16 जनवरी 2016 से लागू हुई स्टार्टअप इण्डिया योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि नए छोटे/बड़े उद्योगों को शुरू करने के लिये सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाएगा जिसमें ऋण सुविधा, उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण आदि शामिल किया गया है। इसके तहत जरूरी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग भी दी जाएगी। स्टार्टअप योजना पर नई नीति लागू होने के बाद हजारों करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। मुख्य बात यह है कि इसमें महिलाओं की भी जबरदस्त भागीदारी है।
अगर यह कहा जाय कि गाँवों की तस्वीर और तकदीर बदल रही है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। उज्ज्वला योजना ने जहाँ करोड़ों महिलाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का काम किया है वहीं स्वच्छ भारत अभियान से देश भर मेें लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता आई है और खुले में शौच जाने के मामलों में काफी कमी आई है। यही नहीं जन-धन योजना ने करोड़ों ग्रामीण के बैंक खाते खोल सरकारी योजनाओं के लाभ सीधे उनके खाते में पहुँचाने की सुविधा प्रदान कर भ्रष्टाचार पर लगाम कसी है। ऐसी ही कई योजाओं से आज देश उन्नति के मार्ग पर तेजी से अग्रसर है और नए भारत की परिकल्पना मूर्त रूप लेती दिखाई दे रही है। इस मार्ग में कई चुनौतियाँ और बाधाएँ भी हैं। सही रणनीति से इन बाधाओं को पार करने की जरूरत है।
स्वतंत्रता के बाद से भारत ने अपनी प्रगति तथा आत्मनिर्भरता को सशक्त करने के लिये काफी प्रयास किये। तथा उसके लिये समय-समय पर कई नई योजनाएँ तथा नीतियों का निर्माण किया गया जिनके माध्यम से आज देश सभी क्षेत्रों में उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है जैसे विज्ञान एवं तकनीक, शिक्षा, बिजली दूरसंचार एवं स्वास्थ्य आदि।
इसके बावजूद आजादी के 70 वर्षों के बाद भी काफी सारी असन्तोषजनक स्थितियाँ अभी तक भी हमारे बीच बनी हुई हैं जिसके कारण देश को प्रगति पथ पर चलने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वित्तीय समावेशन के जरिए सभी को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराने व्यापार रोजगार, स्वच्छता, स्वास्थ्य सुरक्षा, सभी को शिक्षा, महिला सुरक्षा, पोषण आदि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एनडीए सरकार कई नई योजनाएँ लाई। या फिर पहले से चल रही योजनाओं की कमियों को दूर कर उन्हें नया रूप-रंग दिया गया। इस लेख में ऐसी ही कुछ नवीन एवं लोकप्रिय योजनाओं का वर्णन किया गया है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना
वित्तीय समावेशन के लिये 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री ने इस योजना का शुभारम्भ किया। इस योजना के तहत लगभग 60 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण इलाकों में खोले गए (अप्रैल 17 तक)। इसके तहत प्रत्येक परिवार को अपना एक बैंक अकाउंट बनाना होगा जिसमें उन्हें एक लाख रुपए की बीमा राशि एवं डेबिट कार्ड की सुविधा मिलेगी। यह योजना गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई है जिससे व्यक्तियों में बचत की भावना का विकास हो; साथ ही अपने भविष्य की सुरक्षा का अहम भाव जागे। इसके अलावा, इस कदम से देश का पैसा भी सुरक्षित होगा और जनहित के कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
इस योजना के तहत गरीबों को बैंकों में मुफ्त में खाता खोलने का मौका दिया गया। इस योजना के जरिए करीब 29 करोड़ नए खाताधारक बैंकिंग सिस्टम से जुड़े हैं। यह योजना जहाँ गरीबों को सशक्त करने का काम कर रही है वहीं इसके द्वारा प्रत्यक्ष लाभ हस्तान्तरण (डीबीटी) के चलते भ्रष्टाचार के एक बहुत बड़े रास्ते को सरकार ने हमेशा-हमेशा के लिये बन्द कर दिया है। इन खातों में अप्रैल 2017 तक लगभग 65 हजार करोड़ रुपए जमा हो चुके थे।
मेक इन इण्डिया
