अनशन का 22वाँ दिन
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी शुक्रवार को राज्य सरकार की तरफ से प्रोफेसर जी. डी. अग्रवाल सह स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद से वार्ता करने कोई नहीं आया। 11 जुलाई को न्यायालय ने स्वामी सानंद को हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा जबरन दून अस्पताल में भर्ती कराये जाने के मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव को उनसे वार्ता करने का आदेश दिया था। इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य था स्वामी सानंद द्वारा जलविद्युत परियोजनाओं का किये जा रहे विरोध के पीछे के तर्क को समझना।
स्वामी सानंद को मंगलवार को हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा उनके बिगड़ते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मातृ सदन से जबरन उठाकर दून अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायलय के जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस अलोक शर्मा की बेंच ने राज्य सरकार को स्वामी सानंद को ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती करने, स्वास्थ्य सामान्य होने पर उन्हें मातृ सदन वापस भेजने का भी आदेश दिया था। खबर के लिखे जाने तक स्वामी सानंद एम्स में ही भर्ती थे जबकि मिली जानकारी के अनुसार उनका स्वास्थ्य सामान्य बताया जा रहा था। इनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी न्यायालय ने प्रमुख सचिव गृह विभाग को दिया है।
गौरतलब है कि स्वामी सानंद गंगा और उसकी सहायक नदियों पर निर्माणाधीन और प्रस्तावित जलविद्युत परियोजना को बन्द किये जाने के अलावा गंगा एक्ट 2012 को लागू किये जाने आदि माँगों को लेकर 22 जून से आमरण अनशन पर हैं।
स्वामी जी के अनशन से जुड़ी न्यूज को पढ़ने के लिये क्लिक करें
गंगापुत्र ने प्राण की आहूति का लिया संकल्प
सानंद ने गडकरी के अनुरोध को ठुकराया
बन्द करो गंगा पर बाँधों का निर्माण - स्वामी सानंद
सरकार नहीं चाहती गंगा को बचाना : स्वामी सानंद
मोदी जी स्वयं हस्ताक्षरित पत्र भेजें तभी टूटेगा ये अनशन : स्वामी सानंद