बैतूल से इंदौर जाने वाले नेशनल हाईवे 59 ए के पास बसे रोंढा ग्राम के बाशिंदे लंबे समय से जल संकट की मार झेल रहे हैं। गांव की आबादी लगभग 2500 है और यहां करीब 1500 मतदाता है। गांव के पूर्व सरपंच रमेश ओमकार कहते हैं कि गुजरात राज्य को हराभरा करने वाली ताप्ती नदी हमारे ग्राम के समीप से गुजरती है परंतु ताप्ती के पानी को रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों द्वारा आज तक कोई योजना नहीं बनाई गई। इसके चलते जहां एक ओर ग्राम के आसपास स्थित काली मिट्टी की उपजाऊ जमीन बंजर हो रही है वहीं ग्राम में पेयजल के लिए हाहाकार मचा हुआ है।
गांव की ही रजनी दिगरे कहती हैं कि देश की आजादी के बाद 60 वर्षो के दौरान अनेक लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव हुए। चुनाव में खड़े होने वाले विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों के समक्ष ग्रामीणों ने पेयजल समस्या के निराकरण की मांग रखी, तो उन्होंने आश्वासन तो बड़े-बड़े दिए परंतु चुनाव जीतने के बाद किसी भी जनप्रतिनिधि ने पेयजल समस्या के निराकरण के लिए कोई पहल नहीं की। अब ग्रामीणों ने 'पानी नहीं तो वोट नहीं' का नारा बुलंद कर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया है।
विरोध का अनोखा तरीका अपनाकर और रैली निकालकर वर्षों से पानी के लिए परेशान ग्रामीणों को लोकसभा चुनाव में वोट नहीं डालने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इतना ही नहीं जल संकट से जूझ रहे रोंढा ग्राम के आसपास के आधा दर्जन ग्रामों के ग्रामीणों में भी जल समस्या के निराकरण के लिए चुनाव का बहिष्कार करने की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
रोंढा ग्राम में पानी की समस्या से परेशान युवाओं एवं बुजुर्गो सहित महिलाओं ने भी लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देने की बात आईएएनएस से कही है। ग्रामीणों ने चुनाव के बहिष्कार के लिए बाकायदा रोंढा सहित आसपास के क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान छेड़ रखा है। जिसके तहत ग्रामीणों द्वारा बाकायदा गांव की गली-गली में जाकर 'पानी नहीं तो वोट नहीं' का नारा बुलंद किया जा रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।