नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), मध्यप्रदेश सरकार, संभागायुक्त व कलेक्टर तालाबों की जमीनें कब्जा मुक्त कराने का अभियान छेड़े बैठे हैं। इस बीच खजराना से दो तालाब के चोरी और एक तालाब के गायब होने की खबरें आ रही हैं। चौथा तालाब बचा है जो इन दिनों तालाब कम सेंप्टिक टैंक ज्यादा नजर आता है। खजराना के जागरुक रहवासी अर्से से सरकार से चोरी-गायब हुए तालाबों की जमीने तलाशने की अपील कर रहे हैं। जिस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
गिरते भू-जल को देखते हुए केन्द्र सरकार ने जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। मध्य प्रदेश सरकार ने जलस्रोतों की जमीन हजम करना कानूनी अपराध घोषित कर दिया। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी मास्टर प्लान 2021 के प्लानिंग एरिया के तालाबों की जमीने बचाना चाहते हैं। कलेक्टर लोकेश जाटव ने 1925 के दस्तावेजों के आधार पर तालाबों के सीमाकंन का अभियान छेड़ दिया है। यह तो हुई सरकारी तैयारियाँ। मैदानी हकीकत के हिसाब से बात करें तो चिन्ता उन्ही तालाबों की ज्यादा है, जो दिख रहे हैं। जो तालाब राजस्व रिकार्ड में रहते हुए, जमीन से गायब हो चुके हैं, ऐसे तालाबों को ढूँढ़ने में प्रशासन की कोई रूचि नहीं है।
इसका बड़ा उदाहरण खजराना गाँव है। 1925 में राजस्व दस्तावेज देखने की जरूरत नहीं है, मौजूदा राजस्व दस्तावेजों के अनुमान से ही इस गाँव में चार तालाब हुआ करते थे। इसके किस्से खजराना के पुराने वाशिंदे भी बताते हैं। यह बात अलग है कि आज खजराना में सिर्फ एक ही तालाब बचा है, वह भी मटमैला है। बाकी तीन तालाबों का अस्तित्व दस्तावेजों में ही दफन होकर रह गया। क्षेत्र के जानकार और सरकार जमीन पर कब्जों के खिलाफ अर्से तक कानूनी लड़ाई लड़ते रहे नामिर मेताड़वाला ने तालाबों की जमीन बचाने के लिए भी वक्त रहते ध्यान ही नहीं दिया।
तलई, नाले और नदी तक चोरी
मेताड़वाला ने बताया कि मैं प्रशासन को 1928 का खजराना जागीर का नक्शा दिखा सकता हूँ। इस नक्शे के अनुसार खजराना के सर्वे संख्या 251 में तलई 425, 432 और 902 पर तालाब थे। केवल एक तालाब ही जीवित है। सर्वे संख्या 648, 723, 1053, 1073 पर नाला था, जो चोरी हो गया। खजराना की सर्वे संख्या 863 में नदी दर्ज तो है पर भू-माफियों ने उसे मौके से गायब कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं इस सम्बन्ध में संभागायुक्त व कलेक्टर के समक्ष एक बार फिर अपनी बात रखूँगा। उम्मीद करता हूँ इस बार कार्रवाई करेंगे।
पहले हाउसिंग सोसायटी को दिया तालाब, अब अस्पताल को
सर्वे संख्या 435/1/1 की जमीन में से तकरीबन पाँच एकड़ जमीन के हिस्से (खजराना थाने से लगा हुआ) पर भी कभी एक तालाब हुआ करता था। प्रशासन ने यह जमीन मध्य प्रदेश वाणिज्यिक कर अल्प आय गृह निर्माण सहकारी संस्था को दे दी थी। 2014-15 में यह जमीन वापस ले ली। 2018-19 में यह जमीन 100 बिस्तर क्षमता के साथ प्रस्तावित अस्पताल के लिए दे दी गई। आस-पास के लोगों के अनुसार मूलतः तालाब था या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन यहाँ तलई की तरह पानी जरूर भरता रहा है।
कहाँ गए तालाब
सर्वे संख्या 425 की 0.344 जमीन पर तालाब और सर्वे संख्या 432 की 0.219 हेक्टेयर पाल की जमीन पर कॉलोनी कट चुकी है। भू-माफियाओं ने अवैध रूप से प्लाॅट बेचे और मकान बनवा दिए। सर्वे संख्या 251 की 0.421 हेक्टेयर जमीन पर भी कॉलोनी कट चुकी है।
7 एकड़ से बड़ा तालाब अब 5 एकड़ का ही रह गया
इस तालाब की सर्वे संख्या 902 की 7 एकड़ 32743 वर्गफीट जमीन है। यहाँ तालाब बमुश्किल पाँच-साढ़े पाँच एकड़ पर ही बचा है। बाकी जमीन कब्जे में है। तालाब की बची जमीन पर भी उसे कब्जाने वालों की नजर बनी हुई है। ध्यान नही दिया गया तो आने वाले समय में यह भी पूरी तरह गायब हो जाएगा।
राजस्व रिकोर्ड के मताबित
खसरा न. | रकबा | उपयोग |
432 | 0.219 | ताल की पर |
425 | 0.344 | तालाब |
251 | 0.421 | तालाब (पोखर) |
(नोटःरकबा हेक्टेयर में)