मोहन मास्साब ने जगाई अलख 

Submitted by Shivendra on Fri, 08/13/2021 - 11:04
Source
हिंदुस्तान, शनिवार, 20 मार्च 2010 

15 वर्षों में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा अभियान,फोटो:पानी बोओ

अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट एवं भिकियासैण क्षेत्र के दूरस्थ गांव में पिछले 15 वर्षों में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा अभियान चल रहा है। यहां के ग्रामीण महिलाओं ने महिला मंगल दलों के रूप में संगठित होकर अपनी क्षमता और संगठन की ताकत का एहसास कराया है। महिलाएं गांव स्तर पर न केवल घास, पानी, लकड़ी और खेती की समस्याओं का समाधान कर रही हैं,

बल्कि अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सामाजिक बुराइयों का कड़ा प्रतिरोध भी कर रही हैं। चार गांवों से शुरू हुई यह मुहिम, अब पश्चिमी रामगंगा और रिस्कन नदी घाटी के 80 गांवों में फैल चुकी है। इस अभियान के प्रेरक बने हैं ‘इंटर कालेज, सुरईखेत’ में रसायन विभाग विज्ञान के प्रवक्ता मोहनचन्द्र कांडपाल।

सुरईखेत के पास के गांव कांडे में जन्मे मोहनचन्द्र कांडपाल ने कानपुर से शिक्षा पूरी करने के बाद गांव के स्कूल में शिक्षण कार्य को अपनाया। 5 जून 1993 को पर्यावरण शिक्षण एवं ग्राम उत्थान समिति (सीड) नामक संस्था का गठन किया इसके बाद सुरईखेत के पास चार गांवों में महिला मंगल दलों का गठन किया। इस अभियान का सुखद परिणाम है कि क्षेत्र के छः दर्जन से अधिक गांवों की महिलाओं ने महिला मंगल दलों के माध्यम से पानी, जंगल और जमीन में सामूहिक प्रबंधन के साथ होकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल कायम की है।

चीड़ बहुल इस क्षेत्र में घास, पानी लकड़ी की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं ने गांव स्तर पर चौड़ी पत्ती प्रजाति के वन लगाएं हैं। चारा तथा ईंधन की मात्रा और पानी की उपलब्धता के अनुरूप इनके उपयोग और संरक्षण के लिए यह महिला मंगल दलों ने आपसी सहमति से अनेक नियम बनाए हैं।

पानी की उपलब्धता के अनुरूप महिलाओं के उपयोग और संरक्षण,फोटो:पानी बोओ

शिलंग गांव की महिला मंगल दल अध्यक्षा श्रीमती हीरा नेगी बताती है कि महिलाओं ने गांव में मुक्त चराई पर रोक लगाई। गांव के ऊपर वन पंचायत और सामूहिक भूमि में 4000 बांज के पौधे लगाए गए हैं। जलस्रोतों में पानी की मात्रा बढ़ाने के लिए 310 खालों का निर्माण किया गया है।

महिला मंगल दलों ने हर गांव में एक कोष बनाया है। इसको उसमें सदस्य शुल्क के अलावा आर्थिक दंड, दल द्वारा संचालित सामूहिक टेंट, बर्तन आदि के शादी आदि समारोह में उपयोग का किराया, सामूहिक नर्सरी के अतिरिक्त पौधों के बिक्री से मिला पैसा जमा किया जाता है। इससे गांव की जरूरतमंद महिलाओं और उनके परिवारों को ऋण उपलब्ध कराया जाता है।

इस क्षेत्र के 26 गांवों में अब तक करीब 45,000 से अधिक बांज के पेड़ लगाए गए हैं। बांज के अलावा भीमल, खड़िक, आंवला, बांस, बुरांस, काफल के पौधों का रोपण किया जा रहा है। द्वाराहाट तथा भिकियासैण क्षेत्र के कान्डे, बिठौली, बांजन, रणा, सुनाड़ी, मीनार, बजीना, शिलिंग, बेडुली, गनोली, मयोली, बाड़ी, वलना, कौड़ा, सनडे, कमराड़, बहेड़ा, बिनौली, सिमलगांव, मटेला, टाना, डहल, मुनौला, छतीना, कुंई, पिमौन सहित अस्सी गांवों में महिला मंगल दल इतने सशक्त बन चुके हैं कि गांव से जुड़े मामले में अब इनकी सहमति के बिना कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।

पिछले विधानसभा चुनाव में इस संगठन की हेमा नेगी ने भिकियासैण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। महिलाओं की यह जागरूकता त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में भी भागीदारी के रूप में सामने आई है। वर्तमान में ग्राम प्रधान क्षेत्र व जिला पंचायत में करीब दो दर्जन महिलाएं पंचायतों में चुनी गई हैं।