गंगा की अविरलता को अक्षुण्ण बनाये रखने के उद्देश्य से स्वामी ज्ञान स्वरुप सानंद द्वारा जारी अनशन के शनिवार को नौवें दिन में प्रवेश कर जाने पर सरकार ने उनकी सुध ली। स्वामी सानंद को नितिन गडकरी, केन्द्रीय मंत्री जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण, सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं पोत परिवहन की तरफ से अनशन त्यागने का अनुरोध करते हुए एक पत्र मिला।
पत्र में केन्द्र सरकार की बहु प्रचारित नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों का हवाला देते हुए गडकरी ने कहा है कि सरकार गंगा के संरक्षण के लिये कृतसंकल्प है। अपनी बात अथवा सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्य को प्रामाणिक बनाने के लिये उन्होंने पत्र में कानपुर के शीशामऊ नाले का जिक्र किया है। उन्होंने बताया है कि इस नाले के पानी को गंगा में जाने से रोकने के लिये इसे बिंगावन ट्रीटमेंट प्लांट की ओर डाइवर्ट कर दिया गया है। नितिन गडकरी ने स्वामी सानंद से अनुरोध करते हुए कहा कि गंगा को स्वच्छ बनाने में हम आपका मार्गदर्शन चाहते हैं आप अनशन त्याग दें।
लेकिन इस पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए स्वामी सानंद ने फिर कहा है, “जब तक सरकार उनकी माँगे नहीं मान लेती तब तक उनका अनशन जारी रहेगा”। उन्होंने कहा, “सरकार की तरफ से आये पत्र में उन मुद्दों का कोई जिक्र ही नहीं है जिसकी माँग उन्होंने सरकार से की है”। मालूम हो कि उत्तराखण्ड में गंगा और उसकी सभी सहायक नदियों पर निर्माणाधीन और प्रस्तावित जलविद्युत परियोजनाओं को तत्काल प्रभाव से रोकने की माँग करते हुए स्वामी सानंद ने हरिद्वार के मातृसदन में 22 जून को अनशन की शुरुआत की थी। इन्होंने माँग न पूरी होने की स्थिति में अपने प्राण की आहूति देकर गंगा की रक्षा करने का संकल्प लिया है। नितिन गडकरी के पत्र के साथ नमामि गंगे परियोजना के आला अफसर भी स्वामी सानंद से मिलने आये थे। इधर पिछले नौ दिनों में स्वामी जी के स्वास्थ्य में भी गिरावट आई है। पिछले कुछ दिनों से हो रहे डॉक्टरी जाँच के दौरान इनके वजन में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
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नितिन गडकरी द्वारा स्वामी जी को लिखी गई चिट्ठी को पढ़ने के लिये अटैचमेंट देखें।
गंगापुत्र ने प्राण की आहूति का लिया संकल्प
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