नालों में बहा दिया 4 करोड़ लीटर ‘अमृत’

Submitted by Shivendra on Sun, 08/17/2014 - 11:13
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पत्रिका, 29 जुलाई 2014

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का मूल उद्देश्य बरसात के पानी को बर्बाद होने से रोकना है। भूगर्भीय जल स्तर बढ़ाने के लिए भूमिगत फिल्टरयुक्त टैंक में पानी को एकत्र कर उससे निकले शुद्ध जल को पेयजल के लिए इस्तेमाल करना था। सिस्टम के तहत बड़ी छतों वाले भवन से बरसाती पानी की मात्रा ज्यादा होने पर कई बार इस पानी को नलकूप में जोड़कर भूगर्भ में भी छोड़ा जाता है तो इससे भूजल स्तर में सुधार लाया जा सकता है।

पानी की बूंद-बूंद बचाने के लिए मारवाड़ पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन वर्षा जल को सहेजने को लेकर ना तो लोग गंभीर है और ना ही प्रशासन। ऐसे में पानी की हर एक बूंद का हिसाब रखने वाले मारवाड़ क्षेत्र का करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।

जल संरक्षण को लेकर सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का काम नहीं हुआ। ऐसे में हर वर्ष सरकारी भवनों की छतों से वर्षा जल नालियों में बह रहा है।

पांच साल पहले जारी सरकारी आदेश के अनुसार बारिश के जल को संरक्षित कर भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य किया गया था। सरकारी भवनों में सिस्टम को लागू करने की जिम्मेदारी महकमों का सौंपी थी। अधिकारियों की उदासीनता व लोगों में जागरुकता की कमी के चलते यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है।

यह था उद्देश्य


रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का मूल उद्देश्य बरसात के पानी को बर्बाद होने से रोकना है। भूगर्भीय जल स्तर बढ़ाने के लिए भूमिगत फिल्टरयुक्त टैंक में पानी को एकत्र कर उससे निकले शुद्ध जल को पेयजल के लिए इस्तेमाल करना था। सिस्टम के तहत बड़ी छतों वाले भवन से बरसाती पानी की मात्रा ज्यादा होने पर कई बार इस पानी को नलकूप में जोड़कर भूगर्भ में भी छोड़ा जाता है तो इससे भूजल स्तर में सुधार लाया जा सकता है।

ऐसे बर्बाद हुआ पानी


काजरी के प्रधान वैज्ञानिक आरके गोयल के विश्लेषण को समझें तो जोधपुर शहर ने मात्र 45 मिनट में करीब 4 करोड़ लीटर जल को सड़कों पर बहा दिया। गोयल बताते हैं कि सोमवार को शहर में 17.8 एमएम बारिश हुई। इस हिसाब से 20 लीटर प्रति वर्ग मीटर पानी बरसा है। अगर बारिश को लेकर शहर की सीमा 20 किलोमीटर मानी जाए तो करीब 4 करोड़ लीटर पानी बरसा है शहर में। इसमें से एक बूंद का भी उपयोग नहीं हुआ और यह अमृत शहर की सड़कों और सीवेज बह गया।

1. एक कॉलोनी में 100 घर हैं और इनमें से 25 घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था है तो उस इलाके में कभी भी जल संकट नहीं हो सकता है। इससे बारिश का पानी छत से सीधे जमीन पर बालू और पत्थर से बने सुरक्षित स्थान पर चला जाएगा।
- भुवनेशचंद्र माथुर, पीएचईडी के सेवानिवृत मुख्य अभियांता

2. जिस दिन हर शख्स वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर गंभीर होगा। नए भवन निर्माण में यह सिस्टम अनिवार्य है। अगर मकान मालिक नहीं बना रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
हरिसिंह राठौड़, सीईओ नगर निगम