भूकंपी तरंग/लहर (Seismic wave)

Submitted by Hindi on Tue, 05/10/2011 - 12:54
भूकंप से उत्पन्न तरंग जो भूकंप मूल से उत्पन्न होकर प्रसारित होती है। यह तरंग सर्वप्रथम अधिकेंद्र (epicentre) पर पहुँचती है जहाँ से विभिन्न दिशाओं में प्रसारित होने लगती है। अधिकेंद्र से विभिन्न प्रकार की तरंगे अलग हो जाती हैं और पृथक-पृथक मार्ग एवं गति से अग्रसर होती हैं।

भूकंपी तरंगों के तीन प्रधान वर्ग हैं-

1. प्राथमिक या प्रधान तरंगें (primary waves) जिनकी गति सर्वाधिक तीव्र होती है और जो सीधे मार्ग से चलती हैं। ये टोस भाग से होकर तीव्रगति से गुजरती हैं किंतु तरल भागों में इनकी गति क्षीण हो जाती है।

2. अनुप्रस्थ तरंगें या गौण तरंगें (transverse waves or secondary waves) जो प्राथमिक तरंग के बाद प्रकट होती हैं और अपेक्षाकृत मंद गति से चलती हैं । ये लहरें तरल भागों में नहीं प्रवेश कर पाती हैं किंतु अधिक विनाशकारी होती हैं।

3. धरातली तरंगें या दीर्घ तरंगें (surface waves or long waves) जो प्राथमिक तथा गौण तरंगों की अपेक्षा मंद गति से चलती हैं। ये लहरें पृथ्वी की सतह पर चलती हैं और पृथ्वी का पूर्ण चक्कर लगाकर अधिकेंद्र पर पहुंचती हैं जिसके कारण इनका पथ सर्वाधिक लम्बा होता है और अधिकेंद्र पर सबसे बाद में पहुँचती हैं। ये लहरें जल (तरल) से भी गुजर जाती हैं और सर्वाधिक विनाशकारी होती हैं। पर्यवेक्षणों के आधार पर इन तीन प्रधान लहरों के अतिरिक्त कुछ अन्य लहर युग्मों (pairs or wave) का भी पता लगाया गया है जिनकी गति तथा प्रकृति में अंतर पाया जाता है।

यह तरंगे भूकंप द्वारा उत्पन्न होती है। वे तरंगे जो पृष्ठ की सतह के साथ या उसके समीप संचरण करती है पृष्ठीय तरंगे और जो पृथ्वी के अंदर गति करती है पिंड तरंगे कहलाती है।

अन्य स्रोतों से




वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
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