संसार के मानचित्रों को तैयार करने के लिए एक प्रकार का बेलनाकार प्रक्षेप, जो ग्रहार्ड मरकेटर द्वारा सन् 1569 में प्रथम बार प्रकाशित किया गया था। इस प्रकार आरेखित सभी अक्षांश रेखाओं की लम्बाई विषुवत रेखा के बराबर एवं समानांतर होती हैं, जब कि ग्लोव पर इनकी परस्पर दूरियाँ ध्रुवों की ओर घटती जाती हैं। साथ ही देशांतर रेखाएं बराबर दूरी पर प्रमुख याम्योत्तर के समानांनतर होती है, और अक्षांशों को समकोण पर काटती हैं। अतः इस प्रक्षेप में विषुवत रेखा के अतिरिक्त हर जगह पूर्व-पश्चिम तथा उत्तर-दक्षिण फैलाव होता है और यह फैलाव विषुवत रेखा की दूरी के साथ-साथ बढ़ता जाता है। इसीलिए इस प्रक्षेप पर ग्रेटिक्यूल 80 उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के आगे नहीं बनाया जाता।
अन्य स्रोतों से
बाहरी कड़ियाँ
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विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia)
वेबस्टर शब्दकोश ( Meaning With Webster's Online Dictionary )
हिन्दी में -
शब्द रोमन में
संदर्भ
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