरन या अनचाही लुप्तता संबंधी कार्य-समूह
पक्षपात/भेदभाव
• पक्षपात/भेदभाव पर विशेष ध्यान
आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार
• आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार समिति
• आर्थिक - सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार-सामान्य सूचना एवं संसाधन.
• आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र से संबद्ध एक वैकल्पिक
प्रोटोकोल विषयक कार्य-समूहशिक्षा
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण
• शिक्षा-अधिकार विषयक विशेष रिपोर्टर
पर्यावरण
• विषैले तथा खतरनाक उत्पादों एवं कूडे़ को लाने ले जाने तथा ढेर लगाने के प्रतिकूल प्रभावों पर
मानवाधिकार के उपयोग पर विशेष रिपोर्टर प्राणदण्ड
• अतिन्यायिक, संक्षिप्त या ऐच्छिक प्राणदण्ड पर विशेष रिपोर्टर
भोजन
• भोजन अधिकार पर विशेष रिपोर्टरविचार
एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
• भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को भड़काने वाले धार्मिक द्वेष की अभिव्यक्ति या समर्थन की स्वतंत्रता।
• विचार देने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर विशेष रिपोर्टर
धर्म एवं विश्वास की स्वतंत्रता
• धर्म एवं विश्वास (आस्था) की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टर
लिंग
• महिला अधिकार एवं लिंग
सार्वभौमिक (व्यवसाय, व्यापार एवं निवेश)
• व्यवसाय एवं मानवाधिकार
• सार्वभौमिकरण - व्यापार एवं निवेश
स्वास्थ्य
• कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों तथा उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध भेदभाव समाप्त करने संबंधी
परामर्श
• शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य मानकों का उपयोग करने के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों पर विशेष रिपोर्टर।
एच.आई.वी./एड्स
• एच.आई.वी./एड्स तथा मानवाधिकार
मानवाधिकार एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता
• मानवाधिकार एवं अंतर्राष्ट्रीय एकता पर स्वतंत्र विशेषज्ञ
मानवाधिकार रक्षक/समर्थक
• मानवाधिकार रक्षकों/समर्थकों पर विशेष रिपोर्टर
मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण
• मानवाधिकार शिक्षा एवं प्रशिक्षण संबंधी संयुक्त राष्ट्र घोषणा
• विश्व मानवाधिकार शिक्षा कार्यक्रम (2005 से)
मानवाधिकार सूचक
• मानवाधिकार सूचक
दण्ड मुक्ति
• दण्ड मुक्ति की विरोधात्मक कार्रवाई के माध्यम से मानवाधिकार की सुरक्षा तथा प्रोत्साहन हेतु सिद्धांतों को अद्यतन करने संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
न्याय-तंत्र की स्वतंत्रता
• जजों तथा वकीलों की स्वतंत्रता पर विशेष रिपोर्टर
स्थानीय व्यक्ति
• स्थानीय नागरिकों के अधिकारों पर विशेषज्ञ व्यवस्था
• अध्येतावृत्ति कार्यक्रम
• मेन पेज इंडिजिनस
• स्थानीय व्यक्तियों के अधिकारों पर मसौदा घोषणा संबंधी अंतर-सत्र कार्य-समूह
• स्थानीय व्यक्तियों पर विशेष रिपोर्टर
• स्थानीय जनसंख्या के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिप्रेत निधि•
• स्थानीय जनसंख्या पर कार्य समूह
आतंरिक विस्थापन
• आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों संबंधी महासचिव के प्रतिनिधि
अंतर्राष्ट्रीय एकता
• मानवाधिकार तथा अंतर्राष्ट्रीय एकता विषयक स्वतंत्र विशेषज्ञ
मर्सिनेरीज (किराए के सिपाही)
• स्वाधीनता के विषयक व्यक्तियों के अधिकारों के उपयोग को रोकने के एक साधन के रूप में किराए के सिपाहियों का प्रयोग करने संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
• स्वाधीनता के व्यक्तियों के अधिकारों के उपयोग को रोकने के साधन के रूप में किराए के सिपाहियों का प्रयोग करने संबंधी कार्य-समूह
प्रवास
• सभी प्रवासित मजदूरों तथा उनके परिवार के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा विषयक समिति.
