नहीं संभले तो तरसेंगे बूंद-बूंद के लिए

Submitted by Hindi on Mon, 05/13/2013 - 11:45
Source
नेशनल दुनिया, 13 मई 2013
केंद्रीय भूजल बोर्ड की मानें तो दिल्ली की ज़मीन सूख चुकी है। समय रहते नहीं चेते तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। दिल्ली के 93 फीसद इलाके का भूजल खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।

सात फीसदी ऐसे इलाके हैं जो यमुना किनारे हैं मसलन राजघाट के आसपास का इलाक़ा या फिर वे क्षेत्र जहां का पानी पीने लायक नहीं है। इन इलाकों में फ्लोराइड, आयरन, जिंक, लेड तय सीमा से अधिक मात्रा में है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के दिल्ली स्टेट उप प्रमुख ज्योति कुमार के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न इलाकों की साल में चार बार भूजल स्तर की जांच होती है। इसके लिए 162 कुएँ हैं जहां भर में चार बार भूजल स्तर की जांच होती है।

उनके मुताबिक सुधार के लगातार प्रयास हो रहे हैं लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं आ रहे हैं। जानकार कहते हैं कि सामूहिक प्रयास से ही समस्या समाधान हो सकता है। पानी की ऐसी स्थिति तब है जब भूजल दोहन पर रोक है। लेकिन इसका पालन नहीं होता। क्योंकि पानी जरूरत के मुताबिक उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा सरफेस वाटर की उपलब्धता में भी गिरावट देखी जा रही है क्योंकि कई छोटे-मोटे तालाब सूख गए हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि यही हाल रहा तो दो-तीन दशक बाद लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा। समस्या भांपकर ही राष्ट्रीय जल आयोग ने पानी को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने का सुझाव दिया है।

यह है पानी की ज़मीनी हकीकत


 

भूजल की गहराई (मीटर में)

क्षेत्रफल (वर्गमीटर में)

प्रभावित इलाके

0-2

3.8

राजघाट, धीरपुर, कंझावला, झुलझुली

2-5

465

नांगली, राजापुर

5-10

287

इंडियागेट, आनंदविहार, अक्षरधाम, कनाटप्लेस

10-20

410

बिरला मंदिर, किदवई नगर, किछनेर रोड, श्रमशक्ति भवन, द्वारका, दौलतपुर

20-40

247

महावीर बनस्थली, नेहरूपार्क, जमाली कमाली, संजयवन, सतबारी

40-45

68

भाटी गदाईपुर, जसोला,

45 मीटर से ज्यादा

7.15

पुष्पविहार, लाडोसराय, तुगलकाबाद, छतरपुर, भाटी जौनापुर