मेक इन इण्डिया योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा 25 सितम्बर, 2014 को की गई। यह योजना भारत में निवेश के लिये (राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय) पूरे विश्व में से मुख्य व्यापारिक निवेशकों को बुलाने के लिये किया गया एक प्रयास है जो देश के सभी क्षेत्रों में (उत्पादन, टेक्सटाइल्स, आटोमोबाइल्स, रसायन, आईटी, बन्दरगाह, औषधि तथा रेलवे, चमड़ा आदि) अपने व्यापार को स्थापित करने के लिये दिया गया अवसर था। यह योजना व्यापार के लिये भारत को एक वैश्विक केन्द्र बनाने, डिजिटल नेटवर्क के बाजार में सुधार के साथ ही असरदार भौतिक संरचना के निर्माण पर केन्द्रित है।
इसका प्रतीक भारत के राष्ट्रीय प्रतीक से लिया हुआ एक विशाल शेर है जिसके पास ढेर सारे पहिए हैं जो शान्तिपूर्ण प्रगति और उज्ज्वल भविष्य के रास्ते को इंगित करता है। कई पहियों के साथ चलता हुआ शेर हिम्मत, मजबूती, दृढ़ता और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। देश के युवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये लगभग 25 क्षेत्रकों में कौशल को बढ़ाने के साथ ही इस अभियान का ध्यान बड़ी संख्या में मूल्यवान और सम्मानित नौकरी के अवसर पैदा करना है।
इस योजना के सफलतापूर्वक लागू होने से भारत में 100 स्मार्ट शहर प्रोजेक्ट और रहने योग्य घर बनाने में मदद मिलेगी। प्रमुख निवेशकों की मदद के साथ देश में ठोस वृद्धि और मूल्यवान रोजगार उत्पन्न करना इसका मुख्य लक्ष्य है। इस योजना के 25 क्षेत्रों में से कुछ क्षेत्र जैसे अन्तरिक्ष 74 प्रतिशत, रक्षा 49 प्रतिशत, समाचार मीडिया 26 प्रतिशत को छोड़कर 100 प्रतिशत एफ.डी.आई. की अनुमति हुई है। जापान व भारत ने 12 बिलियन डॉलर जापान-भारत मेक इन इण्डिया स्पेशल फाइनेंस सुविधा निधि की घोषणा की।
भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिये 2015 में विश्व-स्तर पर उभरा है तथा वर्ष 2016-17 में भारत को 60 बिलियन एफडीआई प्राप्त हुआ है।
जनधन खाते 2017 (करोड़ में) |
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वर्ष |
जन-धन-खाते |
जीरो बैलेंस खाते |
2014 |
10 |
18 |
2015 |
20 |
25 |
2016 |
25 |
30 |
2017 |
30 |
70 |
स्रोतः वित्तीय सेवा विभाग, सर्वेक्षण परिकलन |
स्वच्छ भारत अभियान
यह अभियान महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 2 अक्टूबर, 2014 को आरम्भ किया गया है। भारत सरकार द्वारा चलाए गए राष्ट्रीय-स्तर के इस अभियान का उद्देश्य गलियों, सड़कों, शहरों, नगरों, गाँवों, कस्बों आदि को साफ-सुथरा करना है। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देश को गुलामी से मुक्त कराया, परन्तु स्वच्छ भारत का उनका सपना पूरा नहीं हुआ। इसलिये प्रधानमंत्री द्वारा यह योजना उन्हें समर्पित की गई।
पिछले कुछ वर्षों में भारत में ग्रामीण स्वच्छता दायरा |
|
वर्ष |
स्वच्छता दायरा (प्रतिशत में) |
1981 |
9 |
1991 |
22 |
2001 |
32 |
2011 |
39 |
2018 |
76 |
स्रोतः स्वच्छता व पेयजल मंत्रालय (10.01.2018 के अनुसार) |
स्वच्छ भारत योजना में कलस्टर एवं सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को धीरे-धीरे समाप्त करना है। यह मिशन शौचालयों के उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तंत्र को स्थापित करने की एक पहल करेगा।
सरकार ने 2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गाँधी के जन्म की 150वीं वर्षगाँठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके भारत को खुले में शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा है।