• प्रवसन एवं मानवाधिकार
• प्रवासित व्यक्तियों के मानवाधिकारों पर विशेष रिपोर्टर
• सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य एवं मानवाधिकार
अल्प संख्यक समुदाय
• अध्येतावृत्ति कार्यक्रम
• अल्पसंख्यक मामलों पर स्वतंत्र विशेषज्ञ
वृद्ध जन
• वृद्ध जन
मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा की कार्य-योजना
• मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा की राष्ट्रीय कार्य योजना
निर्धनता
• ‘‘अति निर्धनता तथा मानवाधिकार: गरीबों के अधिकार’’ नामक मार्गदर्शक सिद्धांतों के मसौदे पर
परामर्श
• निर्धनता के मानवाधिकार आयाम
• अति निर्धनता एवं मानवाधिकार पर विशेष रिपोर्टर
नस्लवाद
• पूरक मानकों के विस्तार संबंधी तदर्थ समिति
• नस्ल भेदभाव उन्मूलन समिति
• डरबन समीक्षा सम्मेलन (2009)
• स्वतंत्र प्रख्यात विशेषज्ञ समूह
• नस्लवाद के समकालिक रूपों पर विशेष रिपोर्टर
• अफ्रीकी वंश के व्यक्तियों पर विशेषज्ञ कार्य समूह
• डरबन घोषणा तथा कार्य कृ कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन संबंधी कार्य समूह
• नस्लवाद, जातीय भेदभाव, विदेशी-द्वेष तथा संबंधित असहिष्णुता के विरुद्ध विश्व सम्मेलन, डरबन (2001)
विधि का नियम
• विधि का नियम
दासता
• दासता के समकालिक रूपों पर विशेष रिपोर्टर
• दासता के समकालिक रूपों पर वोलंटरी ट्रस्ट फंड
• दासता के समकालिक रूपों संबंधी कार्य-समूह
आतंकवाद
• आतंकवाद के विरुद्ध मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता की सुरक्षा संबंधी स्वतंत्र विशेषज्ञ
• मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर उप-आयोग की मानवाधिकार एवं आतंकवाद पर विशेष
रिपोर्टर (रिपोर्ट)
• आतंकवाद के विरुद्ध मानवाधिकारों के प्रोत्साहन तथा सुरक्षा पर विशेष रिपोर्टर
उत्पीड़न
• उत्पीड़न विरोधी समिति (सी.ए.टी.)
• उत्पीड़न पर विशेष रिपोर्टर
• उत्पीड़न निवारण उप-समिति
• उत्पीडि़त व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र वोलंटरी फंड
व्यक्तियों में अवैध व्यापार
• व्यक्तियों विशेष रूप से महिलाओं तथा बच्चों में अवैध व्यापार पर विशेष रिपोर्टर
राष्ट्रपार निगम
• मानवाधिकार, एवं राष्ट्रपार निगमों तथा अन्य व्यवसाय उद्यमों पर विशेष समूह के विशेष प्रतिनिधि जल एवं सफाई
• मानवाधिकार एवं जलवृद्धि पर परामर्श
• सुरक्षित पेय जल एवं सफाई अधिकार पर विशेष रिपोर्टर
• सुरक्षित पेय जल एवं सफाई पर उचित वृद्धि से संबंधित मानवाधिकार बाध्यताओं पर अध्ययन के लिए स्टेक होल्डर्स की समीक्षा
महिला
• महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव उन्मूलन समिति (सी.ई.डी.ए.डब्ल्यू.)
• महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, इसके कारण तथा परिणामों पर विशेष रिपोर्टर
• महिला अधिकार एवं जेंडर मेनपेज
• विधि में एवं व्यवहार में महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव के मामलों विषयक कार्य-समूह
अपेक्षित कौशल
• संचार
• लेखन
• रिपोर्ट लेखन
• अनुसंधान
• अंतर वैयक्तिक संचार
• प्रबंधन
• विधिक
• समर्थन
• एकजुट होकर कार्य करना (टीमवर्क)
• विश्लेषक एवं आलोचनात्मक सोच
मानवाधिकार के क्षेत्र में कार्यरत संगठन
भारत में मानवाधिकार अभी भी अपने विकास चरण में है। फिर भी इस क्षेत्र में विशेषज्ञता कर रहे छात्रों के लिए अनेक अवसर खुले हुए हैं। विकलांगों, अनाथ, दीन-हीन, शरणार्थियों, मानसिक विकलांगों तथा नशीले पदार्थ सेवियों के साथ कार्य करने वाले समाजसेवी संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों में करियर के अवसर उपलब्ध हैं। मानवाधिकार व्यवसायी सामान्यतः मानवाधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्थापित गैर-सरकारी संगठनों में भी कार्य कर सकते हैं। ये गैर-सरकारी संगठन मानवाधिकार सक्रियतावाद, आपदा एवं आपातकालीन राहत, मानवीय सहायता बाल एवं बंधुआ मजदूरों, विस्थापित व्यक्तियों, संघर्ष समाधान तथा अन्यों में सार्वजनिक हित के मुकदमेबाजी के क्षेत्र में भी कार्य करते हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों को, मानवाधिकार में विशेषज्ञता करने वाले व्यक्तियों की निररंतर तलाश रहती है। इसमें संयुक्त राष्ट्र संगठन भी शामिल हैं।
भारत में सांविधिक सरकारी निकाय एवं निगम जैसे राष्ट्रीय एवं राज्य आयोग (महिला, बाल, मानवाधिकार, मजदूर, कल्याण, अल्पसंख्यक समुदाय, अजा एवं अजजा आयोग), सैन्य, अर्ध-सैन्य तथा पुलिस विभाग, पंचायती राज संस्था, स्कूल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय एवं अनुसंधान निकाय और उत्कृष्टता केन्द्र, जिला ग्रामीण विकास एजेंसी तथा जिला शहरी विकास एजेंसी, वकीलों तथा विधिक विशेषज्ञों द्वारा चलाए जाने वाले मानवाधिकार परामर्शदाता संगठन कुछ अन्य ऐसे स्थान हैं जहां कॅरिअर के अवसर तलाश सकते हैं, बाल-अपराध एवं बाल-दुव्र्यवहार जैसी सुधार संस्थाओं और महिला सुधार केन्द्रों, कारागार एवं बेघर गृहों में भी कार्य किया जा सकता है।
मानवाधिकार विशेषज्ञों की मांग शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ने की संभावना है।
शैक्षिक संस्थाएं:
मानवाधिकार पाठ्यक्रम चलाने वाली कुछ संस्थाएं निम्नलिखित हैं-
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़
• बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
• डॉ. बी.आर. अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ
• भारतीय मानवाधिकार संस्थान, नई दिल्ली
• भारतीय विधि संस्थान, नई दिल्ली
• जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
• राष्ट्रीय विधि विद्यालय, बंगलौर
• मद्रास विश्वविद्यालय, चैन्नई
• मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई
(उक्त सूची उदाहरण मात्र हैं)
पाठ्यक्रम अवधि
अधिकांश विश्वविद्यालय मास्टर या स्नातकोत्तर कार्यक्रम में मानवाधिकार को एक मुख्य विषय के रूप में रखते हैं। कुछ विश्वविद्यालय, संस्थाएं एवं कॉलेज डिप्लोमा तथा प्रमाणपत्र भी चलाते हैं। इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश पात्रता सामान्यतः किसी भी विषय में स्नातक डिग्री होती है।
वेतन
इस क्षेत्र में वेतन कार्य-प्रकृति पर निर्भर होता है। तथापित, उच्च वेतन तथा अन्य विभिन्न लाभ इस तथ्य पर निर्भर करते हैं कि कोई व्यक्ति सरकारी, गैर-सरकारी संगठन, अंतर्राष्ट्रीय जैसे क्षेत्र में कार्य कर रहा है या भारत अथवा विदेश में कार्य कर रहा है ।
लेखक विधि संकाय, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ से संबद्ध है। ई-मेलः manumanieche@gmail.com