आहार विज्ञान को आहार एवं पोषण के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह खाद्य प्रबंधन से जुड़ा है। साधारण शब्दों में पोषण को ऐसे विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जाता है जो खाद्य एवं पोषाहार से संबंधित है। यद्यपि इन दोनों क्षेत्रों में छोटा सा अंतर है, लेकिन दोनों अच्छी आहार आदतों तथा स्वस्थ रहन-सहन के विकास पर बल देते हैं। इसलिए, आहार विज्ञानी तथा पोषण थेरेपिस्ट की भूमिका निकटता से जुड़ी हुई है। विगत वर्षों में, यह विश्वास किया जाता था कि व्यक्ति, केवल अपना वजन कम करने के लिए आहार विज्ञानियों के पास जाया करते थे। आहार विज्ञानी इससे भी बड़ी ज़िम्मेदारी निभाते हैं। वजन प्रबंधन पर मार्गदर्शन करने के अलावा आहार विज्ञानी आहार से संबंधित कई मुद्दों पर व्यक्तियों को परामर्श देते हैं। आहार विज्ञानी तथा पोषण थेरेपिस्ट परामर्श सूत्रों के माध्यम से व्यक्तियों की आहार संबंधी आदतों को समझते हैं। उसके बाद वे ग्राहकों को यह आभास कराते हैं कि आहार स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव छोड़ता है और किस तरह अनुचित आहार विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं एवं रोगों को आमंत्रित करता है। पोषण थेरेपिस्ट एवं आहार विज्ञानी। एक संतुलित तथा पोषक आहार – जो खनिजों, विटामिन तथा कार्बोहाइड्रेट्स एवं अन्य तत्वों का मिश्रण होता है, का महत्व बताते हैं। उपयुक्त मात्रा में अच्छा भोजन करने की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। यह एक जग-जाहिर तथ्य है कि आज की जीवन-शैली तथा खाद्य आदतें स्वास्थ्य के बढ़ते हुए जोखिमों का मुख्य कारण हैं।
पोषण विज्ञानी तथा आहार विज्ञानी यह भी सुझाव देते हैं कि हम निर्धारित स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करें और अपनी जीवन-शैली तथा खाद्य आदतों में आवश्यक परिवर्तन लाएं, आज पोषण विज्ञानी तथा आहार विज्ञानी, खाद्य एवं पोषण से जुड़े क्षेत्रों जैसे अस्पतालों और होटलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
खाद्य एवं पोषण तथा स्वास्थ्य और स्वच्छता क्षेत्रों में कॅरिअर बनाने के इच्छुक व्यक्तियों को अपनी शैक्षिक रुचि का विकास करने की आवश्यकता है। उन्हें स्नातक स्तर पर विज्ञान का अध्ययन करना आवश्यक होता है। खाद्य विज्ञान, गृह विज्ञान, आहार विज्ञान तथा पोषण एवं खाद्य प्रौद्योगिकी में स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री का इस क्षेत्र में किसी रोज़गार के लिए निश्चित रूप में लाभ मिलता है। इन पाठ्यक्रमों में अन्य विषयों के साथ सूक्ष्मजीव विज्ञान, पोषण, जैव रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान का ज्ञान दिया जाता है। कई संस्थान डिप्लोमा तथा प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। डॉक्ट्रेट अध्ययन करने की रुचि रखने वालों के लिए खाद्य एवं पोषण में अनुसंधान करने के भी व्यापक अवसर होते हैं। कोई भी व्यक्ति विभिन्न संस्थाओं में प्रशिक्षण तथा इंटर्नशिप करके व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त कर सकता है। शैक्षिक योग्यताएं रखने के अतिरिक्त ऐसा अनुभव कॅरिअर में भावी विकास में लाभप्रद होगा। विशेषज्ञता के क्षेत्रों - मोटापा, आहार विज्ञान एवं खेल उपयुक्त पोषण विषय शामिल हैं।
स्वस्थ तथा शारीरिक एवं मानसिक रूप से योग्य बने रहने की आवश्यकता के प्रचार-प्रसार के लिए भावी पोषण थेरेपिस्ट्स और आहार विज्ञानियों को स्वयं भी उपयुक्त एवं स्वस्थ होना चाहिए। वे स्वयं स्वास्थ्य के प्रति सतर्क हों तथा अन्य व्यक्तियों के स्वास्थ्य की भी देखभाल करते हों। उन्हें उस क्षेत्र में अपने ज्ञान को अद्यतन करना चाहिए जिस क्षेत्र में उन्हें उत्साहपूर्ण शिक्षा लेनी हो।