मई 2018 तक 296 जिलों व 307349 गाँवों को खुले में शौचमुक्त घोषित किया गया है। पिछले कुछ वर्षों से देश के अन्तर्गत स्वच्छता का दायरा बढ़ता जा रहा है। 1981 में 9 प्रतिशत था जो इस अभियान के चलते 2018 तक 76 प्रतिशत हो गया है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री के द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को 20,000 करोड़ रुपए के कोष के साथ मुद्रा योजना को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस भारी-भरकम कोष के साथ 3,000 करोड़ रुपए के ऋण गारंटी कोष को भी जोड़ा गया है। युवाओं में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिये स्किल इण्डिया योजना लागू करने के बाद सरकार ने उसमें कारोबार और रोजगार की भावना को विकसित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये वित्तीय सहयोग हेतु इस योजना को शुरू किया।
इस योजना के माध्यम से सरकार ने वित्तीय समस्याओं से जूझ रहे असंगठित क्षेत्र के व्यवसायों और लघु व्यवसायों को सस्ती ब्याज दर पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ ही कोई नया व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक युवाओं को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखा है।
मुद्रा बैंक ने ऋण को तीन वर्गों में बाँटा है-
1. शिशु ऋण- 50,000 रुपए तक का ऋण
2. किशोर ऋण- 50,000 से 5 लाख तक
3. तरुण ऋण- 5 लाख से 10 लाख तक
इस योजना के तहत करीब 10 हजार करोड़ रुपए की राशि लोगों को जारी भी हो चुकी है। वैसे मुद्रा योजना से 7.45 करोड़ उद्यमी लाभ उठा चुके हैं। 3.17 लाख करोड़ रुपए ऋण के तौर पर दिये जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अन्तर्गत विभिन्न श्रेणी के इकाइयों को वितरित ऋण (करोड़ में) |
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इकाइयों का वर्ग |
वर्ष 2015-16 |
वर्ष 2016-17 |
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खातों की संख्या |
वितरित ऋण |
खातों की संख्या |
वितरित ऋण |
|
शिशु ऋण |
324.1 |
62027.69 |
364.98 |
83891.88 |
किशोर ऋण |
20.60 |
41073.28 |
26.64 |
51063 |
तरुण ऋण |
4.10 |
20853.73 |
5.40 |
40357013 |
योग |
34.88 |
132954.73 |
397.02 |
175312.13 |
स्रोतः बैंकिंग सेक्टर एवं विभाग |
अटल पेंशन योजना
यह योजना 9 मई, 2015 को प्रधानमंत्री के द्वारा कोलकाता में शुरू की गई थी। पहले की ‘स्वावलम्बन’ योजना मे मौजूद त्रुटियों को खत्म कर उसको नवीनीकृत कर अटल पेंशन योजना का नाम दिया गया है। जो ग्राहक ‘स्वावलम्बन’ से जुड़े थे, उन सभी को इस योजना से जोड़ा जाएगा।
वित्तमंत्री श्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 के बजट भाषण में कहा ‘दुखद है कि जब हमारी युवा पीढ़ी बूढ़ी होगी तब उसे पास कोई भी पेंशन नहीं होगी। इसलिये जन-धन योजना की सफलता से प्रोत्साहित होकर सभी भारतीयों के लिये सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के सृजन का प्रस्ताव पारित किया जा रहा है।’
इस योजना के शुरू होेने से किसी भी भारतीय नागरिक को बीमारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था में अभाव की चिन्ता नहीं करनी पड़ेगी। इसे आदर्श बनाते हुए राष्ट्रीय पेंशन योजना के तौर पर अटल पेंशन योजना को प्रभावी बनाया गया।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के लोगों को पेंशन फायदों के दायरे में लाना है। इससे उन्हें हर महीने न्यूनतम भागीदारी के साथ सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी। अटल पेंशन योजना के द्वारा 2017 तक 84 लाख से अधिक ग्राहक 3194 करोड़ रुपए से अधिक परिसम्पति के साथ पंजीकृत हैं।
डिजिटल इण्डिया
डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम 1 जुलाई, 2015 से शुरू किया गया। डिजिटल इण्डिया भारत सरकार की एक नई पहल है जिसका उद्देश्य भारत में डिजिटल क्षेत्र में सशक्त समाज और ज्ञान को बढ़ाना है। जिस योजना के द्वारा भारतीय प्रतिभा को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के सहयोग से भविष्य के भारत के सशक्त और ज्ञान-सम्पन्न बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
डिजिटल इण्डिया का विजन तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित है-
1. हर नागरिक के लिये उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचा।
2. माँग पर संचालन एवं सेवाएँ।
3. नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण।
