दिनेश शर्मा / भास्कर
झज्जर तीस साल पहले तक यहां बहने वाली 5000 वर्ष पुरानी 'साहबी' नदी में फिर से जलधारा फूटे तो मरु बना झज्जर का बड़ा इलाका फिर से लहलहा सकता है। ऋग्वैदिक काल की इस नदी के बारे में कहा जाता है कि कुदरत से इंसानी छेड़छाड़ के चलते यह झज्जर जिले में विलुप्त हो गई। इतिहासकारों के अनुसार ऋग्वेद के तीसरे मंडल के 23वें सूक्त में हरियाणा की नदियों का उल्लेख मिलता है जिनमें 'रसा' अर्थात 'साहबी' नदी का विस्तृत वर्णन है। राजकीय महाविद्यालय में इतिहास के प्रवक्ता एवं शोधकर्ता डा. जगदीश राहड़ ने बताया कि ऋग्वैदिक भौगोलिक पुस्तक में इतिहासकार एमएल भार्गव ने वर्णन किया है कि प्राचीन रसा (साहबी) नदी ऋग्वेद काल से दक्षिणी हरियाणा में बही है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास के जानकार डा. अरुण केसरवानी ने बताया कि झज्जार जिले से गुजरने वाली 'साहबी' नदी का क्षेत्र कभी खुशहाल इलाके के रूप में देखा जाता था, किंतु अब उसी क्षेत्र में नदी की धारा का प्रवाह न होने के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति अवश्य प्रभावित हुई है। जब इस इलाके में 'साहबी' की धारा बहती थी उस समय जल स्तर पांच से छह फुट था जो अब 60 फुट तक पहुंच गया है। गांव दादरी तोए, कुतानी के ग्रामीणों का मानना है कि यदि 'साहबी' नदी का पानी उन्हें फिर से मिल जाए तो निश्चय ही क्षेत्र के किसानों के दिन फिर सकते हैं।
अलवर से निकलती थी
'साहबी' नदी राजस्थान के अलवर जिले के साथ लगती पहाड़ियों से निकली थी जो अलवर शहर के पास से होते हुए रेवाड़ी के गांव पोटी में प्रवेश करती थी। 3.7 किलोमीटर चौड़ी नदी पोटी गांव से फिर अलवर जिले में तथा उसके बाद दोबारा हरियाणा के जड़थल गांव में होती हुई रालियावास, मालाहेड़ा से गुड़गांव जिले में और झज्जार जिले के गांव लुहारी, पाटौदा से फिर गुड़गांव जिले में एवं वहां के क्षेत्र से होती हुई झज्जार जिले के गांव कुतानी और दादरी तोए गांव के क्षेत्र से होती हुई जहांगीरपुर से नजफगढ़ झील में गिरती थी।
क्यों विलुप्त हो गई
राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों से निकलने वाली यह नदी हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्र की सिंचाई के लिए उपयोगी थी। किंतु 1977 में आई बाढ़ के बाद मसानी बांध पर ही पानी को रोक दिया गया जिसके बाद से 'साहबी' नदी झज्जर जिले के गांव कुतानी और दादरी तोए के बीच विलुप्त हो गई है। इस नदी को रसा के साथ-साथ साईबी, साबी, साहिबी के नाम से जाना जाता था।
साभार - भास्करDer Fluss hat getrocknet这条河已经干涸The river has driedLa rivière a séché
झज्जर तीस साल पहले तक यहां बहने वाली 5000 वर्ष पुरानी 'साहबी' नदी में फिर से जलधारा फूटे तो मरु बना झज्जर का बड़ा इलाका फिर से लहलहा सकता है। ऋग्वैदिक काल की इस नदी के बारे में कहा जाता है कि कुदरत से इंसानी छेड़छाड़ के चलते यह झज्जर जिले में विलुप्त हो गई। इतिहासकारों के अनुसार ऋग्वेद के तीसरे मंडल के 23वें सूक्त में हरियाणा की नदियों का उल्लेख मिलता है जिनमें 'रसा' अर्थात 'साहबी' नदी का विस्तृत वर्णन है। राजकीय महाविद्यालय में इतिहास के प्रवक्ता एवं शोधकर्ता डा. जगदीश राहड़ ने बताया कि ऋग्वैदिक भौगोलिक पुस्तक में इतिहासकार एमएल भार्गव ने वर्णन किया है कि प्राचीन रसा (साहबी) नदी ऋग्वेद काल से दक्षिणी हरियाणा में बही है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास के जानकार डा. अरुण केसरवानी ने बताया कि झज्जार जिले से गुजरने वाली 'साहबी' नदी का क्षेत्र कभी खुशहाल इलाके के रूप में देखा जाता था, किंतु अब उसी क्षेत्र में नदी की धारा का प्रवाह न होने के कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति अवश्य प्रभावित हुई है। जब इस इलाके में 'साहबी' की धारा बहती थी उस समय जल स्तर पांच से छह फुट था जो अब 60 फुट तक पहुंच गया है। गांव दादरी तोए, कुतानी के ग्रामीणों का मानना है कि यदि 'साहबी' नदी का पानी उन्हें फिर से मिल जाए तो निश्चय ही क्षेत्र के किसानों के दिन फिर सकते हैं।
अलवर से निकलती थी
'साहबी' नदी राजस्थान के अलवर जिले के साथ लगती पहाड़ियों से निकली थी जो अलवर शहर के पास से होते हुए रेवाड़ी के गांव पोटी में प्रवेश करती थी। 3.7 किलोमीटर चौड़ी नदी पोटी गांव से फिर अलवर जिले में तथा उसके बाद दोबारा हरियाणा के जड़थल गांव में होती हुई रालियावास, मालाहेड़ा से गुड़गांव जिले में और झज्जार जिले के गांव लुहारी, पाटौदा से फिर गुड़गांव जिले में एवं वहां के क्षेत्र से होती हुई झज्जार जिले के गांव कुतानी और दादरी तोए गांव के क्षेत्र से होती हुई जहांगीरपुर से नजफगढ़ झील में गिरती थी।
क्यों विलुप्त हो गई
राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों से निकलने वाली यह नदी हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्र की सिंचाई के लिए उपयोगी थी। किंतु 1977 में आई बाढ़ के बाद मसानी बांध पर ही पानी को रोक दिया गया जिसके बाद से 'साहबी' नदी झज्जर जिले के गांव कुतानी और दादरी तोए के बीच विलुप्त हो गई है। इस नदी को रसा के साथ-साथ साईबी, साबी, साहिबी के नाम से जाना जाता था।
साभार - भास्करDer Fluss hat getrocknet这条河已经干涸The river has driedLa rivière a séché