इन गुणों के साथ, कोई भी व्यक्ति निश्चित रूप से और स्वयं पोषण विज्ञानी, स्वास्थ्य-शिक्षक, सलाहकार, परामर्शदाता, खेल पोषण विज्ञानी, होटल प्रबंधन में सलाहकार, आहारविज्ञानी तथा कई अन्य भूमिकाएँ निभा सकते हैं। इन व्यवसायियों को लाभप्रद रोज़गार देने वाले अन्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्लब, स्कूलों तथा विश्वविद्यालयों, खेल स्कूलों में खाद्य सेवा प्रबंधन विभाग तथा ऐसे ही कई अन्य विभाग शामिल हैं। खेल तथा मनोरंजन जगत से जुड़े व्यक्ति अपनी आहार योजना बनाने तथा स्वस्थ एवं योग्य बने रहने के लिए निजी आहार विज्ञानी तथा पोषण विज्ञानियों को कार्य पर रखते हैं। कॉलेजों एवं विश्वविध्यालयों में अध्यापन कार्य, कॅरिअर के अन्य विकल्प हैं। इस क्षेत्र में दिया जाने वाला मासिक वेतन रु. 10000/- से रु. 25000/- तक होता है तथा वेतन अनुभव और रोज़गार देने वाले संगठन या संस्थान के आधार पर अधिक भी हो सकता है।
कॉलेज तथा पाठ्यक्रम
कॉलेज | पाठ्यक्रम | पात्रता | प्रवेश | वेबसाइट |
आचार्य एन.जी.रंगा कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद | खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में एम.एससी. | बी.टेक, (कृषि इंजीनियरी/डेयरी बी.वी.एससी/बी.टेक. (खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) या बी. एससी (गृह विज्ञान), बी. एच. एससी या बी.एससी. (कृषि)/बागवानी/सेरिकल्चर/वानिकी या बी.एफ.एससी में न्यूनतम 50% अंक | अर्हता परीक्षाओं में प्राप्त अंक | |
पोषण थेरेपी में पी.जी.डिप्लोमा | बी.एससी.-गृह विज्ञान/नर्सिंग/पोषण एक वैकल्पिक विषय के रूप में लेकर। | |||
आंध्र विश्वविद्यालय विशाखापत्तनम | एम.एससी खाद्य, पोषण एवं आहार विज्ञान | बी.एससी, - जिसके भाग-II में जीव विज्ञान का कोई विषय एक विषय के रूप में लिया हो। | प्रवेश-परीक्षा | |
उस्मानिया विश्व-विद्यालय, हैदराबाद | पोषण एवं आहार विज्ञान में एम.एससी | संबंधित विषय में बी.एससी. | प्रवेश परीक्षा में निष्पादन | www.osmania.ac.in |
श्री वेंकटेश्वर विश्व-विद्यालय, तिरुपति | खाद्य प्रौद्योगिकी में एमएस. | बी.एससी.- गृह विज्ञान/बी.एससी. जैव रसायन विज्ञान/रसायन विज्ञान/सूक्ष्मजीव विज्ञान/एक्वाकल्चर/मात्स्यकी विज्ञान/प्राणि विज्ञान/वनस्पति विज्ञान/जैव प्रौद्योगिकी/बागवानी में से किसी विषय के साथ/बीएससी-कृषि/बी.वी.एससी/बीटेक. खाद्य प्रौद्योगिकी/डेयरिंग सहित। | प्रवेश परीक्षा में निष्पादन | |
केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मैसूर | एम.एससी-खाद्य प्रौद्योगिकी | 1. रसायन विज्ञान या जैव रसायन विज्ञान एक विषय के रूप में लेकर या कृषि इंजीनियरी/प्रौद्योगिकी में स्नातक डिग्री। 2. +2/प्रि-यूनिवर्सिटी/डिग्री स्तर पर गणित एक विषय के रूप में लिया हो। | प्रवेश परीक्षा में निष्पादन | http://www.cftri.com/ |
अविनाशीलिंगम गृह विज्ञान एवं महिला उच्च शिक्षा संस्थान, मेट्टूपालयम रोड, कोयंबत्तूर | गृह विज्ञान में एम.एससी. तथा खाद्य सेवा प्रबंधन एवं आहार-विज्ञान तथा पोषण विशेषज्ञता के रूप में हो। | बी.एससी-गृह विज्ञान तथा पोषण एवं आहार विज्ञान और खाद्य सेवा प्रबंधन तथा आहार विज्ञान से संबंधित पाठ्यक्रम। | http://www.avinuty.ac.in/ | |
राष्ट्रीय पोषण संस्थान, हैदराबाद | पोषण में स्नातकोत्तर प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम | औषधि में बुनियादी डिग्री (एम.बी.बी.एस.) या जैव-रसायन विज्ञान/शरीर विज्ञान/खाद्य एवं पोषण/आहार विज्ञान में मास्टर डिग्री। | ||
कस्तूरबा गांधी महिला कॉलेज सिकंदराबाद | पोषण एवं आहार विज्ञान में पीजी डिप्लोमा। | पोषण एवं आहर विज्ञान के साथ बी.एससी. |
यह लेख सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश) 500003 स्थित TMIE2E अकादमी करियर सेंटर द्वारा दिया गया है।
ईमेल : faqs@tmie2e.com