लक्ष्य
- हर नागरिक के लिये उपयोगिता के तौर पर डिजिटल ढाँचे की उपलब्धि।
- नागरिकों को सेवाएँ प्रदान करने के लिये एक हाईस्पीड इंटरनेट।
- डिजिटल पहचान अंकित करने का अनोखा स्थान।
- मोबाइल फोन व बैंक खाते की ऐसी सुविधा जिससे डिजिटल व वित्तीय मामलों में नागरिकों की भागीदारी हो।
- पब्लिक स्थान पर सुरक्षित साइबर कैफे।
डिजिटल इण्डिया के कार्यक्षेत्र
1. ब्रॉडबैंड हाइवेज।
2. मोबाइल कनेक्विविटी।
3. पब्लिक इंटरनेट एक्सेस प्रोग्राम।
4. इलेक्टॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता।
5. रोजगार सूचना प्रौद्योगिकी।
राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता दिवस
देश के प्रत्येक राज्य/केन्द्र शासित प्रदेशों में चयनित ब्लॉकों के प्रत्येक पात्रधारी परिवार के एक सदस्य का चुनाव करते हुए 10 लाख लोगों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) प्रशिक्षण प्रदान करने की परिकल्पना पर काम किया जा रहा है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी, 2015 को पानीपत से शुरू किया गया। इस योजना की रूपरेखा गिरते शिशु लिंगानुपात के समाधान के लिये बनाई गई है। यह योजना शुरुआत में 100 जिलों में लागू की गई। यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव विकास मंत्रालय की एक त्रि-स्तरीय पहल है।
19 अप्रैल, 2016 के यह योजना 11 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों के कम लिंगानुपात वाले 61 अतिरिक्त जिलों में चलाई गई। इस योजना की उपलब्धि के तौर पर पहले साल में जन्म के समय लिंगानुपात में 49 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई। अभी के वर्षों में लिंगानुपात में न्यूनतम 10 अंकों की वृद्धि का लक्ष्य है तथा आगामी पाँच सालों में धीरे-धीरे इसे और अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस योजना में अन्य कई उपलब्धियाँ हासिल हुई हैं;
- बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति में कमी।
- 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव।
- हर गाँव में गुड्डा-गुड़िया बोर्ड का गठन।
- लड़कियों व महिलाओं की सुरक्षा।
- लड़कियों के लिये स्कूलों में शौचालयों की व्यवस्था भी शामिल है।
राष्ट्रीय, राज्य और जिला-स्तरों के सम्मिलित प्रयास से 100 जिलों से प्राप्त आँकड़ों की प्राथमिक रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2014-15 और 2015-16 के दौरान अप्रैल-मार्च के मध्य बीबीबीपी स्कीम वाले 58 प्रतिशत जिलों में जन्म के समय लिंग अनुपात दर में वृद्धि दिखाई गई हैं। 69 जिलों में प्रसवपूर्ण देखभाल वाले मामलों में प्रथम तिमाही के दौरान पंजीकरण में वृद्धि देखी गई है। मंत्रालय द्वारा 2017 में राजस्थान को नारी शक्ति पुरुस्कार से भी सम्मानित किया गया।
स्टार्टप इण्डिया
16 जनवरी 2016 से लागू हुई स्टार्टअप इण्डिया योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि नए छोटे/बड़े उद्योगों को शुरू करने के लिये सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाएगा जिसमें ऋण सुविधा, उचित मार्गदर्शन एवं अनुकूल वातावरण आदि शामिल किया गया है। इसके तहत जरूरी स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
स्टार्टअप योजना पर नई नीति लागू होने के बाद हजारों करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। मुख्य बात यह है कि इसमें महिलाओं की भी जबरदस्त भागीदारी है। इससे 2020 तक करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। 10 हजार करोड़ रुपए के कोष से शुरू हुआ स्टार्टअप अब लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा है। अब तक 800 स्टार्टअप का पंजीकरण हुआ है।
