मौसमी/ऋतु प्रवास (Transhumance)

Submitted by Hindi on Fri, 05/13/2011 - 13:26
दो भिन्न जलवायु दशाओं वाले क्षेत्रों में सामान्यतः पशुचारकों द्वारा अपने पशुओं के साथ मौसम परिवर्तन के अनुसार किया जाने वाला प्रवास। मौसमी प्रवास अधिकांशतः शीतोष्ण कटिबंध में पर्वतीय तथा मैदानी घाटियों के मध्य होता है। ग्रीष्म ऋतु में जब निचली घाटियों में चारागाह सूखने लगते हैं, पशुचारक अपने पशुओं (भेड़, बकरियों आदि) को लेकर उच्चवर्ती चारागाहों के लिए प्रस्थान करते हैं और ग्रीष्म ऋतु में पहाड़ी भागों में रहते हैं। शीत ऋतु आरंभ होने पर पर्वतीय चारागाह बर्फ से ढक जाते हैं और वहाँ ठंडक अधिक बढ़ जाती है। अतः पशुचारक शीत ऋतु आरंभ होने के पहले ही वहाँ से निचली घाटियों के लिए प्रस्थान करते हैं जहाँ उस समय चारागाह उपलब्ध रहता है और ठंडक अपेक्षाकृत् काफी कम रहती है। इस प्रकार के मौसमी प्रवास के उदाहरण हिमालय,आल्पस, क्यूनलुन आदि पर्वतों के ढालों पर पाये जाते हैं।

अन्य स्रोतों से

Transhumance in Hindi (ऋतु प्रवास)


मनुष्य एवं पशुओं का, नवीन चरागाहों के लिए मौसमी स्थानांतरण जो तीन प्रकार का होता है। प्रथम, अल्पाइन या पर्वतीय-ग्रीष्मकाल में ये लोग घाटी से उच्च चरागाहों पर पहुँचते हैं और शरद ऋतु में पुनः घाटियों में वापस आ जाते हैं, जैसे नार्वे और स्विटजरलैंड में। द्वितीय, भूमध्य सागरीय-ग्रीष्मकाल में ये निम्नभूमि की गर्मी और सूखा से बचने के लिए पर्वतों पर पहुंचते हैं, जैसे स्पेन में। तृतीय अर्धशुष्क घासस्थल-उपान्तों में यायावर पशुचारण-कृषकों का वर्षा की मात्रा के अनुसार मरुस्थलों के सीमांत भागों के निकट पहुंचना। इनके मौसमी मार्ग निश्चित होते हैं।

वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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