गंगा की अविरलता और निर्मलता अक्षुण्ण रखने की माँग को लेकर संथारा कर रहे संत गोपाल दास को गुरूवार को जबरन ऋषिकेश स्थित एम्स से पीजीआई चंडीगढ़ भेज दिया गया। संतों के प्रति सरकार के आक्रामक रवैए की निन्दा करते हुए गोपाल दास ने नैनीताल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
इस पत्र में उन्होंने ने कहा है कि बिना उनकी अनुमति के किसी पेट सम्बन्धी विकार को आधार बनाकर एम्स से पीजीआई, चंडीगढ़ स्थानान्तरित किया जा रहा है। पत्र में इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने अपनी तुलना फुटबाल से करते हुए कहा कि वे कोई फुटबाल नहीं हैं जिसे जब मन करे कहीं भी स्थानान्तरित कर दिया जाये।
गौरतलब है कि संत गोपाल दास को गंगा एक्ट सहित अन्य माँगों को लेकर 112 दिनों से अनशनरत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की 11 अक्टूबर को एम्स ऋषिकेश में अचानक मौत हो जाने के बाद मातृसदन लाया गया था। मातृसदन लाये जाने के अगले ही दिन यानि 13 अक्टूबर को तबियत बिगड़ जाने के कारण गोपाल दास को हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा एम्स में दाखिल कराया गया था। इलाज के बाद उन्हें 16 अक्टूबर को फिर मातृसदन पहुँचा दिया गया था और संथारा शुरू करने की घोषणा किये जाने के बाद उन्हें दोबारा 17 अक्टूबर को एम्स में दाखिल करा दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए पत्र में उन्होंने एम्स में स्वामी सानंद की हुई मौत को रहस्यमयी करार देते हुए कोर्ट से कहा है कि अस्पताल में उन्हें इलाज के बजाय मानसिक रूप से ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा एलोपैथिक चिकित्सा के लिये बार-बार मना किये जाने पर भी उनका इलाज यूनानी, होमियोपैथी या अन्य प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से नहीं किया जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार संत गोपाल दास को पीजीआई चंडीगढ़ ले जा रही एम्बुलेंस शरमपुर के पास तेज गति के कारण ट्रक से टकरा गई थी। हालांकि, इस घटना से किसी के जख्मी होने की खबर नहीं है।
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इण्डिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)