इस योजना के बनने से भारत के अनेक राज्यों ने अपने-अपने राज्य में कई नए कार्य किये हैं। केरल में केरल आईटी मिशन नामक एक सरकारी स्टार्टअप पॉलिसी की शुरुआत की गई जो राज्य को स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश के लिये 50 अरब डॉलर लाने पर केन्द्रित है। तेलंगाना ने भारत में सबसे बड़ा उष्मायत केन्द्र ‘टी हब’ के रूप में शुरू किया है। मध्य प्रदेश ने 200 करोड़ रुपए के फंड बनाने के लिये लघु उद्योग विकास बैंक अॉफ इण्डिया के साथ सहयोग किया है। राजस्थान में स्टार्टअप ओएसीस योजना शुरू की गई है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया से हुई। यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत ही सफल और लोकप्रिय साबित हो रही है। इसे तहत गरीब परिवार की महिलाओं को केन्द्र सरकार की ओर से निशुल्क एलपीजी कनेक्शन दिये जाने की व्यवस्था है।
इस योजना के तहत 2016 से 2019 तक कुल 5 करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन दिये जाने हैं ताकि माताओं और बहनों के सेहत की सुरक्षा की जा सके। अब तक इस योजना के तहत 2.20 करोड़ अधिक एलपीजी कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
सरकार की अकेली उज्ज्वला योजना ने गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीने वाली महिलाओं का अब जीवन के प्रति नजरिया ही बदल कर रख दिया है। इस योजना ने करोड़ों महिलाओं के चेहरे पर मुस्कराहट लाने का काम किया है। इस योजना के द्वारा सरकार इस बात पर दूरदृष्टि कायम कर रही है कि अगर देश की महिलाएँ व बच्चे स्वस्थ होंगे तो भारत भी सेहतमन्द होगा।
निष्कर्ष
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि वर्तमान सरकार के द्वारा चलाई गई इन योजनाओं से देश के सभी क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है। देखा जाय तो भारत तकनीकी शिक्षा, सुरक्षा, चिकित्सा तथा महिलाओं के क्षेत्र में काफी पिछड़ा माना जाता रहा है पर इन विभिन्न क्षेत्रों के अन्तर्गत चलाई गई योजनाओं के परिणामस्वरूप देश प्रगति पथ पर तेजी से अग्रसर हो रहा है।
उज्ज्वला योजना के द्वारा हर घर के अन्दर गैस कनेक्शन स्वच्छ भारत अभियान से देश भर में स्वच्छता के प्रति जागरुकता तथा खुले में शौच जाने आदि में कमी आना; बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा देना ताकि व्यापार व रोजगार में बढ़ोत्तरी हो सके; प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वारा व्यक्ति की मूलभूत घर की जरूरत की पूर्ति करना तथा अटल पेंशन योजना के जरिए बुजुर्गों के लिये पेंशन की सुविधा देना ताकि वह अपने जीवन के अन्तिम दिनों में किसी पर निर्भर ना रहे तथा वह इस पेंशन की राशि को अपने कमजोर स्वास्थ्य व भोजन पर व्यय कर सकें।
तकनीकी क्षेत्र में जैसे डिजीटल इण्डिया, स्टार्टअप योजना व मेक इन इण्डिया जैसी योजनाओं के द्वारा युवा पीढ़ी को स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है जिससे वह विदेश जाकर नौकरी ना कर अपनी खुद की पहचान के साथ देश को आगे बढ़ाए।
यह सभी योजनाएँ काफी हद तक सफल हो रही हैं तथा इन सभी योजनाओं का फायदा जनता को मिल रहा है। पर कभी-कभी ऐसा होता है कि जब भी कोेई नई योजना या कार्यक्रम बनता है तो वह पूरी तरह से आम जनता तक पहुँच ही नहीं पाता है या ऐसा कहें कि जिन व्यक्ति को ज्यादा जरूरत हो वहाँ तक पहुँचने में काफी समय लगता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि योजना के विस्तार कार्यक्रम में दूरदराज के क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता।
इन योजनाओं के बारे में गाँव या पंचायत-स्तर पर जनता के अन्दर जागरुकता लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी को जागरूक होेने की जरूरत है ताकि वह इन सभी योजनाओं का लाभ उठा सके। इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट माध्यमों से योजनाओं का ज्यादा-से-ज्यादा प्रचार किया जाना चाहिए ताकि लोगों तक योजनाओं की जानकारी पहुँच सके।
(डॉ. सुमन पामेचा जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर के अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफसर एवं मीनाक्षी अहीर शोधार्थी हैं।)
ई-मेलः sahir8086@gmail.com
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