अलवण जल (fresh water) की एक बृहद् धारा (stream) जो स्थलीय तटों से आबद्ध प्राकृतिक जलमार्ग से प्रवाहित होती हुई किसी सागर, झील अथवा अन्य नदी में गिरती है। नदी की उत्पत्ति किसी हिमनद, झील, झरना आदि से होती है जिसे नदी का उद्गम (source) कहते हैं। नदी के मार्ग में अनेक सहायक नदियां आकर मिलती हैं जिससे एक नदी क्रम या नदी तंत्र (river system) की रचना होती है। अंत में नदी अपने मुहाने पर किसी सागर, झील अथवा अन्य बड़ी नदी में मिल जाती है। नदियां स्थायी, अस्थायी, अल्पकालिक तथा आंतरायिक किसी भी प्रकार की हो सकती हैं। स्थायी नदी में वर्ष पर्यन्त जलापूर्ति बनी रहती है जबकि अस्थायी नदियां मौसमी होती हैं जो शुष्क मौसम में सूख जाती हैं। अल्पकालिक नदियों में केवल वर्षा काल में ही जल प्रवाहित होता है। शुष्क एवं अर्धशुष्क प्रदेशों में आंतरायिक नदियां पायी जाती हैं जिनका जल मरुस्थलीय भाग में अदृश्य हो जाता है।
नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है । नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है । संस्कृत में ही इसे सरिता भी कहते हैं ।
नदी दो प्रकार की होती है - सदानीरा या बरसाती ।
सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और सालों भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियां बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं ।
गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, आमेज़न, नील आदि सदानीरा नदियां हैं । नदी के साथ मनुष्य का गहरा सम्बन्ध है. नदियों से केवल फसल ही नहीं इपजाई जाती है और वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं. इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रुप में देखता आया है।
नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है । नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है । संस्कृत में ही इसे सरिता भी कहते हैं ।
नदी दो प्रकार की होती है - सदानीरा या बरसाती ।
सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और सालों भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियां बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं ।
गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, आमेज़न, नील आदि सदानीरा नदियां हैं । नदी के साथ मनुष्य का गहरा सम्बन्ध है. नदियों से केवल फसल ही नहीं इपजाई जाती है और वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं. इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रुप में देखता आया है।