गंगा की रक्षा के लिये 112 दिनों के अनशन के उपरान्त गुरुवार को प्राण त्यागने वाले तपस्वी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के नक्शे कदम पर चलने का ऐलान करने वाले संत गोपाल दास की हालत सामान्य है। गंगा की निर्मलता को बहाल करने की माँग को लेकर 24 जून से उत्तराखण्ड के विभिन्न स्थानों पर रहकर अनशन कर रहे 36 वर्षीय युवा संत गोपाल दास को हरिद्वार के मातृसदन से प्रशासन ने जबरन उठाकर शनिवार के अहले सुबह एम्स ऋषिकेश में भर्ती करा दिया था।
कहा जा रहा है कि स्वामी सानंद के देहावसान से व्यथित होकर गोपाल दास ने भी गुरुवार से ही जल का त्याग कर दिया था। उन्होंने ने यह ऐलान किया था कि गंगा एक्ट पास कराने की स्वामी सानंद की मुहिम को वे उन्हीं के रास्तों पर चलकर आगे बढ़ाएँगे। उन्हें शुक्रवार को जल पुरुष राजेंद्र सिंह और अन्य द्वारा मातृसदन लाया गया था। यहाँ पहुँचने के उपरान्त स्वामी शिवानंद, राजेंद्र सिंह व अन्य द्वारा समझाए जाने के बाद उन्होंने थोड़ा निम्बू पानी ग्रहण किया और पानी का सेवन करते हुए तपस्या चालू रखने की बात कही। वे उसी कमरे में ठहरे जहाँ स्वामी सानंद अनशनरत थे।
जब इस बात की जानकारी प्रशासन को मिली तो शनिवार सुबह को उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया। “वे पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं और उनकी तपस्या जारी है।” उनके एक शिष्य ने कहा। संत गोपाल दास के अनशन को रविवार को 112 दिन हो चुके हैं। उन्होंने अनशन की शुरुआत बद्रीनाथ से 24 जून को किया था। इसके बाद वे कुछ दिनों से ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट पर रहकर अनशन कर रहे थे।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि अनशन के कारण गोपाल दास की स्थिति काफी बिगड़ गई थी। उनके शरीर में पानी की काफी ज्यादा कमी हो गई थी जिसके कारण उनका इलाज किया जाना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं मिली जानकारी के अनुसार उनके शरीर में शर्करा की मात्रा में भी कमी आ गई थी। इधर स्वामी सानंद के अचानक देहावसान के बाद से चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर के कारण प्रशासन काफी सकते में है और वह कोई भी ऐसी चूक नहीं करना चाहती जिससे कोई नई परेशानी पैदा हो।
गंगा के लिये अपने प्राणों की आहुति देने वाले संतों में स्वामी निगमानंद का भी नाम शामिल है। स्वामी सानंद के पूर्व गंगा जलभरण क्षेत्र में खनन पूर्ण पाबन्दी की माँग को लेकर अनशनरत मातृसदन के इस युवा संत की मौत वर्ष 2011 में जॉलीग्रांट हॉस्पिटल में हो गई थी।
संत गोपाल दास मूलरूप से हरियाणा के पानीपत जिले के राजहेड़ी गाँव के निवासी हैं। इन्होंने अर्थ बैलेंस एन्वायरनमेंट एंड एनीमल बिहेवियर विषय से डॉक्ट्रेट की डिग्री भी प्राप्त की है। ये गच्छापति सेठ और सुन्दर मुनि के सम्पर्क में आकर सन्यास धारण कर लिया। इससे पूर्व भी गोपाल दास ने गौरक्षा और गौचर भूमि के संरक्षण के लिये रोहतक में 100 दिनों तक अनशन किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हूडा के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना अनशन तोड़ा था।
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