पिछले 38 दिनों से गंगा की रक्षा के लिये अनशनरत हरिद्वार स्थित मातृ सदन के गंगा भक्त ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को जिला प्रशासन ने उनकी इच्छा के विरूद्ध जबरन ऋषिकेश एम्स में दाखिल करवा दिया है।
यह वाकया गुरुवार का है। क्षेत्र के एसडीएम मनीष कुमार दल-बल के साथ मातृ सदन पहुँचे और ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को ऋषिकेश एम्स ले जाने की अनुमति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती से माँगने लगे। लेकिन स्वामी शिवानंद ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद वहाँ उपस्थित दल-बल ने ब्रम्हचारी आत्मबोधानंद को जबरन एम्बुलेंस में बैठाया और एम्स ले गए।
मालूम हो कि ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद उर्फ प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल की माँगों के समर्थन में अनशन की शुरुआत की थी। स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का ऋषिकेश एम्स में ही हृदयाघात के कारण 11 अक्टूबर को निधन हो गया था। उनकी माँगें गंगा की अविरलता को पुर्नबहाल करने के उद्देश्य से गंगा और उसकी सभी सहायक नदियों पर निर्माणाधीन और प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक, गंगा एक्ट को लागू किया जाना, गंगा भक्त परिषद का गठन, हरिद्वार कुम्भ क्षेत्र में खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबन्ध आदि थीं। वे 112 दिनों तक अनशनरत रहे थे।
इधर, जिला प्रशासन ने ब्रम्हचारी आत्मबोधानंद को एम्स में दाखिल कराए जाने के पीछे तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा है कि वे अनशन के बाद से ही डॉक्टरी जाँच का विरोध कर रहे थे जिससे उनके स्वास्थ्य की जाँच किया जाना अनिवार्य था।
जिला प्रशासन के इस कदम से खफा स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि वे प्रशासन के इस रवैये का विरोध करते हैं और इसके खिलाफ कोर्ट जाएँगे। उन्होंने यह भी कहा है कि स्वामी सानंद की तरह ही आत्मबोधानंद को भी मार दिए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
मातृ सदन के ही अन्य सदस्य स्वामी पुण्यानंद भी 38 दिनों से अनशन पर हैं। हालांकि वे फल और पानी ग्रहण कर रहे हैं जबकि ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद नींबू-पानी के साथ केवल शहद का सेवन कर रहे हैं। स्वामी पुण्यानंद ने ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के स्वास्थ्य में गिरावट आने के बाद अनशन को आगे बढ़ाने का प्रण लिया है।
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इण्डिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)