पानी बचाने का काम घर से ही शुरू करना पड़ेगा। जब आप अपने घर का वातावरण इस तरह बना लें कि हर कोई पानी बचाने में जुट जाए तो समाज पर भी उसका सकारात्मक असर होगा। मशहूर बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने इसी तरह पानी बचाने का अभियान शुरू किया जो अब एक बड़ी मुहिम में बदल गया है।
सोचिए अगर कोई सुबह ऐसी हो जब आपके पास एक बूंद बहु पानी न हो, तो वह दिन कैसा हो! यकीनन अच्छा तो नहीं ही होगा, क्योंकि हमारा दिन तो शुरू ही पानी पीने से अच्छा होता है, फिर नहाने और न जाने कितने काम हैं जो हम पानी से करते हैं। ऐसे में पानी का न होना खुद का गला घोंट देने-जैसा है, लेकिन हम लगातार यहीं कर रहे हैं, तभी तो जीवन जे लिए सबसे जरूरी पानी को ऐसे बहा देते हैं जैसे उसकी कोई कीमत ही न हो!
वर्षों पहके मैं आने आसपास ऐसे कई चीजें देखता था जिसमे पानी की इस तरह से बर्बादी होती थी। जैसे कि नहाते वक्त जो काम एक बाल्टी पानी कर सकती है, उसके लिए हम शॉवर चलाते हैं और न जाने कितनी ही बाल्टियां पानी बर्बाद कर देते हैं। ऐसा ही कुछ होता है जब कुछ सुबह उठकर ब्रश या मुंह धोते समय नल खुला छोड़ देते हैं। उसमें भी बहुत पानी खर्च होता है, हालांकि अब मेरे आसपास रहनेवाले लोग सुधर गए हैं।
बचपन से ही मेरे बेटे आजाद ने हमें पानी बचाने को लेकर बात करते देखा है। उसने देखा है कि कैसे हम घर मे छोटी-छोटी बातों पर गौर करते हैं, इसलिए उसके अंदर भी अभी से पानी को लेकर संजीदगी आ गई है। मैं एक दिन हैरान हुआ जब मैंने देखा कि वह ब्रश करते हुए पानी के नल को तभी खोल रहा था जब उसकी जरूरत हो। अमूमन बच्चों को पानी से खेलने में मजा आता है, लेकिन आजाद ऐसा नहीं कर रहा था। ऐसा देखकर मैंने उससे पूछा तो उसने बड़ी ही मासूमियत से मुझे जवाब दिया कि पानी से खेलना और खेलते हुए पानी की बर्बादी करना खुद अपने जीवन से खेलना है, इसलिए मैं अपने जीवन से खेलना नहीं चाहता। हमारे घर मे काम करनेवाले लोग भी इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि गलती से भी पानी की बर्बादी न करें। धीरे-धीरे यह उनकी आदत में शुमार हो गया है और मैं देखता हूँ कि ड्राइवर गाड़ी साफ करता है, तो वह दूसरे ड्राइवरों की तरह बाल्टी की बाल्टी पानी नहीं खर्च करता, बल्कि गीले कपड़े से अच्छी तरह से साफ करता है।
पानी बचाने के लिए जब मैंने एक गांव में काम शुरू किया, तो देखा कि वहां पर पुरुषों से ज्यादा पानी बचाने के लिए महिलाएं आगे आईं। उन्होंने मुझसे कहा, "बिना पैसे के तो एक बार फिर भी घर चलाया जा सकता है, लेकिन बिना पानी के कुछ नहीं हो सकता" इसलिए वह अपने गांव को पानी से भरपूर करने के लिए कुछ भी करेंगी। उनका हौसला देखकर में समझ गया कि वाकई में बिना खाना खाए आप कुछ दिन रह सकते हैं, लेकिन बिना पानी के रहना मुमकिन नहीं। उन महिलाओं ने कई महीनों तक मेरी टीम के साथ काम किया और अपने गांवों में ऐसे टैंक बनाए जो बरसात का पानी इकट्ठा करते हैं और फिर उस पानी का उपयोग तब करते हैं जब वहां पर सूखा पड़ता है।
(लेखक प्रसिद्ध अभिनेता और 'पानी फाउंडेशन' के संस्थापक हैं)